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Covid 19 Vaccine: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, साइड इफेक्ट के दावे के बावजूद जारी रहेगा ट्रायल, सभी को वैक्‍सीन देने की जरूरत नहीं

एक वालिंटियर के साइड इफेक्ट के आरोपों के बावजूद सीरम इंस्टीट्यूट और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-आक्ट्राजेनेका के वैक्सीन का ट्रायल जारी रहेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने यहां तक साफ कर दिया कि कानूनी लड़ाई के बावजूद वैक्सीन के टाइम-लाइन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 08:48 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 07:00 AM (IST)
Covid 19 Vaccine: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, साइड इफेक्ट के दावे के बावजूद जारी रहेगा ट्रायल, सभी को वैक्‍सीन देने की जरूरत नहीं
कानूनी लड़ाई के बावजूद वैक्सीन के टाइम-लाइन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एक वालिंटियर के साइड इफेक्ट के आरोपों के बावजूद सीरम इंस्टीट्यूट और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-आक्ट्राजेनेका के वैक्सीन का ट्रायल जारी रहेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने यहां तक साफ कर दिया कि कानूनी लड़ाई के बावजूद वैक्सीन के टाइम-लाइन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने इस विवाद के पीछे कंपनियों की आपसी लड़ाई होने की भी आशंका जताई। वैसे तो वालिंटियर और सीरम इंस्टीट्यूट के बीच कानूनी लड़ाई का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण इसपर सीधे बोलने से इनकार दिया, लेकिन इतना जरूर साफ कर दिया कि ट्रायल के दौरान प्रतिकूल प्रभावों पर पांच स्तरों पर निगरानी की गई और किसी ने ऐसे दुष्प्रभाव की जानकारी नहीं दी। 

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बहु-स्तरीय निगरानी प्रणाली में नहीं मिले साइड-इफेक्ट के सबूत

वैज्ञानिक मापदंड पर सभी तथ्यों को परखने के बाद भी ड्र्ग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति दी, जो जारी है। राजेश भूषण ने आरोप लगाया कि जानकारी के अभाव ने वैक्सीन के ट्रायल पर विवाद खड़ा करने की कोशिश जा रही है। उनके अनुसार ट्रायल के पहले सभी वालिंटियर को एक पूर्व सहमति का फार्म भरना होता है, जिसमें ट्रायल के दौरान वैक्सीन के दुष्प्रभावों के बारे में भी बताया जाता है। इस फार्म पर हस्ताक्षर करने के बाद ही वालिंटियर पर ट्रायल किया जाता है। जाहिर है आरोप लगाने वाले वालिंटियर भी ट्रायल के लिए पूर्व सहमति का फार्म पर हस्ताक्षर कर चुका है। एक साथ कई जगहों और कई लोगों पर हो रहे ट्रायल पर पूरी नजर रखने के लिए इथीक्स कमेटी, डाटा सेफ्टी एंड मानिटरिंग बोर्ड और प्रिंसिपल इंवेस्टगेटर के बहु-स्तरीय प्रणाली होती है। ये सभी अलग-अलग अपनी रिपोर्ट डीसीजीआइ को भेजते हैं और उनका विश्लेषण करने के बाद ही अगले दौर के ट्रायल की अनुमति दी जाती है। 

आरोप लगाने वाले वालिंटियर को अगस्त में सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन दी गई थी। लेकिन इसके दुष्प्रभाव के बारे में निगरानी करने वाली किसी भी संस्था ने रिपोर्ट नहीं दी। राजेश भूषण के अनुसार सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आम आदमी तक पहुंचने वाला वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और कोरोना को रोकने में कारगर हो। उन्होंने कहा कि लोगों को वैक्सीन के बारे में जागरूक करने के लिए अलग हफ्ते राज्यों को विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाएगी। 

सभी को वैक्सीन देने की जरूरत नहीं: स्वास्थ्य मंत्रालय 

देश में सभी 138 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आइसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव के अनुसार सरकार का मुख्य उद्देश्य कोरोना के संक्रमण के चैन को तोड़ना है और इसके लिए जरूरत के मुताबिक वैक्सीन देने का काम किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी साफ कर दिया कि सरकार ने कभी भी देश के सभी नागरिक को वैक्सीन देने की बात नहीं की थी। डाक्टर बलराम भार्गव के अनुसार यदि लोग मास्क लगाते रहे और एक खास आबादी को वैक्सीन दे दिया जाए तो कोरोना के संक्रमण की चैन टूट जाएगी और सभी को वैक्सीन लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। 


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