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Positive India: कफ की पहचान कर कोरोना से बचने में मदद करेगा एनआईटी का ‘सेहत सुरक्षा चक्र’ ऐप

एनआईटी रायपुर ने ऐसे ऐप का निर्माण किया है जो कफ की पहचान के साथ सोशल डिस्टैंसिंग के बारे में भी जानकारी देगा। इसके अलावा आने वाले समय में यह टेली हेल्थ सपोर्ट भी देगा।

By Vineet SharanEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 09:12 AM (IST)
Positive India: कफ की पहचान कर कोरोना से बचने में मदद करेगा एनआईटी का ‘सेहत सुरक्षा चक्र’ ऐप
Positive India: कफ की पहचान कर कोरोना से बचने में मदद करेगा एनआईटी का ‘सेहत सुरक्षा चक्र’ ऐप

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। देश भर में कोरोना को मात देने के लिए जंग जारी है। शोध के क्षेत्र में नित नए प्रयोग हो रहे हैं। इसी क्रम में एनआईटी रायपुर ने ऐसे ऐप का निर्माण किया है, जो कफ की पहचान के साथ सोशल डिस्टैंसिंग के बारे में भी जानकारी देगा। इसके अलावा, आने वाले समय में यह टेली हेल्थ सपोर्ट भी देगा।

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सेहत सुरक्षा चक्र ऐप का निर्माण एनआईटी रायपुर के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सौरभ गुप्ता के नेतृत्व में सात छात्रों- शशि कुमार, अनिमेश कुमार सोनी, नील कांत नेवरा, दुर्गेश कुमार, शिखर चेपे, एनपी गुहान शेषाद्रि, रेशम राज शिववंशी ने किया है।

ऐप से जुड़े शोधार्थी ने कहा कि पूरी दुनिया वैश्विक महामारी की चपेट में है और समय के साथ इस बीमारी से उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभाव भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हमारी टीम ने समस्या से लड़ने का एक कारगर उपाय तलाशा है। इसके तहत हमने एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है, जो लोगों को यह बताएगा कि उनकी सेहत कैसी है, उन्हें कोरोना होने की कोई आशंका तो नहीं है।

कोरोना को पहचानने के लिए इस एप्लीकेशन में एक प्राइमरी हेल्थ एसेसमेंट टेस्ट भी दिया गया है, जिसमें मोबाइल यूजर्स से कुछ स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं। इस आधार पर उन्हें ये बताया जाता है कि उन्हें इस वक्त क्या करने की आवश्यकता है। इस एप में हमने कफ रिकग्निशन सिस्टम का भी एक नया विकल्प दिया है। इसे जल्द उपयोगकर्ताओं के लिए शुरू कर दिया जाएगा। इस कफ रिकग्निशन सिस्टम में एक रियल टाइम मशीन लर्निंग अल्गोरिदम उपयोग किया जा रहा है, जो कि यह बताने में सक्षम होगा कि उपयोगकर्ता को कोरोना होने की कितनी संभावना है।

इस ऐप के माध्यम से यूजर की एक्टिविटी और साइकोलॉजिकल से संबंधित डाटा की मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। इसके लिए यूजर को रिंग, रिस्टबैंड या अन्य किसी रूप में इसे पहनना होगा।

लॉकडाउन के बाद भी उपयोगी

यह डिवाइस उपयोगकर्ता को इस बात की जानकारी भी देगा कि कोई रोगग्रस्त व्यक्ति उसके आसपास तो नहीं है। ऐसा होने पर वाइब्रेशन की मदद से उपयोगकर्ता को वह सूचित करेगा। इस डिवाइस की मदद से लॉकडाउन के बाद लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा। इसे हाथ में पहना जा सकेगा और इस उपकरण का आकार भी छोटा होगा। उम्मीद है कि इसकी कीमत भी कम होगी। इस उपकरण को इस तरह से बनाया जा रहा है कि ये अपने आसपास ऐसी डिवाइस का उपयोग करने वालों से सीधे कनेक्ट होकर उनकी हेल्थ स्थिति की पहचान कर पाएगा और स्वस्थ यूजर को आगाह कर सकेगा। इसमें एक प्रणाली की सहायता से चिकित्सक भी सीधे ऐसे लोगों से जुड़ पाएंगे, जिन्हें किसी तरह की स्वास्थ्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

रोजमर्रा की चीजों को संक्रमणमुक्त करता ओबलाइजर

ओबलाइजर एक वाईफाई इनेबल्ड एप कंट्रोल यूवी स्टरलाइजर है। इसकी मदद से आप रोजमर्रा के सामान को स्टरलाइज किया जा सकता है। इसकी मदद से स्मॉर्टफोन, घड़ी, फेस मास्क, वॉलेट, डोर हैंडल, एलीवेटर बटन से लेकर फर्नीचर तक को संक्रमणमुक्त किया जा सकता है। बिट्स पिलानी के दुबई कैंपस के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के छात्र सार्थक सेठी ने बताया कि यूवीसी रेडिएशन के द्वारा हर चीज को संक्रमणमुक्त किया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से बिना किसी लिक्विड (ब्लीच, एसिड आदि) का प्रयोग किए चीजों को संक्रमणमुक्त किया जा सकता है। सेठी ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक आइटम को सेनिटाइज करने में यह काफी कारगर है। उन्होंने बताया कि हम दिन में कई बार कीटाणुमुक्त करने के लिए हाथ धोते हैं, पर हम जिन चीजों को छूते हैं, उन्हें सेनिटाइज नहीं करते। औसत तौर पर स्मॉर्टफोन में टॉयलेट की तुलना में 10 गुना अधिक कीटाणु होते हैं। ऐसे में चीजों को सेनिटाइज करने के लिए यह डिवाइस काफी काम की है। 


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