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मुलायम-शिवपाल नहीं अखिलेश के साथ ही रहेगी कांग्रेस

कांग्रेस ने तय कर लिया है कि शिवपाल-मुलायम नहीं बल्कि अखिलेश की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी के साथ ही उत्तरप्रदेश में उसकी सियासी दोस्ती का सफर आगे बढ़ेगा।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 07 May 2017 12:08 AM (IST)Updated: Sun, 07 May 2017 12:08 AM (IST)
मुलायम-शिवपाल नहीं अखिलेश के साथ ही रहेगी कांग्रेस
मुलायम-शिवपाल नहीं अखिलेश के साथ ही रहेगी कांग्रेस

संजय मिश्र, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा बनाने की पहल पर कांग्रेस ने ठंडा रुख दिखाया है। कांग्रेस की ओर से साफ संकेत है कि शिवपाल भले मुलायम सिंह यादव को आगे रखकर अपनी नई पार्टी का सेक्यूलर चेहरा दिखाने की कोशिश करें मगर उनकी यह पहल उत्तरप्रदेश में भाजपा को ही फायदा पहुंचाएगी।

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पार्टी सूत्रों के अनुसार इसीलिए कांग्रेस ने तय कर लिया है कि शिवपाल-मुलायम नहीं बल्कि अखिलेश की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी के साथ ही उत्तरप्रदेश में उसकी सियासी दोस्ती का सफर आगे बढ़ेगा। पार्टी की आशंका है कि शिवपाल का सेक्यूलर मोर्चा के राजनीतिक दांव के पीछे परोक्ष रुप से भाजपा की भूमिका भी हो सकती है। क्योंकि सपा परिवार में बिखराव और खासकर मुलायम सिंह के अलग होने से समाजवादी पार्टी के कोर वोट बैंक में दुविधा की स्थिति की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। सपा के इस वोट में किसी तरह का बिखराव न केवल अखिलेश बल्कि उत्तरप्रदेश में भाजपा के खिलाफ प्रस्तावित सेक्यूलर महागठबंधन को भी नुकसान पहुंचाएगा।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सपा, बसपा और कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के तौर पर एकजुट होकर प्रदेश में भाजपा को चुनौती देने की रणनीति पर गंभीर हैं। वैसे शिवपाल पहले भी कांग्रेस के साथ दोस्ती के खिलाफ रहे हैं और विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने का काफी विरोध भी किया था।

उत्तरप्रदेश से जुड़े कांग्रेस के रणनीतिकारों के मुताबिक शिवपाल की नई पार्टी बनाने की पहल के पीछे भाजपा की भूमिका की आशंका इसलिए भी है कि विधानसभा में बड़ी जीत के बाद उसकी नजर क्षेत्रीय पार्टियों को कमजोर करने पर है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल और ओडिशा में बीजद को भाजपा पहले ही निशाना बना चुकी है। जाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा की ताकत ध्वस्त करना उसके एजेंडे में है।

कांग्रेस के एक महासचिव ने कहा कि भाजपा के इन इरादों को भांपते हुए अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए अखिलेश और मायावती नौबत आने पर एक दूसरे से गठबंधन तक करने का संकेत दे चुके हैं। ऐसे में शिवपाल का सेक्यूलर मोर्चा बनाने का कदम सवाल तो खड़े ही करता है।

हालांकि कांग्रेस ने अभी आधिकारिक तौर पर मुलायम को चेहरा बनाते हुए सेक्यूलर मोर्चा बनाने के शिवपाल के कदमों पर टिप्पणी नहीं की है। वैसे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपनी तरफ से शुक्रवार को खुले तौर पर कांग्रेस व राहुल गांधी के साथ राजनीतिक गठबंधन की गाड़ी को आगे बढ़ाने का बयान दिया था।

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