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Stay Home stay empowered : कोरोना इस तरह बदल देगा सड़क, ट्रेन और फ्लाइट से सफर

ट्रैफिक वायरस के फैलने का कारण बन सकता है। इसलिए दुनिया भर के ट्रैफिक साइंटिस्ट योजना बना रहे हैं कि कैसे सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए यातायात को जारी रखा जा सकता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 09:43 AM (IST)
Stay Home stay empowered : कोरोना इस तरह बदल देगा सड़क, ट्रेन और फ्लाइट से सफर
Stay Home stay empowered : कोरोना इस तरह बदल देगा सड़क, ट्रेन और फ्लाइट से सफर

नई दिल्ली, विनीत शरण। लॉकडाउन के चलते अभी सड़कें खाली हैं और विमान, ट्रेनों से भी यातायात ठप्प है। लेकिन लॉकडाउन खुल जाए तो फिर ट्रैफिक सड़कों पर बढ़ जाएगा। सड़कों की यह भीड़ वायरस के फैलने का कारण बन सकती है। इसलिए दुनिया भर के ट्रैफिक साइंटिस्ट योजना बना रहे हैं कि कैसे सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए यातायात को जारी रखा जा सकता है। आइए जानते हैं कि क्या है ट्रैफिक साइंटिस्ट का प्लान-

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1. अपने वाहन पर जोर

आईआईटी (बीएचयू) के असिस्टेंट प्रोफेसर  और ट्रांसपोर्टेशन विशेषज्ञ अंकित गुप्ता बताते हैं कि अब लोग अपने वाहन खासकर कार पर जोर देंगे, क्योंकि यह वाहन संक्रमण से सबसे ज्यादा सुरक्षित होगा। वहीं, कारों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा, जिससे भीतर के कीटाणु मर जाएं, जैसे अल्ट्रावायलेट लाइट तकनीक।

2. साफ सुथरा पब्लिक ट्रांसपोर्ट

अंकित के मुताबिक, सार्वजनिक परिवहन को ज्यादा साफ बनाना होगा। थूकने या गंदगी फैलाने पर सजा और जुर्माने के प्रावधान कड़े हो सकते हैं। यात्रा से पहले वाहन के चालकों और यात्रियों की जांच जरूरी होगी। हर सार्वजनिक वाहन, चाहे वह ट्रेन हो या विमान, प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था होगी। इसी तरह बस स्टॉप, बस डिपो और मेट्रो स्टेशन हर जगह को सैनेटाइज किया जाएगा। वाहनों को भी सैनेटाइज किया जाएगा। अंकित कहते हैं कि यही वह वक्त है, जब सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाया जा सकता है। इसके लिए कुछ कदम उठाने होंगे। जैसे-

-सरकार इस वक्त सार्वजनिक परिवहन से कमाने की कोशिश न करे।

-किराया कम करे, जिससे लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर आकर्षित हों।

-बसों में सोशल डिस्टैंसिंग के चलते कम यात्री बैठेंगे, इसलिए बसों की फ्रिक्वेंसी बढ़ानी होगी।

-इंटीग्रेटेड पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाना होगा, जैसे- जहां मेट्रो या ट्रेन की यात्रा समाप्त हो, वहीं बस मिल जाए।

-अगर सरकार ने सार्वजनिक परिवहन में तेजी से बदलाव नहीं किए तो निजी कंपनियां आगे निकल जाएंगी।

-याद रहे हर सार्वजनिक परिवहन मॉडल में डिपो होते हैं, इसलिए हर यात्रा के बाद सैनेटाइजेशन संभव है।

-बस और रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को हाथ धोने और सैनेटाइज होने की सुविधा दी जाए।

-बस से उतरने और चढ़ने का गेट सुनिश्चित किया जाए, जिससे सोशल डिस्टैंसिंग का पालन हो सके।

3.ट्रेनों में बदलाव की जरूरत

ट्रेनों में खासकर स्लीपर कोच के अरेंजमेंट में बदलाव की जरूरत है, क्योंकि वहां सोशल डिस्टैंसिंग का ख्याल रखना मुश्किल होगा। हालांकि बैठने वाली सामान्य सीट में सोशल डिस्टैंसिंग का आसानी से ख्याल रखा जा सकेगा। रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे मरीजों की पहचान हो सके।

