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राज्यों में नए चेहरों पर दांव लगाएगी कांग्रेस

केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद पुनर्गठन के रास्ते पर खड़ी कांग्रेस अब राज्यों में संगठन ठीक करने पर जुट गई है। पार्टी में गहरे तक पैठ बनाए गुटबाजी से निपटने के लिए पार्टी ने राज्यों में नए चेहरों पर दांव लगाने का मन बनाया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 20 Jan 2015 08:40 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jan 2015 09:00 PM (IST)
राज्यों में नए चेहरों पर दांव लगाएगी कांग्रेस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद पुनर्गठन के रास्ते पर खड़ी कांग्रेस अब राज्यों में संगठन ठीक करने पर जुट गई है। पार्टी में गहरे तक पैठ बनाए गुटबाजी से निपटने के लिए पार्टी ने राज्यों में नए चेहरों पर दांव लगाने का मन बनाया है।

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शीर्ष स्तर पर संभावित बदलाव के बीच आलाकमान की कोशिश नए वफादारों को जिम्मेदारी देने की है। हालांकि, इसके साथ ही पार्टी ने संकेत दिए हैं कि अगले साल विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में फेरबदल नहीं होगा। असम में अंजन दत्ता अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। तमिलनाडु में इलांगोवन ही कमान संभालेंगे। कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष बदला जाएगा, क्योंकि जी. परमेश्वर को सिद्दरमैया सरकार में शामिल होना है।

---::पंजाब::---

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब को लेकर है। देशभर में पार्टी के खिलाफ चल रहे माहौल के बीच पंजाब इकलौता राज्य है, जहां पार्टी को वापसी की सबसे ज्यादा उम्मीद है। लेकिन सबसे ज्यादा गुटबाजी भी इसी राज्य में है। लोकसभा में पार्टी के उपनेता व पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश अध्यक्ष बाजवा के खिलाफ आरपार की लड़ाई छेड़े हुए हैं। इस लड़ाई में दो और असंतुष्ट नेता पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी व पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार भी कैप्टन का साथ दे रहे हैं। हालांकि, बाजवा भी टीम राहुल के करीबी हैं, लेकिन जीत की संभावना बनाए रखने के लिए पार्टी बदलाव करने को तैयार हो गई है। जल्द ही बाजवा की जगह किसी गैर सिख को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है।

---::उत्तर प्रदेश::---

गांधी परिवार के लिए बेहद अहम माने जाने इस प्रदेश में कांग्रेस सबसे कमजोर हालत में है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी राज्य की 80 में से महज दो सीट ही जीत सकी। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की जीत में सत्तारूढ़ सपा का समर्थन बेहद अहम रहा। हालात ऐसे हैं कि पार्टी को उस समर्थन के एवज में विधान परिषद चुनावों में सपा को सहयोग करना पड़ रहा है। इसके बाद भी राज्य में पार्टी ज्यादा बदलाव के मूड में नहीं है। पार्टी ने हाल ही में पदाधिकारियों की भारी-भरकम सूची जारी कर विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक राज्य में छाया प्रभारी के रूप में प्रियंका गांधी के होने के चलते पार्टी इसी ढर्रे पर काम करती रहेगी।

---::बिहार::---

राज्य में पार्टी खड़ी करने के लिए कभी एकला चलो तो कभी महागठबंधन में भविष्य तलाश रही कांग्रेस एक बार फिर चौंकाने वाला प्रयोग कर सकती है। जदयू व राजद के विलय तथा इन पार्टियों में चल रहे भीतरी घमासान के बीच कांग्रेस रंजीता रंजन को प्रदेश की कमान सौंपने पर विचार कर रही है। सोमवार को इस बाबत पार्टी मुख्यालय पर राज्य के प्रभारी ने बैठक भी की। हालांकि, तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस देखो व इंतजार करो के रास्ते पर चल रही है।

---::पश्चिम बंगाल::---

कभी कांग्रेस छोड़कर गई ममता बनर्जी राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर कुछ अलोकप्रिय हुई हैं। लेकिन अलोकप्रियता की लिस्ट में कांग्रेस बहुत आगे है। राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव व वाम दलों के फिर से खड़े होने की जद्दोजहद के बीच कांग्रेस आपसी लड़ाई से पार पाने की जुगत में है। चिटफंड मामले में घिरे सरकार के मंत्रियों की मदद में पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व काननू मंत्री कपिल सिब्बल के उतरने से अकुलाई कांग्रेस राज्य इकाई ने उनपर तीखे आरोप जड़े हैं। कांग्रेस राज्य में अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में ही 2016 के चुनावी समर में उतरेगी।

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