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बेहतर विश्वास पर टिका है बीमा का कंट्रैक्ट : सुप्रीम कोर्ट

जीवन बीमा मुद्दे पर NCDRC के बयान के खिलाफ एक इंश्योरेंस फर्म द्वारा दायर अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि बीमा कराने के लिए आने वालों को शुरुआत में ही तमाम पुरानी बीमारियों का लेखा-जोखा दे देना चाहिए।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:57 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:57 PM (IST)
बेहतर विश्वास पर टिका है बीमा का कंट्रैक्ट : सुप्रीम कोर्ट
बीमा कराते वक्त पुरानी बीमारियों का दें पूरा विवरण: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीमा के कंट्र्रैक्ट के पीछे 'विश्वास' को आधार बताया। कोर्ट ने कहा कि जीवन बीमा कराने वालों को शुरू में ही सभी आवश्यक तथ्यों का खुलासा करना होगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission,  NCDRC)  के बयान के खिलाफ एक इंश्योरेंस फर्म द्वारा दायर अपील  पर बेंच ने अपना फैसला सुनाया। NCDRC ने मामले में राज्य CDRC के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट  ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के इस साल मार्च के एक फैसले को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की। एक बीमा कंपनी ने मृतक की माता को ब्याज के साथ डेथ क्लेम  की पूरी राशि का भुगतान करने के आदेश के खिलाफ आयोग में याचिका दायर की थी, जिसे आयोग ने खारिज कर दिया था।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़  (D Y Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच ने गौर किया कि प्रपोजल फॉर्म में पहले की बीमारियों आदि के बारे में जानकारी हो ताकि बीमाकर्ताओं द्वारा संभावित खतरे के आधार पर सही निर्णय लिया जा सके।

मामले की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस इंदू मल्होत्रा (Indu Malhotra ) और इंदिरा बनर्जी (Indira Banerjee) ने कहा, 'बीमा का कंट्रैक्ट बेहतरीन विश्वासों में से एक है। जीवन बीमा कराने वालों को शुरू में ही सभी जानकारियों का विवरण देना चाहिए ताकि उसी वक्त यह स्पष्ट हो जाए कि बीमा करने वालों के लिए यह उपयुक्त है या नहीं।' बेंच ने कहा कि पुरानी बीमारियों का अलग से खुलासा करने की जरूरत होती है, ताकि बीमा करने वाली कंपनी बीमांकिक जोखिम के आधार पर एक विचारशील निर्णय पर पहुंचने में सक्षम हो सके।'  

बीमा कंपनी ने आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में  याचिका दायर की थी। राष्ट्रीय आयोग ने संबंधित मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के फैसले को रद करते हुए कहा कि बीमा लेने वाले व्यक्ति ने अपनी पुरानी बीमारियों के बारे में जानकारियों का खुलासा नहीं किया था। उसने यह भी नहीं बताया था कि बीमा लेने के महज एक महीने पहले उसे खून की उल्टियां हुई थीं। बेंच ने कहा, 'बीमा कंपनी द्वारा की गई जांच में पता चला  है कि बीमा धारक पुरानी बीमारियों से ग्रसित था और इसकी  जानकारी बीमा कंपनी को नहीं दी थी।'


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