Coronavirus: बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज चार गुना कम फैलाते हैं संक्रमण, जानिए कैसे
कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा संक्रमित व्यक्ति के साथ घर में रहने से होता है। अगर किसी मरीज में लक्षण नहीं हैं तो वह खांस या छींक नहीं रहा है। इसलिए ज्यादा दूरी तक संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाती है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के बिना लक्षणों वाले मरीज उन मरीजों की तुलना में वायरस का प्रसार चार गुना कम करते हैं जिनमें संक्रमण के लक्षण होते हैं। इसकी वजह यह है कि खांसी और छींक संक्रमण को ज्यादा दूरी और अधिक समय तक फैलाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने के लिए विशेषज्ञों ने जल्द से जल्द टेस्टिंग, कांटेक्ट ट्रेसिंग (संपर्क में आने वालों का पता लगाना) और आइसोलेशन पर जोर दिया।
इंपीरियल कालेज लंदन के शोधकर्ताओं का अध्ययन:
बिना लक्षण वाले मरीज से संक्रमण फैलने की संभावना कम: एम्स निदेशक
इंपीरियल कालेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए एक अध्ययन में उक्त परिणाम सामने आया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं, 'अगर किसी मरीज में लक्षण नहीं हैं तो वह खांस या छींक नहीं रहा है। इसलिए ज्यादा दूरी तक संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा ऐसे लोगों में लक्षण वाले मरीजों की तुलना में वायरल लोड की अवधि भी कम होती है।'
कोविड-19 के लक्षणों वाले मरीज ज्यादा खतरा पैदा करते हैं
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक, कोविड-19 के लक्षणों वाले मरीज ज्यादा खतरा पैदा करते हैं क्योंकि आबादी में ऐसे लोगों का अनुपात बिना लक्षणों वाले लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा संक्रमित व्यक्ति के साथ घर में रहने से होता है
शुरुआत में महसूस किया गया था कि बिना लक्षणों वाले लोग महामारी को ज्यादा फैला रहे हैं क्योंकि उनकी पहचान, उनका टेस्ट और उन्हें आइसोलेट करना कठिन है, लेकिन यह अध्ययन नए साक्ष्य उपलब्ध कराता है। इसमें कांटेक्ट ट्रेसिंग की दर्जनों रिपोर्टों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है जो यह भी दिखाता है कि संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा संक्रमित व्यक्ति के साथ घर में रहने से होता है।
डॉ. गुलेरिया ने कहा- लक्षण वाले व्यक्तियों का जल्द से जल्द टेस्ट कराना चाहिए
डॉ. गुलेरिया कहते हैं कि लक्षण वाले लोगों को जल्द से जल्द टेस्ट कराना चाहिए और खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए क्योंकि पहले या दूसरे दिन वायरस के प्रसार की संभावना सबसे ज्यादा होती है। उनका कहना है, 'अध्ययन इस बात को पुष्ट करता है कि लक्षण वाले व्यक्तियों का जल्द से जल्द टेस्ट होना चाहिए और शुरुआती 48 से 72 घंटों में विस्तार से कांटेक्ट ट्रेसिंग की जानी चाहिए और संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने में मदद के लिए सभी संपर्को को क्वारंटाइन किया जाना चाहिए।'