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Coronavirus Vaccine: किसी वैक्सीन के प्रभावशाली होने का कैसे किया जाता है आंकलन, पढ़ें

वैक्सीन डेवलपर मानते थे कि कोरोना वैक्सीन का एफीकेसी रेट 50 से 70 फीसद तक रहेगा लेकिन Pfizer वैक्सीन और BioNTech ने अपनी वैक्सीन का एफीकेसी रेट 95 फीसद तक बताया है। जबकि रूस की Sputnik और अमेरिका की Moderna का एफीकेसी रेट 90 से 94.5 फीसद तक बताया गया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 10:24 AM (IST)
Coronavirus Vaccine: किसी वैक्सीन के प्रभावशाली होने का कैसे किया जाता है आंकलन, पढ़ें
Corona Vaccine: किसी वैक्सीन के प्रभावशाली होने का कैसे किया जाता है आंकलन, पढ़ें

नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन एक अहम भूमिका निभाने वाली है। अब इन वैक्सीन के प्रभाव पर सभी की निगाहें हैं। भारत में 16 जनवरी से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन का अभियान शुरू किया जा रहा है। भारत में दो वैक्सीन के साथ वैक्सीनेशन के अभियान की शुरुआत की जा रही है। इनमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन हैं। कोविशील्ड, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन है, भारत में वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास है। वहीं, कोवैक्सीन  विकास भारतीय चिकित्सा परिषद (आइसीएमआर) और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है। 

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हालांकि, बात यहां एफीकेसी रेट की है, जिसे प्रभावकारिता कहा जाता है। सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड की दो डोज दिए जाने एफीकेसी दर 62 फीसदी बताई गई है, जबकि भारत बायोटेक की एफीकेसी रेट का डेटा जारी ना किए जाने को लेकर बवाल की स्थिति देश में है। वहीं, यहां यह समझना भी जरूरी है कि आखिर कैसे तय होती है प्रभावकारिता? इस रेट का क्या मतलब है? आइए जानते हैं...

आपको बता दें कि वैक्सीन डेवलपर मानते थे कि कोरोना वैक्सीन का एफीकेसी रेट 50 से 70 फीसद तक रहेगा, लेकिन Pfizer वैक्सीन और BioNTech ने अपनी वैक्सीन का एफीकेसी रेट 95 फीसद तक बताया है। जबकि रूस की Sputnik और अमेरिका की Moderna का एफीकेसी रेट 90 से 94.5 फीसद तक बताया गया। इससे डेवलपर हैरान है और खुश भी। 

हालांकि, डेवलपर मानते हैं कि 90 फीसदी एफीकेसी रेट का ये मतलब नहीं है कि अगर 100 लोगों को वैक्सीन लगाई गई तो 90 फीसद लोगों पर असरदार होगी। आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 100 साल पहले वैज्ञानिकों ने वैक्सीन ट्रायल के नियम बनाए थे। इसके तहत, ट्रायल में कुछ वॉलंटियर्स को असल में वैक्सीन दी जाती है, जबकि कुछ को आर्टिफिशियल टीका लगा दिया जाता था। इसपर शोधकर्ता देखते थे कि किस ग्रुप के कितने लोग बीमार हुए। 

वैज्ञानिकों के मुताबित, असली टीका और आर्टिफिशियल टीका देने के बाद दोनों ग्रुप के बीच जो अंतर दिखता है, उससे ही वैज्ञानिक एफीकेसी रेट का आकलन करते हैं। दोनों ग्रुपों में अगर असली वैक्सीन और नकली वैक्सीन प्राप्त करने वालों में कोई फर्क नहीं होता तो वैक्सीन बेअसर मानी जाती है। एफीकेसी रेट वैक्सीन दिए गए लोगों की, बिना वैक्सीन दिए गए लोगों में जोखिम से तुलना करके तय किया जाता है। 

ऐसे में अगर कोई वैक्सीन 95 फीसद तक प्रभावी बताई जा रही है तो वह काम कर रही है। हालांकि, इस बीच ब्राजील ने चीन की कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बड़ा दावा किया। ब्राजील के शोधकर्ताओं का दावा है कि चीन की वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ सिर्फ 50 फीसद असरदार है। ब्राजील में चीन की सिनोवैक बायोटक(Sinovac Biotech) वैक्सीन से जुड़ा एक नया आंकड़ा पेश किया गया है।

इस नये डाटा में वैक्सीन की एफीकेसी(प्रभावकारिता) रेट सिर्फ 50.4 फीसद पाई गई है, जो इसके पहले जारी किए गए डाटा से बहुत कम है। चीन ने वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल से जुड़ा डाटा जारी किया गया था, जिसमें इस वैक्सीन को 75 फीसद कारगर बताया गया था। इसके बाद कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी गई थी। चीनी वैक्सीन को लेकर आए नवीनतम परिणाम ब्राजील के लिए एक बड़ी निराशा है।


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