Move to Jagran APP

छिपी क्षमता को प्रोत्साहन, विदेशी बाजारों में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की बढ़ती मांग

भारतीय दस्तकारी उत्पादों का दुनिया भर में एक विशिष्ट बाजार है। भारत के पास हस्तशिल्प के समृद्ध संसाधनों व प्रतिभाशाली कारीगरों के साथ इस क्षेत्र में वैश्विक योगदान के लिए सुनहरा अवसर है जिसे केंद्र व राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2022 11:45 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2022 11:45 AM (IST)
छिपी क्षमता को प्रोत्साहन, विदेशी बाजारों में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की बढ़ती मांग
छिपी क्षमता को मिले प्रोत्साहन। प्रतीकात्मक फोटो

विवेक देवराय/पवन सेन। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक भारत अपने विशिष्ट इतिहास के लिए जाना जाता है। भारतीय कारीगर अपने विशिष्ट कला रूपों के माध्यम से अपनी भूमि और संस्कृति की विरासत आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित कर इसे जीवंत रखते हैं। यही कारण है कि हमारा देश उत्तम हस्तशिल्प का प्रतीक है। हस्तशिल्प का अर्थ आमतौर पर कलात्मक और प्रकृति में पारंपरिक साधारण उपकरणों के उपयोग से हाथ से बनाई गई वस्तु है।

loksabha election banner

भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है, जिसने पूरे देश में लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया है। कई कारीगरों ने कोरोना काल के कठिन समय का उपयोग स्वयं को तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने में एवं बनाई गई वस्तुओं को आनलइन बेचने हेतु स्वयं को सक्षम बनाने में किया है। इस क्षेत्र में भारत में अरबों डालर का उद्योग बनने की क्षमता है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग

प्रौद्योगिकी इस क्षेत्र के लिए भी वरदान साबित हुई है। स्थायी व्यवसाय बनाने के लिए कारीगरों को एक अनुकूल परिवेश की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग कर उनकी प्रगति की बाधाओं को दूर करने के लिए उन्हें डिजिटल रूप से साक्षर बनाया जाना चाहिए। यदि किसी के पास बाजार में प्रस्तुत करने के लिए कोई उपयोगी उत्पाद है, तो वैश्विक ग्राहक को आकर्षित करना अब मुश्किल कार्य नहीं है। ई-कामर्स ने समावेशी विकास को सक्षम करते हुए उपभोक्ता वस्तुओं तक सहज पहुंच प्रदान की है, क्योंकि दुनिया के किसी भी हिस्से के निर्माता इन आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से अपनी वस्तुओं को प्रदर्शित कर सकते हैं।

कुछ समय पहले तक भारत के पास अपने हस्तशिल्प को वैश्विक ग्राहकों के समक्ष प्रदर्शित करने के लिए किसी एकीकृत मंच का अभाव था। ई-विपणन के चलन का लाभ उठाते हुए कुछ शिल्पकारों ने विभिन्न पोर्टलों के माध्यम से या स्वयं के पोर्टलों के जरिये बिक्री करना शुरू कर दिया है। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार, हस्तशिल्प उद्योग में प्रति वर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि दर है और इसमें 70 लाख कारीगर कार्यरत हैं। यह क्षेत्र अत्यधिक श्रम प्रधान और विकेंद्रीकृत है व कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता है।

वर्ष 2021-22 में कुल भारतीय हस्तशिल्प निर्यात का मूल्य 4.35 अरब डालर था, जबकि 2019-20 में यह 3.6 अरब डालर था। वास्तव में, यह उन क्षेत्रों में से एक है जिसने महामारी के दौरान भी विकास देखा है। देश अपने द्वारा उत्पादित कुल कालीनों का 80 से 90 प्रतिशत तक निर्यात करता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत दुनिया भर में हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात के लगभग 40 प्रतिशत तक अपनी हिस्सेदारी निभाता है और यह उद्योग महामारी के दौरान भी अप्रभावित रहा। कपड़ा उद्योग की राजस्व और रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता को देखते हुए, भारत सरकार ने उद्योग को बढ़ावा देने और लोगों को इसमें काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए हैं।

टेक्सटाइल सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना एक ऐसा प्रयास है जिससे लगभग 7.5 लाख अतिरिक्त रोजगार सीधे और कुछ लाख अतिरिक्त सहायक गतिविधियों के माध्यम से पैदा होने का अनुमान है। चूंकि इस उद्योग में महिलाओं का वर्चस्व है, सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टि के अनुरूप लागू की गई नई पहल महिलाओं को सशक्त बनाएगी और औपचारिक क्षेत्र में उनकी भागीदारी को बढ़ाएगी। अपनी मजबूत रोजगार क्षमता के अलावा, यह क्षेत्र अपने न्यूनतम पूंजी निवेश, उच्च मूल्यवर्धन अनुपात और देश के लिए निर्यात व विदेशी मुद्रा लाभ की उच्च क्षमता के कारण आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।

दस्तकारी वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य पहल की गई हैं, जैसे ‘दस्तकार सशक्तीकरण योजना’ ने कारीगरों को बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास प्रदान करने के लिए ‘अंबेडकर हस्तशिल्प विकास योजना’ के साथ भागीदारी की है। कच्चे माल की खरीद में थोक उत्पादन और लागत बचत को प्रोत्साहित करने के लिए कलाकारों को स्वयं सहायता समूहों और समाजों में संगठित करने के लिए इसका गठन किया गया था। भारतीय दस्तकारी उत्पादों का दुनिया भर में एक विशिष्ट बाजार है और चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में एक लाभ है, जो इस तरह के उत्पादों का निर्माण मशीन से करते हैं। ऐसे अनेक कारक इस तथ्य को इंगित करते हैं कि भारत के लिए वैश्विक बाजार में अपने इन उत्पादों के लिए पैर जमाने का यह एक शानदार अवसर है।

[विवेक देवराय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद

पवन सेन संयुक्त सचिव, प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.