4. बढ़ेगा डिजिटलाइजेशन और रोबोटिक्स

सार्वजनिक परिवहन में लो-कांटैक्ट, कांटैक्टलेस टेक्नोलॉजी बढ़ेंगी। साथ ही डिजिटल पर भी जोर दिया जाएगा। वाहनों के निर्माण से लेकर स्टेशनों तक पर रोबोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ेगा।

5. बदलेगी ऐप टैक्सी सर्विस

परिवहन व्यवस्था में सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर दिया जाएगा। वहीं, ओला-ऊबर जैसी सेवा में ड्राइवर और यात्री के बीच के संपर्क को खत्म कर दिया जाएगा। हाल में कोरोना वारियर्स के लिए शुरू की गई टैक्सी सेवा में यह प्रयोग शुरू हो गया है। इसमें प्लास्टिक के जरिए चालक और यात्री के बीच डिस्टैंसिंग की कोशिश की गई है। साथ ही टैक्सी में ड्राइवर की बगल की सीट भी निकाल दी गई है। वहीं, हर सफर के बाद टैक्सी को सैनेटाइज भी किया जा रहा है।

6. विमानों में आधी हो जाएगी सीट

यूके के विशेषज्ञों की मानें तो विमानों में सोशल डिस्टैंसिंग की बात शुरू हो गई है। ऐसे में पूरी संभावना है कि विमानों में सीट आधी हो जाए। हालांकि, इससे प्लेन टिकट के दाम बढ़ जाएंगे। विमान, एयरपोर्ट पर पीपीई किट और मास्क का इस्तेमाल बढ़ेगा। यह भी कोशिश की जाएगी कि उन्हीं यात्रियों को विमान यात्रा की इजाजत दी जाए, जिनमें संक्रमण का खतरा कम है। वहीं, अत्याधुनिक तकनीक के जरिए स्क्रीनिंग के बाद ही यात्रा की इजाजत दी जाएगी।

7. पैदल यातायात पर देना होगा जोर

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ता ऐश्ले धनानी के मुताबिक, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए पैदल चलना यातायात का सुरक्षित तरीका है। इसलिए इस पर जोर देना होगा। फुटपाथ को इतना चौड़ा किया जाए कि लोग एक मीटर की दूरी के नियम का पालन करते हुए सड़कों पर चल सकें। इसके लिए दो से तीन मीटर का फुटपाथ जरूरी है। अंकित के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद का वक्त पेडेस्ट्रियन और साइकिलिंग को बढ़ावा देने का वक्त है। कई शहरों में इसके लिए अर्बन प्लानिंग में बदलाव शुरू भी हो गया है। फुटपाथ की चौड़ाई बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अंकित के मुताबिक, साइकिल में सोशल डिस्टैंसिंस का सबसे ज्यादा पालन होता है, क्योंकि ज्यादातर साइकिल पर एक व्यक्ति ही बैठता है। इसके लिए साइकिल ट्रैक बनाने होंगे।

8. कई शहरों में शुरू हो चुका है बदलाव

दुनिया के कई शहरों के प्रशासन ने ट्रैफिक का दबाव कम पर काम शुरू कर दिया है। इन शहरों में पैदल चलने वाले और साइकिल चालकों को ज्यादा जगह दी जा रही है। बर्लिन, बगोटा और मैक्सिको सिटी ने साइकिल लेन बनाए हैं। वहीं, ऑकलैंड और वियना ने कारों को गलियों में चलने से रोक दिया है।

9. भारत में भी बदलाव की शुरुआत

पोस्ट कोरोना लॉकडाउन काल के लिए ट्रैफिक को लेकर भारत में भी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। तीसरी बार लॉकडाउन को बढ़ाने की घोषणा के साथ ही शुक्रवार शाम गृह मंत्रालय ने परिवहन को लेकर भी कई दिशा-निर्देश दिए हैं। जैसे कार में ड्राइवर के अलावा एक अन्य व्यक्ति को बैठने की इजाजत दी जाएगी। वहीं, बसों में भी क्षमता से 50 फीसदी यात्री ही सफर करेंगे, जिससे सोशल डिस्टैंसिंग के पूरे नियमों का पालन किया जा सके। 


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