पोल्ट्री से इंसान में कोरोना वायरस न फैलने के दावे को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
विश्व जैन संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के इस दावे को चुनौती दी है कि कोरोना इंसान से इंसान में फैलता है और अभी तक इसके पोल्ट्री से फैलने के कोई सबूत नही हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विश्व जैन संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के इस दावे को चुनौती दी है कि कोरोना इंसान से इंसान में फैलता है और अभी तक इसके पोल्ट्री से फैलने के कोई सबूत नही हैं। इसके साथ ही मासांहार के कारण कोरोना फैलने की जांच की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पशुपालन मंत्रालय ने गत 30 मार्च को मांस कारोबारी लाबी के दबाव में एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें मीट और चिकन खाने को बढ़ावा दिया गया है।
पशुपालन मंत्रालय ने जल्दबाजी में जारी की एडवाइजरी
याचिका में कहा गया है कि दुनिया भर के जीव विज्ञानी जब यह पता लगाने में जुटे हैं कि यह खतरनाक कोरोना वायरस कहां से आया उस समय शोध का अंतिम नतीजा आए बगैर पशुपालन मंत्रालय को इस तरह की एडवाइजरी जारी करने का क्षेत्राधिकार व दक्षता प्राप्त नहीं है। वह भी तब जबकि इससे पहले वर्ष 2002 से लेकर अब तक सभी छह वायरस जानवरों से इंसानों में आए हों। यह सातवें नंबर का कोरोना वायरस है। याचिका में कहा गया है कि जब पूरी दुनिया इस शोध के नतीजे का इंतजार कर रही है उस समय बिना किसी आधार के खतरे का आंकलन किये बगैर जल्दबाजी में उपरोक्त सर्कुलर जारी किया जाना खतरनाक है।
जानवरों के हर प्रकार के प्रतिबंध लगाने की मांग
सर्कुलर के संबंध में कोर्ट से अंतरिम आदेश मांगा गया है। याचिका में मुगल काल में अकबर द्वारा गुजरात में जैन धर्मावलंबितयों की मांग पर वर्ष में कुछ दिन मांस पर प्रतिबंध लगाए जाने के कानूनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह याचिका कोर्ट से धीरे-धीरे लंबी अवधि में जानवरों की हर तरह की कटाई या वध पर प्रतिबंध लगाने के लिए दाखिल की गयी है।
कोरोना फैलने में जानवरों की भूमिका का पता लगाने की मांग
मांग है कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को निर्देश दिया जाए कि वह रिसर्च करके कोरोना वायरस फैलने में जानवरों की भूमिका का पता लगाए। कहा गया है कि केन्द्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह जानवर, पक्षी, मछली आदि के कल्याण के लिए नेशनल पालिसी बनाए और भविष्य में किसी भी तरह के पशु पक्षी वध पर या उन्हें सताने पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।