Move to Jagran APP

डेंगू-मलेरिया के प्रकोप वाले स्थानों से दूर है कोरोना वायरस, शोध में सामने आई राहत भरी जानकारी

विश्वभर में डेंगू और मलेरिया के 80 प्रतिशत मामले अफ्रीकाभारत पाकिस्तान नेपाल व भूटान में होते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 10:23 PM (IST)
डेंगू-मलेरिया के प्रकोप वाले स्थानों से दूर है कोरोना वायरस, शोध में सामने आई राहत भरी जानकारी
डेंगू-मलेरिया के प्रकोप वाले स्थानों से दूर है कोरोना वायरस, शोध में सामने आई राहत भरी जानकारी

कुलदीप भावसार, इंदौर। कोरोना का दंश झेल रहे देशवासियों के लिए एक राहतभरी खबर आई है। मेडिकल स्टडीज में पता चला है कि जिन क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहा है, कोरोना वहां आसानी से पैर नहीं पसार पाया है। इसकी वजह है मलेरिया और डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में बनी एंटीबॉडीज। ये एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को आसानी से शरीर पर हमला नहीं करने देतीं। हमला होता भी है तो शरीर में वायरस के लक्षण नजर नहीं आते और व्यक्ति बगैर विशेष प्रयास के आसानी से स्वस्थ हो जाता है। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के आपसी संबंध को लेकर शोध चल रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही कोई ठोस परिणाम सामने होंगे। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े चिकित्सक शोध कर रहे हैं।

loksabha election banner

मध्य प्रदेश के मंडला, डिंडोरी, झाबुआ, अनूपपुर, अंबिकापुर, बालाघाट जैसे एक दर्जन से ज्यादा जिले हैं, जहां कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आया। इन्हीं जिलों में हर साल मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहता है। हजारों लोग इन दोनों बीमारियों के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के संबंध को लेकर विशेषज्ञ मानते हैं कि अक्सर यह बात सामने आती है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति में सर्दी-खांसी, जुकाम, सिरदर्द, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत जैसा कोई लक्षण ही नहीं हैं। रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है। इसकी वजह है कि मलेरिया-डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में जो एंटीबॉडीज विकसित होती हैं, वह कोरोना वायरस को टक्कर देती हैं और आसानी से हमला नहीं करने देतीं। डेंगू आरएनए वायरस से होता है और कोरोना वायरस भी आरएनए वायरस ही है।

इसीलिए मलेरिया की दवा कारगर

भले ही कोरोना का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीजों को एंटी मलेरिया (मलेरिया के इलाज में काम आने वाली) दवाइयां जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन दी जा रही हैं और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ भी रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ भी मलेरिया, डेंगू और कोरोना के आपसी संबंधों से इन्कार नहीं कर रहे।

विदेश में भी सही है थ्योरी

विश्वभर में डेंगू और मलेरिया के 80 प्रतिशत मामले अफ्रीका,भारत, पाकिस्तान, नेपाल व भूटान में होते हैं। मलेरिया के इलाज के दौरान शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडीज का ही असर है कि उक्त सभी देशों में यूरोप और अमेरिका के मुकाबले कोरोना वायरस का असर बहुत कम है। अफ्रीका के कुछ देशों में तो एक भी केस सामने नहीं आया है।

एमजीएम कॉलेज इंदौर के प्रोफेसर डॉ वीपी पांडे ने बताया कि जिन इलाकों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप ज्यादा रहा है, वहां कोरोना का असर कम देखने को मिल रहा है। इसकी बड़ी वजह मलेरिया के इलाज के दौरान शरीर में विकसित हो चुकी एंटीबॉडीज हो सकती हैं। इसके अलावा भी कुछ और परिस्थितियां हो सकती हैं, लेकिन अब तक की स्टडीज में यही बात सामने आई है। इसे लेकर शोध चल रहा है।

तीनों रोग जुड़े नजर आ रहे

रतलाम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित ने बताया कि कहीं न कहीं डेंगू-मलेरिया और कोरोना आपस में जुड़े नजर आते हैं। इस संबंध में शोध लगातार चल रहा है। उम्मीद की जाना चाहिए कि परिणाम जल्द ही सामने होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.