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Coronavirus Patient: देश की पहली मरीज की हैरतअंगेज आपबीती, स्वस्थ होने के बाद कैसी है जिंदगी

Coronavirus Patients भारत में वायरस का पहला शिकार हुई 20 वर्षीय मेडिकल छात्रा वुहान से बचकर लौटी थी। ठीक होने के बाद भी वह एकांत में रह रही। पढ़ें- उसकी हैरान करने वाली आपबीती।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 09:00 AM (IST)
Coronavirus Patient: देश की पहली मरीज की हैरतअंगेज आपबीती, स्वस्थ होने के बाद कैसी है जिंदगी
Coronavirus Patient: देश की पहली मरीज की हैरतअंगेज आपबीती, स्वस्थ होने के बाद कैसी है जिंदगी

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर तमाम उपायों के बावजूद इसके फैलने की रफ्तार थम नहीं रही है। भारत में शुक्रवार (06 मार्च 2020) की दोपहर तक कोरोना वायरस के 31 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन क्या आप भारत में मिले पहले कोरोना वायरस संक्रमित की कहानी (आपबीती) जानते हैं? उसे कैसे पता चला इस खतरनाक संक्रमण के बारे और इसके बाद उसकी क्या प्रतिक्रिया थी? आइये जानते है भारत के पहले कोरोना वायरस संक्रमित मरीज और उसके पूरी तरह स्वस्थ हो घर लौटने की पूरी कहानी, उसी की जुबानी।

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भारत में 20 साल की मेडिकल छात्रा थी पहली कोरोना पॉजिटिव

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। कोरोना वायरस का ये पहला मामला दक्षिण भारतीय राज्य केरल से सामने आया था। भारत में इस वायरस का पहला शिकार 20 साल की एक युवती थी। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से पहले 25 जनवरी 2020 को ही वह चीन के वुहान शहर से वापस लौटी थी, जहां से इस खतरनाक वायरस की शुरूआत हुई है। युवती तीन साल से वुहान में चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है। वुहान में 31 दिसंबर 2019 को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था।

स्क्रीनिंग में नहीं दिखे थे वायरस के लक्षण

युवती ने बीबीसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि वुहान से भारत आने पर पहले कोलकाता एयरपोर्ट और फिर कोच्चि एयरपोर्ट पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग हुई। तब तक उनमें वायरस के कोई लक्षण नहीं थे। उनकी तबियत भी एकदम सही थी। अगले दिन बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास से उन्हें एक एडवाजरी प्राप्त हुई। इसमें सलाह दी गई थी कि चीन से बाहर जाने वाले सभी लोग अपना मेडिकल टेस्ट अवश्यक करा लें। इसके बाद वह सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराने पहुंची, तब तक सब सामान्य था। दो दिन बाद, 27 जनवरी की सुबह जब वह जगी तो उनका गला खराब था। इससे उन्हें गड़बड़ी की आशंका हो गई थी। वह फिर अस्पताल पहुंची। इस बार उन्हें भर्ती कर लिया गया और उनका कोरोना वायरस टेस्ट भी पॉजीटिव आया।

87 देशों तक पहुंचा कोरोना वायरस - WHO

WHO की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार (06-मार्च-2020) तक दुनिया के 87 देशों तक कोरोना वायरस पहुंच चुका है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 98 हजार पहुंच चुकी है, जबकि मौतों का आंकड़ा 3,381 पहुंच गया है। कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा 67,592 मामले चीन के हुबेई प्रांत से सामने आए हैं। हुबेई में भी सबसे ज्यादा मामले वुहान शहर से सामने आए हैं।

डॉक्टर से पूछा तो बताया सब ठीक है - युवती

भारत की पहली कोरोना वायरस संक्रमित युवती ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि वुहान से लौटने के बाद वह चार अन्य लोगों के साथ एक अस्पताल में भर्ती हुई थी। उसके साथ के बाकी तीन लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई, लेकिन उसे रोक लिया गया। उसने जब डॉक्टरों से इस बारे में पूछा तो उसे बताया गया कि सब ठीक है। तब तक युवती को अंदाजा नहीं था कि वह कोरोना का शिकार हो चुकी है। उसे कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी। उसके कुछ टेस्ट रिपोर्ट आने में देरी हो रही थी।

फिर ऐसे पता चला

युवती के अनुसार अस्पताल में उसे थोड़ा अलग-थलग रखा गया था। वह धैर्य पूर्वक इलाज करा रही थी। इसी दौरान उसके फोन पर एक दोस्त ने एक टीवी न्यूज की क्लिपिंग वाट्स एप पर भेजी। ये न्यूज क्लिप भारत में पहले कोरोना वायरस केस की पुष्टि की थी। न्यूज क्लिप में बताया गया था कि वुहान से वापस लौटी एक मेडिकल छात्रा कोरोना वायरस टेस्ट में पॉजिटिव मिली थी। युवती के अनुसार क्लिप देखते ही वह तुरंत समझ गई कि ये न्यूज उन्हीं के बारे में है। इस तरह से उन्हें पता चला कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और उन्हें भारत का पहला कोरोना संक्रमित मरीज घोषित किया जा चुका है। इसके करीब एक घंटे बाद डॉक्टर उनके वार्ड में पहुंचे और उन्हें बताया कि वह कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव मिली हैं। इसके इलाज के लिए उन्हें और लंबे समय तक अस्पताल में रुकना पड़ेगा।

