दुनिया सेहतमंद चाहते हैं तो जंगली जानवरों को छोड़ दें अकेला, ऐसे संक्रमित हो रहे इंसान
गार्जियन/ब्लूमबर्ग के अनुसार यदि आपको चीन के मीडिया की इस रिपोर्ट पर विश्वास न हो तो भी यह बात पूरी तरह सच है कि जंगली जानवरों से इंसान की छेड़छाड़ उसे ही बहुत भारी पड़ रही है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Coronavirus यह बात दुनिया में आम हो चुकी है कि वुहान के सी फूड मार्केट से घातक कोरोना वायरस दुनिया में फैला। चीन के मीडिया के अनुसार चमगादड़ खरीदने वाली एक महिला दुनिया की पहली मरीज (जिसे जीरो पेशेंट नाम दिया गया) थी। उसे शुरुआत में हल्की-सर्दी खांसी हुई, एक-दो दिन आराम करने के बाद वह फिर से सी फूड मार्केट में आई और वुहान को धीरे-धीरे कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया, जहां से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया। गार्जियन/ब्लूमबर्ग के अनुसार यदि आपको चीन के मीडिया की इस रिपोर्ट पर विश्वास न हो तो भी यह बात पूरी तरह सच है कि जंगली जानवरों से इंसान की छेड़छाड़ उसे ही बहुत भारी पड़ रही है।
जर्नल प्रोसेडिंग ऑफ रॉयल सोसायटी में प्रकाशित शोध के मुताबिक जानवर हर वर्ष बड़े पैमाने पर इंसानों की जान ले रहे हैं और दुनिया को अरबों डॉलर की आर्थिक चपत लगा रहे हैं। यूसी डेविस स्कूल ऑफ वेटनरी साइंस के वन हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. क्रिश्चियन क्रूयडेर के मुताबिक कोरोना की तरह की बीमारियां जानवरों के प्राकृतिक निवास और रहन-सहन में इंसान के सीधे हस्तक्षेप का नतीजा है।
दो अरब बीमार और दो करोड़ की मौत : आप कोरोना वायरस को ही खौफनाक मानते हैं तो यह आंकड़ा पढ़ लें। फॉरेन वायरस (जो घरेलू और जंगली जानवरों से इंसानों में आए) के कारण हर साल दुनियाभर में दो अरब लोग बीमार पड़ते हैं, जिनमें से दो करोड़ लोग मारे जाते हैं। ये वायरस इंसानों को एचआइवी से लेकर इबोला तक से मार रहे हैं, इसका एक ही कारण है इंसानों का जानवरों की प्राकृतिक जीवनशैली में हस्तक्षेप।
कुत्ते हों या चूहे, बन जाते हैं मौत के फरिश्ते : अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने 1940 को आधार वर्ष मानते हुए अपने शोध को अंजाम दिया। नतीजे निश्चित रूप से डरावने हैं। गार्जियन/ब्लूमबर्ग के अनुसार कुत्ते, बिल्लियों, भेड़ों जैसे घरेलू जानवरों के साथ ही बंदरों-चूहों ने भी इंसान को काफी क्षति पहुंचाई है। जंगली जानवर इंसानों से दूर थे लेकिन, इंसान ने ही कभी विकास, कभी जानवरों के व्यापार और कभी उन्हें बचाने के नाम पर जंगली जानवरों व अपने बीच मौजूद दूरी को खत्म कर दिया। प्लेग जैसी महामारी ने तो दुनिया का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया। वहीं यौन रोग एचआइवी बंदरों से इंसानों में आया।
चमगादड़ साबित हुए हैं खतरनाक : चमगादड़ पिछले तीन दशक से काफी परेशान कर रहे हैं। सार्स हो या निफा वायरस या फिर इबोला सभी ने बड़े पैमाने पर इंसानों की जान ली। हालांकि इन सभी पर इंसानों ने कंट्रोल पाया और ये ज्यादा क्षेत्र आधारित बीमारियां साबित हुईं। इबोला के कारण दो वर्ष तक पूरा अफ्रीका महाद्वीप खतरे में रहा था। अब जाकर इसका वैक्सीन और इलाज खोजा जा सका है।
पूर्ण प्रतिबंध : कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 200 से अधिक वाइल्ड लाइफ संठगनों ने संयुक्त राष्ट्र संघ से मांग की है कि जंगली जानवरों के व्यापार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। परंपरागत चिकित्सा के नाम पर दी जानी वाली किसी भी छूट पर भी पाबंदी लगे। अहम है कि चीन में शेरों से लेकर व्हेल तक का इस्तेमाल परंपरागत चिकित्सा के लिए किया जाता है और इसी आधार पर इनका व्यापार कानूनी बना दिया गया है। चीन का जानवरों का बाजार दुनियाभर में बदनाम है। भारतीय बाघों की भी चीन के दवा बाजार में बहुत मांग है। इसके कारण भारतीय बाघों का बहुत ज्यादा शिकार किया जाता है।
जंगली जानवरों से इंसानों में आए 142 वायरस : वर्ष 1940 के बाद से इंसानों में 142 वायरस आ चुके हैं, कुछ ने ज्यादा नुकसान पहुंचाया तो कुछ ने कम। कई को इंसानी शरीर ने स्वीकार कर लिया, तो कई के तोड़ हमने खोज निकाले लेकिन, अब भी कई बहुत जानलेवा हैं, जिनसे बचाव ही इलाज है। चाहे वो कोरोना हो या एचआइवी। चूहे, बंदर और चमगादड़ इंसानों में फैलने वाले 75 फीसद वायरस के लिए जिम्मेदार हैं।
इन वायरसों ने ढाया है कहर : इबोला, एचआइवी, बोविन टीबी, रैबिज, लेपटोसिरोसिस, स्वाइन फ्लू, हंटा वायरस, पीजन फ्लू, वेस्ट नाइल इंस्फेलाइटिस, साइट्रोडोमाईकोसिस, वाइट नोस सिंड्रोम, एंथ्रेक्स, डेविल फेस, कैनिन डिस्टेंपर, क्लेमेंडिया, सारकोप्टिक मेग्ने, प्लेग, ई-कोलाई।