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Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेघालय जेल से रिहा हुए 94 कैदी

कोरोना वायरस के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा काफी समय पहले अपने आदेश में कैदियों को सुरक्षित स्थान व रिहा करने को कहा था। देश भर में जेलों से रिहा हो रहे हैं कैदी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 04:29 PM (IST)
Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेघालय जेल से रिहा हुए 94 कैदी
Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेघालय जेल से रिहा हुए 94 कैदी

शिलांग, पीटीआइ। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, मेघालय के शिलांग जिला जेल से कुल 94 कैदियों को रिहा किया गया है। मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मेघालय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (MSLSA) के कार्यकारी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति एचएस थंगख्वी की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने मंगलवार को यहां आयोजित एक बैठक में यह निर्णय लिया। अधिकारियों ने कहा कि पैनल राज्य सरकार द्वारा जमानत, अंतरिम जमानत और पैरोल पर कैदियों की रिहाई पर चर्चा करने के निर्देश के अनुपालन के लिए गठित किया था।

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समिति ने जिला जेलों में भीड़ से निपटने के लिए जेल विभाग की तैयारियों पर विचार-विमर्श किया, MSLSA ने एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि शिलांग जिला जेल में 174 कैदियों की पहचान की गई, जो राज्य की कुल जेल आबादी का 37.9 फीसद है। कहा गया कि 31 मार्च, 2020 को जिला जेल शिलांग से 94 कैदियों को रिहा किया गया था। वे पूर्वी खासी हिल्स जिले से हैं।

वहीं, बताया गया कि शिलांग के मावकासियांग इलाके में ऑब्जर्वेशन होम से आठ नाबालिगों को भी रिहा किया गया। बयान में कहा गया कि शिलांग, विलियमनगर, जवई, तुरा और नोंगपोह के मेघालय में पांच जिला जेलों में कुल 459 कैदी बंद हैं। बताया गया कि अन्य जिला जेलों में बंद कैदियों की रिहाई भी जिला विधिक सेवा की देखरेख में जल्द ही शुरू होगी।

बता दें कि देशभर की जेलों से कैदियों को रिहा करने को लेकर कवायत चल रही है। उत्‍तराखंड में 716 कैदियों को बेल और पैरोल देकर छोड़ दिया गया। इनमें 205 कैदियों को पैरोल और 611 कैदियों को बेल पर रिहा किया जाएगा।

कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों की कोराना से सुरक्षा के मामले का स्वत: संज्ञान लिया लिया था। कोर्ट का कहना था कि कैदियों के बीच सुरक्षित शारीरिक दूरी रखनी सुनिश्चित करनी होगी।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके केंद्र और सभी राज्यों को 50 साल से ज्‍यादा उम्र के कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत देने पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग भी की गई।


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