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यूपी में सपा के बाद एमपी में बसपा से हाथ मिलाने की तैयारी में कांग्रेस

मध्यप्रदेश चुनाव 2018 में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस बसपा के साथ मिलकर मैदान में उतर सकती है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 09:04 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 09:21 AM (IST)
यूपी में सपा के बाद एमपी में बसपा से हाथ मिलाने की तैयारी में कांग्रेस
यूपी में सपा के बाद एमपी में बसपा से हाथ मिलाने की तैयारी में कांग्रेस

भोपाल (नईदुनिया)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर मैदान में उतर सकती है। इसके लिए संगठन से लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता सैद्धांतिक रूप से तैयार हैं। विधानसभा चुनाव की रणनीति बनने पर बसपा के साथ सीटों के बंटवारे पर चर्चा करने पर सभी सहमत हैं। हाल ही में 2017 के भिंड और सतना जिलों के दो उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी के नहीं खड़े होने पर कांग्रेस ने भाजपा को मात भी दी है।

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कांग्रेस अब भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके तहत बसपा के ग्वालियर-चंबल और रीवा संभाग में प्रभाव वाली विधानसभा सीटों पर भी नेता भाजपा प्रत्याशियों को हराने को लेकर चिंतित हैं। कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण ग्वालियर, चंबल और रीवा संभाग की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों को नुकसान झेलना पड़ता है।

दर्जनभर जिलों में दबदबा
पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है। मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमग़़ढ, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है। जिन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की वहां 0.35 फीसद से लेकर करीब 11 फीसद वोटों के अंतर से प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों को शिकस्त दी है।

'चर्चा अवश्य की जाना चाहिए'
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बातचीत में यह स्वीकार किया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए बसपा से बातचीत की जाना चाहिए। चर्चा से दोनों दलों को फायदा होगा। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ बातचीत की जा सकती है। बसपा का जिन सीटों पर प्रभाव है, उनको लेकर दोनों पक्षों की चर्चा होना चाहिए।

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