उमा का इस्तीफा मांगने की बजाय कांग्रेस ने इसे पीएम पर छोड़ा
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ मुकदमा चलाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह बात कही।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कांग्रेस ने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती से सीधे इस्तीफा की मांग करने से फिलहाल परहेज किया है। पार्टी ने इस्तीफे मांगने की अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए उमा के मामले को प्रधानमंत्री की राजनीतिक नैतिकता पर छोड़ दिया है।
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ मुकदमा चलाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह बात कही। उनका कहना था कि सर्वोच्च अदालत का फैसला बिल्कुल स्पष्ट है और कानून अपना काम करेगा। इस फैसले की किसी तरह की विवेचना की कांग्रेस जरूरत नहीं समझती।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर उमा भारती के मंत्रिमंडल से इस्तीफे की मांग के सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस इसका फैसला प्रधानमंत्री की नैतिकता और विवेक पर छोड़ती है। क्योंकि पीएम लगातार राजनीति में नैतिकता को लेकर नसीहत देते रहे हैं। वहीं कल्याण के बारे में कांग्रेस प्रवक्ता का कहना था कि जिस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की और इसके लिए एक दिन की सजा मिली हो उसे राज्यपाल बनाया ही नहीं जाना चाहिए था।
इस मसले की राजनीतिक संवेदनशीलता के बावजूद सीधे तौर पर इस्तीफा नहीं मांगने से साफ है कि कांग्रेस ने सियासी विवादों में फौरी त्यागपत्र मांगने की रणनीति में बदलाव किया है। जबकि इससे पहले कांग्रेस ललित मोदी विवाद में वसुंधरा राजे, सुषमा स्वराज, डीडीसीए विवाद में अरुण जेटली से लेकर जनरल वीके सिंह और नितिन गडकरी से जुडे़ अलग-अलग मामलों को लेकर इनके इस्तीफे की मांग उठा चुकी है। पार्टी की इस रणनीति में बदलाव का एक कारण यह भी है कि वह खुद नेताओं को लेकर घिरी है।
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