Move to Jagran APP

परिवहन पर लंबे अरसे तक ब्रेक नहीं लगा पाएगा कोरोना वायरस, जानिए लॉकडाउन के बाद क्‍या-क्‍या होंगे बदलाव

सवाल यह है कि कोरोना के बाद की स्थिति जब सभी क्षेत्रों पर असर छोड़ने वाली है तो क्या परिवहन का स्वरूप भी बदलेगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 06:58 AM (IST)
परिवहन पर लंबे अरसे तक ब्रेक नहीं लगा पाएगा कोरोना वायरस, जानिए लॉकडाउन के बाद क्‍या-क्‍या होंगे बदलाव
परिवहन पर लंबे अरसे तक ब्रेक नहीं लगा पाएगा कोरोना वायरस, जानिए लॉकडाउन के बाद क्‍या-क्‍या होंगे बदलाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। याद कीजिए कि चार महीने पहले चीन के वुहान से होते हुए कोरोना का साया कैसे धीरे धीरे पूरे विश्‍व पर गहराया। दरअसल उसने उस हवाई जहाज पर चढ़कर दुनिया में पैर जमाया जिसने विश्‍व को एक छोटी दुनिया में तब्दील कर दिया है। परिवहन क्षेत्र को जिसने अभूतपूर्व स्वरूप दिया, कोरोना काल में वही सबसे ज्यादा दागी हो गया। अभी विश्‍व के सभी देशों ने एक दूसरे से खुद को काट कर रखा है। अंतरराष्ट्रीय के साथ साथ देश के अंदर भी परिवहन व्यवस्था पर सबने ताला लगा रखा है।

loksabha election banner

सवाल यह है कि कोरोना के बाद की स्थिति जब सभी क्षेत्रों पर असर छोड़ने वाली है तो क्या परिवहन का स्वरूप भी बदलेगा। शारीरिक दूरी जैसे नियम क्या हवाई और रेल सेवा में लंबे समय तक के लिए रह पाएंगे? अगर ऐसा हुआ तो क्या हवाई चप्पल पहनने वालों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध रह पाएगी? माना जा रहा है कि कोरोना के लिए सौ फीसद सफल वैक्सीन या दवा आने तक जरूर परिवहन व्यवस्था बदली बदली दिखे, लेकिन उसके बाद इसे पुराने स्वरूप में खोलना ही होगा।

जानिए क्‍या-क्‍या हो सकते हैं बदलाव 

आने वाले दिनो में जब लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक गतिविधियां चालू होंगी तथा उद्योग-व्यापार का चक्का फिर से शुरू होगा तो परिवहन साधनों के पहिये भी घूमने लगेंगे। हां, फिलहाल हवाई सेवा, रेल या फिर बस सेवा में भी सुरक्षा मानक सख्त होंगे। स्वास्थ्य जांच, स्वघोषणा, यात्रा करने वालों के लिए मास्क जरूरी जैसे कदम दिखेंगे। ट्रेनों में बिना आरक्षण के यात्रा संभव नहीं होगी। स्टेशनों पर सिर्फ यात्रियों को ही अनुमति मिलेगी।

बताया जाता है कि ट्रेन कंपार्टमेंट के स्वरूप को भी बदलने पर विचार किया जा सकता है ताकि यात्रियों के बीच थोड़ी दूरी बढ़े। इसके बावजूद निजी वाहनों की संख्या बढ़ सकती है और यह दुखद हो सकता है कि सड़कों पर भीड़ दिखे। ट्रैफिक की समस्या गहरी सकती है क्योंकि स्थानीय परिवहन में निजी वाहनों का चलन बढ़ सकता है। प्रदूषण पर भी इसका असर होगा इसे इनकार नहीं किया जा सकता है।

रेलवे

ट्रेन में आरक्षण से पहले ही पूरी तरह स्वस्थ होने की स्व-घोषणा करनी पड़नी सकती है। एयरपोर्ट की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए समय से काफी पहले रेलवे स्टेशन पहुंचना पड़ सकता है ताकि जांच-पड़ताल के अलावा सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सके। यात्री किराया और माल ढुलाई दोनों बढ़ सकती है।

रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य इंजीनियरिंग, सुबोध जैन के अनुसार कोरोना का असर लंबे अरसे तक रहने से रेलवे को सबसे बड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि लोग कड़े नियम-कायदों के झंझट में पड़ने के बजाय खुद की गाडि़यों से लंबी दूरी की यात्रा करना शुरू कर देंगे। इसलिए यात्रियों पर ज्यादा कड़ाई के बजाय उनके स्वास्थ्य प्रमाणपत्र पर रेलवे को जोर देना चाहिए। माल ढुलाई में भी रेलवे का हिस्सा और गिरेगा क्योंकि आगे चलकर ट्रकों की ओर रुझान बढ़ने वाला है।

सड़क परिवहन

इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक व परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह के मुताबिक केवल वे ही ट्रांसपोर्टर कारोबार कर सकेंगे जो दीर्घकालिक कांट्रैक्ट के आधार पर माल की ढुलाई करते हैं। रोज बाजार से माल उठाने वाले लगभग आधे ट्रांसपोर्टर और ट्रकर को धंधा बंदने अथवा स्वयं ट्रक चलाने पर विवश होना पड़ सकता है। वैसे भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पिछले साल से ही मंदी की गिरफ्त में था और हजारों ट्रांसपोर्टरों ने बैंकों की किस्त न चुका पाने के कारण अपने नए खरीदे ट्रक बैंकों के दरवाजे पर खड़े कर दिए थे। वो स्थिति और गहरा सकती है।

विमानन

एयरलाइनों का धंधा पहले से ही मंदा चल रहा था। जेट एयरवेज की उड़ाने बंद होने के बावजूद दूसरी एयरलाइनों के धंधे में कोई खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। ऊपर से उन पर कोराना का कहर टूट पड़ा। करीब डेढ़ महीने तक उड़ाने बंद रहने के बाद भी कब खुलेंगी, पता नहीं। लेकिन जब भी खुलेंगी, एयरलाइनों का नुकसान इतना अधिक हो चुका होगा कि अगले एक साल तक उससे उबरने की सूरत नजर नहीं आती।

जाहिर है कि बड़ी कंपनियां ही बच पाएंगी और ऐसे में प्रतिस्पर्स्धा कम होगी तो यात्रियों को नुकसान होगा। ऐसे वक्त में जब भारत के अंदर यह मांग उठ रही थी कि रेलवे में सीट उपलब्धता एअरलाइन की तरह होनी चाहिए कि आखिरी वक्त में भी आरक्षण मिले, फिलहाल यह कहना भी मुश्किल है कि एयरलाइन में वह स्थिति बनी रहेगी। पर हां, यह मानकर चलना चाहिए कि कोरोना लंबे अरसे तक परिवहन की गाड़ी को नहीं रोक सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.