संक्रमण का पता चलने पर पहली प्रतिक्रिया

बीबीसी को दिए साक्षात्कार में युवती ने बताया कि उसे डॉक्टरों ने जब संक्रमण के बारे में बताया तो वह बिल्कुल डरी या घबराई नहीं। वह एकदम ठीक महसूस कर रही थी। उसे पता था कि ये वायरस लाइलाज नहीं है। तब तक कोरोना वायरस से संक्रमित बहुत से लोगों का सफल इलाज हो चुका था। वुहान से लौटने की वजह से युवती को पता था कि ये वायरस बुजुर्गों और सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है। इसलिए वह शांत रही और हमेशा सकारात्मक सोचती थी।

परिवार को क्या-क्या झेलना पड़ा

युवती के अनुसार उसमें कोरोना वायरस की पुष्टि होते ही प्रशासन तुरंत एक्शन में आ गया। उससे तुरंत हर उस शख्स का नाम-पता पूछा गया, जिनसे वो भारत आने के बाद मिली थी। इसके साथ ही उसके परिवार को भी प्रशासन द्वारा बताई गई बहुत सी सावधानियों का पालन करना पड़ा। उनकी मां को त्रिस्सूर मेडिकल कॉलेज के एक एकांत वार्ड में रखा गया। इसी अस्पताल में युवती भी भर्ती थी, लेकिन दोनों मिल नहीं सकती थीं। उसके पिता और भाई को घर में ही अलग-अलग निगरानी में रखा गया था। युवती के मुताबिक जब उसके परिवार को इस तरह की सावधानी बरतनी पड़ रही थी तो वह सोच रही थी कि इस खतरनाक वायरस को लेकर घूमने से अच्छा है कि एकांत में रहा जाए, ताकि कोई और संक्रमित न हो।

कोरोना की मेडिकल प्रकिया से वाकिफ थीं

युवती ने बताया कि वुहान में कोरोना वायरस का भयंकर प्रकोप देखने के बाद वह इसके इलाज की प्रक्रिया से वाकिफ थीं। इसलिए उन्हें इलाज के दौरान कभी भी घबराहट नहीं हुई। इलाज के दौरान उन्हें सामान्य खाना दिया जाता था। अस्पताल रूम की दिन में दो बार सफाई होती थी। डॉक्टर और नर्स बिना किसी झिझक के उनका हाल जानने आते थे। हालांकि उनके पास आने या टेस्ट के लिए सैंपल लेते वक्त मेडिकल स्टॉफ पूरा प्रोटेक्शन गियर पहनकर आता था। युवती के मुताबिक अस्पताल के कर्मचारियों का व्यवहार इतना अच्छा था कि उसे कभी घबराहट नहीं हुई।

वुहान से भारत तक का सफर

कोराना वायरस के संक्रमण से सफलतापूर्वक उबरने वाली युवती ने बताया कि वुहान में नौ जनवरी तक उनकी मेडिकल की सेमेस्टर परीक्षाएं चल रहीं थीं। परीक्षाएं खत्म होने पर चार सप्ताह की छुट्टियों पर उन्हें भारत आना था। उनके आने से पहले ही वुहान में स्थिति काफी खराब हो गई और वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा। हर तरफ अफवाहें फैल रहीं थीं। 20 जनवरी को उन लोगों को इस वायरस के तेजी से फैलने का पता चला था। इसके बाद उन लोगों ने तुरंत वहां से निकलने का फैसला किया। उन्होंने फ्लाइट की टिकट बुक की और 25 जनवरी को भारत लौट आयीं। वुहान में लॉक होने और शहर के पूरी तरह से बंद होने से ठीक पहले वह वहां से निकल चुकी थीं। वुहान से वह पहले कोलकाता और फिर दूसरी फ्लाइट से कोच्चि पहुंची थीं।

डॉक्टर बनने पर सबसे पहले मरीज को उसकी सही स्थिति बताऊंगी

युवती ने बताया कि वह करीब 20 दिनों तक अस्पताल के एक छोटे से कमरे में एकांत में रहीं। कमरे की एक खिड़की से बाहर देखते हुए वह पूरा दिन गुजार देती थीं। कोरोना से जंग जीतने में उनका आत्म विश्वास काफी मददगार साबित हुआ। उन्हें पूरा भरोसा था कि वह ठीक हो जाएंगी। युवती और उसका परिवार अब भी एहतियातन बाकी लोगों से दूरी बनाकर रह रहा है। कुछ समय तक उन्हें बाकी लोगों से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी गई है। युवती के अनुसार हालात सामान्य होने पर वह वुहान वापस जाकर अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करेंगी। मेडिकल छात्रा के तौर पर उन्हें बहुत बड़ा सबक मिला है। उन्होंने कहा कि जब वह डॉक्टर बनेंगी तो सबसे मरीज को उसकी सही स्थिति के बारे में बताएंगीं।

(नोट - सभी फोटो प्रतिकात्मक)


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