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महानगरों में घरेलू सहायिकाओं पर पड़ रही दोहरी मार, मेड को सुरक्षित किए बगैर महामारी पर काबू मुश्किल

देश के महानगरों में कोरोना संक्रमण के तेजी से विकराल रूप लेने में घरों में काम करने वाली मेड पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ उनका काम छिनता जा रहा है और दूसरी ओर उन्हें काम पर रखने के लिए शर्तें लगाई जा रही हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 08:44 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 01:57 AM (IST)
महानगरों में घरेलू सहायिकाओं पर पड़ रही दोहरी मार, मेड को सुरक्षित किए बगैर महामारी पर काबू मुश्किल
कोरोना के तेजी से विकराल रूप लेने में घरों में काम करने वाली मेड पर दोहरी मार पड़ रही है।

मुंबई, रायटर। मुंबई और दिल्ली जैसे देश के महानगरों में कोरोना संक्रमण के तेजी से विकराल रूप लेने में घरों में काम करने वाली घरेलू सहायिकाओं (मेड) पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ तो उनका काम छिनता जा रहा है और दूसरी ओर उन्हें काम पर बुलाने की स्थिति में भी लोग इन मेड को अपने खर्च पर कोरोना की जांच और वैक्सीन लगवाने को कहते हैं। देश की पांच करोड़ घरेलू सहायिकाओं के कारण इस महामारी पर काबू करना कठिन और जटिल होता जा रहा है।

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एक साथ कई परिवार हो जाते हैं संक्रमण के शिकार

दूसरों के घरों में खाना बनाने वाली, साफ-सफाई करने वाली इन मेड के कोरोना से संक्रमित होने की स्थिति में एक साथ कई परिवार संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। इसलिए इन घरेलू सहायिकाओं को कोरोना परीक्षण में निगेटिव आना जरूरी है। अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए वरीयता के आधार पर उन्हें कोविड-रोधी वैक्सीन लगवाना जरूरी है।

शहरों में हालात

कई शहरों की बहुमंजिला इमारतों और सोसाइटियों के बाहर घरेलू सहायिकाओं की जांच के लिए कैम्प लगा रहे हैं लेकिन वहां के कई निवासी ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि यह घरेलू सहायिकाएं अपने खर्च पर टेस्ट और इलाज कराएं।

अब दिए जा रहे यह फरमान

अब कहा जा रहा है कि जो महिलाएं अपने घरों में लाकडाउन के दौरान घरेलू सहायिकाओं से कामकाज कराना जारी रखना चाहती हैं, उन्हें हर हालत में यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके घर और बिल्डिंग में आने वाली मेड कोरोना से संक्रमित नहीं हैं और उसे संबंधित सभी प्रोटोकाल का अक्षरश: पालन करना होगा।

छिनती जा रही आजीविका

दिल्ली की एक मेड अनुपमा दास ने फोन पर बताया कि वैश्विक महामारी के दौरान मेरा पहले ही बहुत सारा काम जा चुका है। महीने की कमाई कम हो गई है। कोरोना काल से पहले दास लोगों के घरों में खाना बनाती थी। उनके घर और कपड़े साफ करती थी। चार घरों में काम करके आराम से महीने के बारह हजार रुपये कमा लेती थी। अब उसकी कमाई घटकर तीन हजार रुपये महीना ही रह गई है। अब वह केवल एक घर में काम कर रही है।

कैसे उठाएं अतिरिक्‍त खर्च

अनुपमा ने कहा कि जिन लोगों ने पिछले साल लाकडाउन के दौरान उसे एक पैसा नहीं दिया, वह अब उसे टेस्ट कराने को कह रहे हैं। लेकिन एक साल तक कोई काम नहीं होने के बाद मैं यह अतिरिक्त खर्चे कैसे उठा सकती हूं? ध्यान रहे कि अब वैक्सीन की कीमत भी छह सौ रुपये हो गई है। मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के पॉश इलाकों की हाईराइज बिल्डिंगों में सौ-सौ तक फ्लैट होते हैं। इन सभी घरों में मेड के अलावा मेंटेंनेंस वालों से लेकर अन्य कई मेहमान तक आते जाते रहते हैं और यहां के रहने वालों को संक्रमित कर सकते हैं।


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