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आपके किचन में है ये बेहतरीन दवा, खास तरह के कैंसर से बचाव में है मददगार

असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि जब कोलन रेक्टम या दोनों में ही फैलती हैं तो इस फैलाव को कोलोरेक्‍टल कैंसर कहते है। कोलन और रेक्टम एक साथ मिलकर बड़ी आंत बनाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 11:57 AM (IST)
आपके किचन में है ये बेहतरीन दवा, खास तरह के कैंसर से बचाव में है मददगार
आपके किचन में है ये बेहतरीन दवा, खास तरह के कैंसर से बचाव में है मददगार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कैंसर जैसे घातक रोगों से बचाव में लहसुन और प्याज की भूमिका सामने आई है। एक अध्ययन का दावा है कि एलियम सब्जियों मसलन लहसुन, प्याज और हरी प्याज के सेवन से कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते खतरे को कम किया जा सकता है। यह कैंसर कोलोन (मलाशय) में होता है और कैंसर से होने वाली मौत का प्रमुख कारण है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, उच्च मात्र में लहसुन और प्याज खाने वाले वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा 79 फीसद कम पाया गया। यह निष्कर्ष 833 रोगियों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। चीन की चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के फस्र्ट अस्पताल के शोधकर्ता झी ली ने कहा, ‘हमारे अध्ययन से यह जाहिर होता है कि ज्यादा मात्र में एलियम सब्जियों का सेवन करना बचाव के लिहाज से बेहतर हो सकता है। नतीजों से इस बात पर रोशनी पड़ती है कि जीवनशैली में बदलाव के जरिये कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है।’

कोलोरेक्टल कैंसर क्‍या है
असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि जब कोलन, रेक्टम या दोनों में ही फैलती हैं, तो इस फैलाव को कोलोरेक्‍टल कैंसर कहते है। कोलन और रेक्टम एक साथ मिलकर बड़ी आंत बनाते हैं। बड़ी आंत पचे हुए आहार के अवशेष को छोटी आंत से ले आती है और वेस्ट को एनस के रास्ते बाहर निकाल देती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर को पेट का कैंसर या बड़ी आंत्र के कैंसर भी कहा जाता है, इसमें बृहदान्त्र, मलाशय और एपेंडिक्स में होने वाली कैंसर वृद्धि भी शामिल है।

बड़ी आंत में कोलोरेक्टल ट्यूमर की छोटे पालिप या छोटी वृद्धि होती हैं। वो पालिप जिन्हें समय पर नहीं निकाला जाता है वो कैंसरस हो जाती हैं और कोलन और रेक्टम की दीवार के रास्ते आगे बढ़ते हैं और शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाते हैं। उम्र के साथ कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ता है। अधिकांश मामलों में 70 और 60 के दशकों में कैंसर होता है, जबकि 50 की उम्र से पहले असामान्य होता है।

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
कोलोरेक्टल कैंसर के शुरूआत में अस्‍पष्‍ट लक्षण देखने को मिलते है जिनमें रक्तस्राव, वजन घटना, और थकान शामिल है। परंतु बाद की स्‍टेज में इसमें डायरिया, कब्ज, सामान्य से पतले मल, मल में रक्तस्राव, लगातार उल्टी होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

  • खाने की आदतों में बदलाव- यह लक्षण कोलोरेक्‍टल कैंसर के लक्षणों में सबसे सामान्‍य हैं, इसमें किसी भी व्‍यक्ति के खाने पीने की आदतों में बदलाव आने लगता है और कभी वह कम खाता है तो कभी ज़्यादा, परन्‍तु उसको हर समय ऐसा महसूस होता है कि पेट खाली नहीं है।
  • दस्त या कब्ज़- अगर किसी व्‍यक्ति को कोलोरेक्‍टल कैंसर हो जाता है तो उसे लगातार दस्‍त या कव्‍ज की शिकायत बनी रहती है।
  • स्टूल के रंग में परिवर्तन- कोलोरेक्‍टल कैंसर होने पर स्‍टूल के रंग में परिवर्तन देखने को मिलता है कभी स्‍टूल का रंग लाल तो कभी काला होता हैं।
  • स्टूल में रक्त का आना - कैंसर होने पर स्‍टूल में ब्‍लड आने लगता है परन्‍तु ब्‍लड का रंग भी लाल न होकर बहुत ज्‍यादा लाल या फिर काला होता हैं।
  • पेट में ऐंठन और पेट का भरा महसूस होना - लगातार पेट में ऐंठन और पेट का भरा महसूस होना, इसके लक्षणों में एक लक्षण ये भी शामिल है।
  • डायटिंग के बिना ही वज़न का कम होना - कोलोरेक्‍टल कैंसर होने पर किसी का भी वजन बिना डायटिंग किए कम होने लगता है।
  • थकान होना - कोलोरेक्‍टल कैंसर में व्‍यक्ति बिना किसी कार्य के हर समय थका-थका सा महसूस करता है। कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार हो सकता है, लेकिन जैसे ही किसी व्यक्ति को बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने डाक्‍टर से संपर्क करें।

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