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Coronavirus News Update: दो मीटर से भी दूर तक होता है ड्रॉपलेट्स का प्रसार, सतर्क रहने की जरूरत

दो तरह से संक्रमण का खतरा शोधकर्ताओं के मुताबिक वायरस दो तरह से संक्रमित कर सकता है। एक निकट संपर्क से जहां ड्रॉपलेट्स की सघनता होती है और उनका आकार भी बड़ा होता है। साथ ही उनका संपर्क भी नजदीक से होता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:39 AM (IST)
Coronavirus News Update: दो मीटर से भी दूर तक होता है ड्रॉपलेट्स का प्रसार, सतर्क रहने की जरूरत
ड्रॉपलेट्स के साथ कोरोना वायरस तीन घंटे तक सक्रिय रहता है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोविड-19 महामारी का खतरा खुली और हवादार जगहों पर अपेक्षाकृत कम होता है। एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हालिया शोध में विज्ञानियों ने दावा किया है कि ड्रॉपलेट्स का प्रसार दो मीटर से भी ज्यादा दूर तक होता है। इसलिए, ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

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छोटे ड्रॉपलेट्स हैं ज्यादा घातक : शोध के लेखक और एस्टोनिया रिसर्च काउंसिल के जेरेक कुर्नित्सकी के अनुसार, कम हवादार जगहों पर कोरोना वायरस के प्रसार का खतरा ज्यादा होता है। वायरस का प्रसार स्लाइवा यानी लार आदि के ड्रॉपलेट्स यानी बूंद से होता है, जिनका आकार 0.5 माइक्रोमीटर से लेकर कुछ हजार माइक्रोमीटर तक होता है।

आइएएनएस के अनुसार ये बातचीत, छींक, खांसी और यहां तक कि सांस लेने के दौरान भी शरीर में समा जाते हैं। पांच माइक्रोमीटर से छोटे ड्रॉपलेट्स सतह तक नहीं पहुंचते। ये हवा में बने रहते हैं और दसियों मीटर तक जाते हैं। वहीं 100 माइक्रोमीटर से बड़े ड्रॉपलेट्स चट्टान की तरह नीचे गिरते हैं और खांसने पर भी 1.5 मीटर से अधिक दूरी तक नहीं जाते।

धारणा बदलने की जरूरत : खांसने व छींकने के दौरान निलने वाले ड्रॉपलेट्स एक से 10 माइक्रोमीटर तक बड़े होते हैं। विशेषज्ञों का मानना रहा कि पांच माइक्रोमीटर से ज्यादा बड़े ड्रॉपलेट्स दो मीटर में गिर जाते हैं। इसके कारण ही दो मीटर की शारीरिक दूरी की अपील की गई थी। हालांकि, अब विज्ञानियों ने पता लगाया कि यह गलत धारणा थी। आइएएनएस के अनुसार एयरोसोल भौतिकी बताती है कि 50 माइक्रोमीटर से बड़े ड्रॉपलेट्स दो मीटर की दूरी में गिरते हैं, जबकि इससे छोटे ड्रॉपलेट्स हवा के जरिये दूर तक फैलते हैं। इन ड्रॉपलेट्स के साथ कोरोना वायरस तीन घंटे तक सक्रिय रहता है।

दो तरह से संक्रमण का खतरा : शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायरस दो तरह से संक्रमित कर सकता है। एक निकट संपर्क से, जहां ड्रॉपलेट्स की सघनता होती है और उनका आकार भी बड़ा होता है। साथ ही उनका संपर्क भी नजदीक से होता है। कम हवादार कमरों में इन ड्रॉपलेट्स की सघनता इतनी अधिक होती है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाला घंटे भर के भीतर वायरस की चपेट में आ जाता है।


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