कोरोना प्राकृतिक आपदा घोषित, छोटे निर्यातकों को बैंकों के री-पेमेंट में मिल सकती है रियायत
केंद्र सरकार ने कोरोना को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखने का एलान किया है। इस घोषणा के बाद सप्लाई प्रभावित होने पर कांट्रैक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी...
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के कारण प्रभावित व्यापार से पीड़ित कारोबारियों को बुधवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से बड़ी राहत देने की घोषणा की गई। वित्त मंत्रालय ने कोरोना को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखने का एलान किया। इसके तहत कोरोना की वजह से माल की सप्लाई प्रभावित होने पर कांट्रैक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी या उन पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। इन कारोबारियों को वित्तीय संस्थानों की तरफ से वैसे ही मदद दी जाएगी जैसी मदद प्राकृतिक आपदा के दौरान उद्योग जगत को दिया जाता है। इसका फायदा उठाने के लिए कारोबारियों को संबंधित संस्थानों या फर्म को सूचित करना पड़ेगा कि कोरोना की वजह से उनका काम प्रभावित हुआ है।
कोरोना की मार से कारोबार जगत में उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए पिछले दो दिनों से मंत्रालयों में चल रही कवायद के बाद बुधवार को देर शाम वित्त मंत्रालय की तरफ से मेमोरेंडम जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि, 'चीन या किसी दूसरे देश में कोरोना वायरस फैलने से सप्लाई चेन में आए व्यवधान को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में यह स्पष्ट किया जाता है कि इसे प्राकृतिक आपदा माना जाएगा।' यह मेमोरेंडम केंद्र सरकार के सभी विभागों व मंत्रालयों को भेजा गया है। गत मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सप्लाई चेन में हो रहे व्यवधानों से निपटने के लिए उद्योग जगत के साथ लंबी बैठक की थी। बुधवार को भी वित्त मंत्री ने निर्यातकों के साथ तो नीति आयोग में शीर्ष अधिकारियों के साथ इस मामले में बैठक की गई। कारोबारियों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से उन्हें डिफाल्टर घोषित होने का खतरा टल गया है।
सूत्रों के मुताबिक जल्द ही छोटे निर्यातकों को बैंकों के री-पेमेंट में रियायत दी सकती है। वहीं उन्हें पोर्ट पर भी माल की आवाजाही के लिए तत्काल क्लीयरेंस की सुविधा मिल सकती है। चीन में कोरोना वायरस फैलने से भारतीय निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव के आकलन के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को निर्यातकों की बैठक बुलाई थी। चीन से आने वाले कच्चे माल की कमी से निर्यातकों के ऑर्डर की डिलिवरी में देरी की आशंका है। वहीं कच्चे माल की कमी होने से निर्यातकों की लागत भी बढ़ सकती है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने बताया कि वित्त मंत्री के साथ बैठक में कोरोना फैलने से भारतीय व्यापार पर पड़ने वाले असर की व्यापक चर्चा की गई। इस दौरान वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि फियो की तरफ से वित्त मंत्री के समक्ष निर्यातकों की ओर से कई मांगें कई रखी गईं। इनमें छोटे निर्यातकों को बैंक के रिपेमेंट में रियायत देने के साथ उन्हें जीएसटी विभाग द्वारा उन्हें रिस्की जोन में नहीं रखे जाने की मांग की गई। उन्होंने बताया कि निर्यातकों की तरफ से बैंकों को पेमेंट में देरी से उन्हें एनपीए श्रेणी में रख दिया जाता है। वहीं, पोर्ट पर तत्काल क्लीयरेंस की सुविधा की भी मांग की गई ताकि माल की आवाजाही में कोई विलंब नहीं हो। सराफ ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार की तरफ से निर्यातकों की मांगें मान ली जाएंगी।
दूसरी तरफ टेक्सटाइल मंत्री स्मृति ईरानी ने भी चीन में कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति एवं उससे उपजी व्यापार की नई संभावनाओं पर एक परिचर्चा का आोयजन किया। इसमें टेक्सटाइल मंत्रालय के सचिव व अधिकारियों के साथ वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों, सभी निर्यात संबर्धन परिषद के अध्यक्षों के और बाइंग एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भाग लिया। कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन सिद्ध नाथ सिंह ने कालीन उद्योग की संभावनाओं पर एक प्रजेंटेशन दिया तथा सरकार को कालीन उद्योग की समस्या तथा कालीन उद्योग के लिए नई संभावनाओं पर प्रकाश डाला।