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Contact tracing Covid 19 App: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा सकता है कांटैक्ट ट्रेसिंग, जानें- क्या है इसकी प्रक्रिया

कांटैक्ट ट्रेसिंग को दुनिया में कई तरह से अंजाम दिया जाता है लेकिन मुख्य समस्या यह पता लगाना होता है कि वह कौन व्यक्ति है जो भीड़भरे स्थानों से अपने दोस्तों और परिवार के पास लौटा है खासतौर पर पाबंदियां हटने के बाद।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 09:46 AM (IST)
Contact tracing Covid 19 App: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा सकता है कांटैक्ट ट्रेसिंग, जानें- क्या है इसकी प्रक्रिया
कांटैक्ट टे्र्रंसग वायरस को रोकने की कुंजी है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना वायरस के खिलाफ कांटैक्ट ट्रेसिंग ऐसा हथियार है जो लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा सकता है। कांटैक्ट ट्रेसिंग का लक्ष्य लोगों को ऐसे व्यक्तियों से सचेत करना है, जो कि कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। एजेंसी एपी के अनुसार स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कांटैक्ट ट्रेसिंग वायरस को रोकने की कुंजी है। हालांकि इसकी प्रक्रिया आसान नहीं है।

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ऐसे की जाती है कांटैक्ट ट्रेसिंग : जब किसी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आता है तो इस प्रक्रिया के तहत पूर्व में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की पहचान शुरू की जाती है। पता किया जाता है कि संक्रमित के पास पिछले कुछ दिनों में कितने लोग आए। ये ऐसे व्यक्ति होते हैं जो 10 मिनट या इससे अधिक वक्त तक संक्रमित के 6 फीट के दायरे में आए हों। ऐसे लोगों को सेल्फ आइसोलेशन के लिए कहा जाता है और उनके लक्षणों पर सतर्क नजर रखी जाती है। इस दौरान अगर आवश्यकता पड़ती है तो उनका टेस्ट कराया जाता है। लक्षण नजर आने पर टे्र्रंसग प्रक्रिया एक बार फिर शुरू से दोहराई जाती है।

प्रक्रिया को कई तरह से देते हैं अंजाम : कांटैक्ट ट्रेसिंग को दुनिया में कई तरह से अंजाम दिया जाता है, लेकिन मुख्य समस्या यह पता लगाना होता है कि वह कौन व्यक्ति है जो भीड़भरे स्थानों से अपने दोस्तों और परिवार के पास लौटा है, खासतौर पर पाबंदियां हटने के बाद। इस तरह के मामले कई बार स्वास्थ्य अधिकारियों को भी परेशानी में डाल देते हैं। इससे निपटने के लिए अमेरिका का स्थानीय स्वास्थ्य विभाग लोगों को सचेत करने के लिए मैसेज भेजता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ चुके व्यक्ति सचेत हो सकें। साथ ही लोगों को सचेत करने के लिए कॉल भी किए जाते हैं। हालांकि बहुत कम लोग इसे गंभीरता से लेते हैं। लोगों को जल्द सचेत करने का दबाव होता है। आदर्श स्थिति में व्यक्ति से जुड़े संपर्क सिर्फ एक दिन में अलर्ट हो जाते हैं।


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