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चालू सत्र में ही उपभोक्ता विधेयक के पारित होने की संभावना

केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस ऐतिहासिक साबित होने वाले इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 22 Dec 2017 09:56 AM (IST)
चालू सत्र में ही उपभोक्ता विधेयक के पारित होने की संभावना
चालू सत्र में ही उपभोक्ता विधेयक के पारित होने की संभावना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई सख्त प्रावधानों वाले उपभोक्ता संरक्षण विधेयक से ई-कारोबारियों पर अंकुश लगेगा। बाजार के बदलते मिजाज के अनुरुप कारोबार के तौर तरीके तेजी से बदले हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ने बाजार की सीमाओं का विस्तार दे दिया है। सब कुछ एक मोबाइल में सिमट गया है। लेकिन इससे उपभोक्ताओं के समक्ष कई तरह की मुश्किलें भी खड़ी हो गई हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक तैयार किया गया है।

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केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस ऐतिहासिक साबित होने वाले इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विधेयक चालू शीतकालीन सत्र में ही पेश कर पारित करा लिया जाएगा। पासवान बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विधेयक संसद में पारित होने से पहले कुछ भी बताना उचित नहीं होगा। हालांकि विधेयक के प्रावधानों में भ्रमित करने वाले विज्ञापनों में हिस्सा लेने वाली हस्तियों को दंडित करना भी शामिल है।

विधेयक के पारित हो जाने से 31 साल पुराना 1986 का उपभोक्ता संरक्षण कानून बदल जाएगा। इससे ई-कामर्स के बढ़ते बाजार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। उपभोक्ताओं के साथ ठगी करना आसान नहीं होगा। उनकी शिकायतों का निपटारा करने में तेजी आएगी। एक सवाल के जवाब में पासवान ने कहा कि देश के सभी राज्यों में जिला उपभोक्ता फोरम के रिक्त पदों को समय से भरा जाएगा। एक ओर जागरूकता के चलते उपभोक्ताओं की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन निपटारा करने वाली जिला अदालतों का ढांचा कमजोर है। इसे मजबूत बनाया जाएगा।

राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष जस्टिस डीके जैन ने भी इस बात पर चिंता जताई कि एक ओर से शिकायतों का सिलसिला तेज हुआ है तो दूसरी ओर निपटारे की गति धीमी हुई है। विधेयक में उपभोक्ता हित संरक्षण के लिए एक प्राधिकरण का गठन किये जाने का प्रावधान है। इसमें जुर्माने के साथ जेल भेजने तक का प्रावधान शामिल किया गया है। भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

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