Supreme Court: नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन के हलफनामा पर विवाद, केंद्र ने उठाए सवाल
पाक समर्थित नारे लगाने के मामले में नेशनल कांफ्रेंस नेता और सांसद मोहम्मद अकबर लोन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया लेकिन सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि उनकी भारत के संविधान में अटूट निष्टा है और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने लोन को हलफनामे में कहने को कहा था।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाक समर्थित नारे लगाने के मामले में नेशनल कांफ्रेंस नेता और सांसद मोहम्मद अकबर लोन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, लेकिन सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि उनकी भारत के संविधान में अटूट निष्टा है और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने लोन को हलफनामे में कहने को कहा था।
लोन के हलफनामे पर केंद्र की आपत्ति
लोन ने दाखिल हलफनामे में संसद सदस्य के रूप में भारत के संविधान के प्रविधानों को संरक्षित करने और बनाए रखने तथा देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने की ली गई शपथ दोहराई है। लोन के हलफनामे पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कड़ी आपत्ति जताई।
मेहता ने हलफनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोन ने हलफनामे में अपने किये पर कोई पश्चाताप प्रकट नहीं किया है। ये बयानों का खंडन नहीं है। यह हलफनामा तो और भी नुकसान पहुंचाने वाला है। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कोर्ट इस हलफनामे पर विचार करें और उन बातों पर गौर करें जो अकबर लोन ने अपने हलफनामे में नहीं कही है।
हलफनामे की जांच करेगी अदालत
सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह हलफनामे को जांचेंगे। गैर सरकारी संगठन रूट्स इन कश्मीर ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर मोहम्मद अकबर लोन द्वारा जम्मू कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाए जाने की बात को रिकॉर्ड पर रखा था।
केंद्र सरकार ने लोन के जम्मू कश्मीर विधानसभा में लगाए गए पाक समर्थित नारे पर आपत्ति जताते हुए सोमवार को कोर्ट से कहा था कि लोन इस मामले में याचिकाकर्ता हैं उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती दे रखी है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट लोन को आदेश दें कि वह हलफनामा दाखिल करें।
कोर्ट ने मांगा था हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने इन तथ्यों के सामने आने पर ही सोमवार को लोन से कहा था कि वह हलफनामा दाखिल कर कहें कि उनकी भारत के संविधान में अटूट निष्ठा है और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हालांकि मेहता ने कोर्ट से यह भी कहा था कि कोर्ट लोन से यह भी कहे कि वह हलफनामे में घोषित करें कि वह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन नहीं करते। कोर्ट के इस निर्देश का पालन करते हुए लोन की ओर से मंगलवार को सुनवाई खत्म होने पर सबसे अंत में उनके वकील कपिल सिब्बल ने हलफनामा सौंपा।
लोन ने हलफनामे में क्या कहा गया?
एक पेज के संक्षिप्त हलफनामे में लोन ने कहा है कि वह संसद सदस्य के रूप में ली गई संविधान के प्रविधानों को संरक्षित करने और बनाए रखने तथा राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने की शपथ को दोहराते हैं। इस हलफनामे के दाखिल होने से पहले मंगलवार की सुबह संगठन रूट्स इन कश्मीर की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने एक और अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है।
इस हलफनामे में कोर्ट का ध्यान खींचते हुए कहा कि यह बयान लोन ने कुपवाड़ा में पब्लिक रैली में दिया था। उन्होंने दूसरे बयाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें आतंकवादी हमले के दौरान सुरक्षा बल भी मारे गए थे, लेकिन लोन ने संवेदना सिर्फ आतंकवादियों और पीड़ितों के प्रति जताई थी।
कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए का कि यह सब टेलीवीजन पर दिखाया जा रहा है। तभी कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल ने हलफनामा दाखिल कर दिया है। सिब्बल ने कहा कि आज दोपहर तक दाखिल हो जाएगा। और शाम को सुनवाई समाप्त होने के समय सिब्बल ने कोर्ट को लोन का हलफनामा सौंपा।

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