Move to Jagran APP

Positive India: ये हैं आईआईटी के कोरोना कवच, डॉक्टरों और नर्सों के साथ आम लोगों को भी मिलती है सुरक्षा

हम यहां आईआईटी वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए ऐसे कोरोना कवच के बारे में बता रहे हैं जो कोविड-19 से लड़ाई में डॉक्टरों के साथ आम लोगों के लिए भी कारगर हथियार साबित होने जा रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 09:04 AM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 09:44 AM (IST)
Positive India: ये हैं आईआईटी के कोरोना कवच, डॉक्टरों और नर्सों के साथ आम लोगों को भी मिलती है सुरक्षा
Positive India: ये हैं आईआईटी के कोरोना कवच, डॉक्टरों और नर्सों के साथ आम लोगों को भी मिलती है सुरक्षा

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना को मात देने के लिए डॉक्टर, वैज्ञानिक, सरकार, पुलिस-प्रशासन के साथ आम लोग भी शिद्दत से लगे हुए हैं। यही कारण है कि आज देश इस खतरनाक वायरस से सफलतापूर्वक लड़ने में सक्षम है। हम यहां आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए ऐसे 'कोरोना कवच' के बारे में बता रहे हैं, जो कोविड-19 से लड़ाई में डॉक्टरों और नर्सों के साथ आम लोगों के लिए भी कारगर हथियार साबित होने जा रहे हैं।

loksabha election banner

आईआईटी गोवा

आईआईटी गोवा के निदेशक बी के मिश्रा ने बताया कि संस्थान हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और आवश्यक कामकाज करने वालों के लिए फेशशील्ड बना रहा है। आईआईटी गोवा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अमय नाईक देसाई, सिदेश सुदर्शिनी और सचिन कोरे ने लो-कॉस्ट ट्रांसपैरेंसी शीट्स के साथ थ्रीडी प्रिंटेड फेस शील्ड का निर्माण किया है। इन फेस शील्ड को प्रोटेक्टिव मास्क के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अरिंदम दास भी लो-कॉस्ट एंटी-वायरल कोटिंग बनाने में लगे हैं। इसका प्रयोग पीपीई और अन्य को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इस बारे में आईआईटी गोवा के निदेशक बी के मिश्रा का कहना है कि इस आपदा के समय जरूरी है कि संस्थान कोरोना वायरस से लड़ने वाली डिवाइस का निर्माण जल्दी से करे, ताकि फील्ड में मौजूद लोगों को इसका फायदा मिल सके।

आईआईटी पटना

रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड इन्क्यूबेशन सेन्टर और आईआईटी पटना ने डॉक्टरों और नर्सों के लिए फेस शील्ड बनाई है। सिबलिन रोबोटिक्स के पंकज कुमार सिंह ने बताया कि इस शील्ड से इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्सों को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसके लिए कंपनी में उपलब्ध 3D प्रिंटिंग और लेजर कटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, हम कूलिंग पीपीई का भी निर्माण कर रहे हैं। इससे सुरक्षा के साथ हेल्थ केयर वर्कर्स और प्रोफेशनल्स को गर्मी और अन्य दिक्कतों से बचाया जा सकेगा। इसके अलावा, रोबोटिक्स के तहत कोरोना से निपटने के लिए ऐसे रोबोट्स का भी निर्माण किया जा रहा है, जिन्हें कोरोना मरीजों की देखभाल में इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि डॉक्टर एवं नर्स सीधे संक्रमित होने से बचें। पंकज कुमार सिंह के साथ इस टीम में अमित कुमार सिंह, रितेश कुमार सिंह और अभिषेक राज शामिल हैं।

आईआईटी कानपुर

आईआईटी कानपुर ने एक ऐसी 'सुरक्षा' किट तैयार की है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराने के साथ ही गर्मी से भी राहत देती है। इसकी कीमत भी बाजार में उपलब्ध अन्य पीपीई किट से काफी कम हो सकती है। इसमें लगे मैटेरियल्स वायरस प्रूफ हैं, जिनका लैब में सफल प्रयोग किया जा चुका है। इसके मैटेरियल्स में वेंटीलेशन भी होता है। मतलब इस किट में हवा का आदान-प्रदान होता रहता है। इसे पहनने वाले डॉक्टर समेत अन्य कोरोना योद्धाओं को बहुत अधिक गर्मी व पसीना का अहसास नहीं होगा। इसका प्रोटोटाइप आईआईटी में तैयार किया गया है और उत्पादन नोएडा में किया जा रहा है।

इंडियन रोबोटिक्स सॉल्यूशन

कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए ड्रोन से लेकर रोबोट तक इस्तेमाल किये जा रहे हैं। ये हेलमेट लोगों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों को भी कोरोना के संक्रमण से बचा रहा है। थर्मल कोरोना कॉम्बैट हेडगियर को भारत में ही बनाया गया है। भारत की निजी कंपनी इंडियन रोबोटिक सॉल्यूशन्स ने ऐसा हेलमेट बनाया है, जिससे 5 से 10 मीटर की दूरी से ही लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है। अब इसके कोरोना कॉम्बैट हेडगियर का इस्तेमाल दिल्ली पुलिस कर रही है। इसका इस्तेमाल बेहद आसान भी है। इसे पहनकर बस किसी व्यक्ति की तरफ देखना है और पास रखे मॉनिटर पर उसका टेम्परेचर दिख जाएगा। पुलिसकर्मी से लेकर मेडिकल और सिक्योरिटी स्टाफ भी इसका इस्तेमाल दूर से थर्मल स्क्रीनिंग करने के लिए कर सकते हैं। इससे एक दिन में 4 से 5 हजार लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है।

जिस तरह से लॉकडाउन में कई चीजों की छूट दी गई है, उसके बाद सड़कों पर आने वाले लोगों की संख्या पहले से बढ़ी है। इस बीच, जगह-जगह थर्मल स्क्रीनिंग कर रहे पुलिस वालों के लिए बार-बार हर व्यक्ति के पास जाकर थर्मल स्क्रीनिंग करने से कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में इस कोरोना कॉम्बैट हेड गियर हमारे कोरोना वारियर्स के लिए वरदान साबित हो सकता है। थर्मल कोरोना कॉम्बैट हेडगियर के बारे में कंपनी के फाउंडर सागर नौगरिया ने बताया कि हमें इसे नाम देने में 6 दिन लगे। हमारे दिमाग में यह विचार तब आया, जब हम अपने थर्मल कोरोना कॉम्बैट ड्रोन के संबंध में विभिन्न सरकारों से बात कर रहे थे, जिसे विशेष रूप से रेड जोन के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन कहा गया कि वे एरियल के साथ-साथ लैंड टू लैंड समाधान चाहते हैं, जो फ्रंटलाइन वॉरियर्स को सुरक्षा दे।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.