टूट रोकने को बिहार में नेतृत्व बदलने पर कांग्रेस गंभीर, इन पर गिर सकती है गाज
पार्टी नेतृत्व को मिल रही अंदरुनी सूचनाओं के अनुसार कांग्रेस विधायकों को टूट के लिए गोलबंद करने में जुटे कुछ नेताओं का नीतीश कुमार से अंदरुनी संपर्क कायम है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। बिहार में कांग्रेस विधायकों के टूटने की आशंका से सतर्क पार्टी हाईकमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को हटाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। चौधरी और सदानंद ने भले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को विधायकों के तोड़ने की किसी कोशिश में शामिल नहीं होने की कसम खाई हो, मगर हाईकमान अब भी तोड़-फोड़ की अंदरुनी सियासी कसरत को लेकर बेहद सतर्क है। पार्टी नेतृत्व को मिल रही अंदरुनी सूचनाओं के अनुसार कांग्रेस विधायकों को टूट के लिए गोलबंद करने में जुटे कुछ नेताओं का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अंदरुनी संपर्क कायम है। |
पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक बिहार में कांग्रेस के निष्ठावान कुछ विधायकों ने भी हाईकमान को तोड़-फोड़ की कोशिशें अब भी बंद नहीं होने को लेकर सचेत किया है। इनका कहना है कि अशोक चौधरी और सदानंद सिंह ने नेतृत्व से चाहे जो वादा किया हो, मगर गंभीर बात यह है कि कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए पद से लेकर प्रलोभन की पेशकश के साथ उन्हें गोलबंद करने का प्रयास हो रहा है।
बिहार कांग्रेस विधायक दल में टूट की इस आशंका पर गहरी निगाह रखने वाले पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी ने माना कि खुद अशोक चौधरी का सियासी मन डोल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके अच्छे रिश्ते हैं। हाईकमान चौधरी के नीतीश से बेहतर रिश्तों के पीछे की इस सियासत को भी पढ़ रहा है। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने शुक्रवार को नीतीश कुमार पर पार्टी तोड़ने की कोशिश का सीधा आरोप लगा इसका साफ संदेश भी दे दिया था। चौधरी और सदानंद की महागठबंधन तोड़ने के नीतीश के कदमों पर उनकी चुप्पी की सियासत को भी पढ़ चुका है।
पार्टी सूत्रों ने बताया किइस सियासी खेल की गंभीरता को देखते हुए हाईकमान बिहार में संगठन ओर विधायक दल दोनों में नेतृत्व परिवर्तन का बड़ा कदम उठाने पर विचार मंथन कर रहा है। हाईकमान के लिए बिहार कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व की हरकतें हतप्रभ करने वाली है। खासकर यह देखते हुए कि अशोक चौधरी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रदेश के सबसे भरोसेमंद नेताओं में रहे हैं। इसी वजह से कार्यकर्ताओं की एक साल से भी अधिक समय से चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की नेतृत्व ने अनदेखी की।
राहुल की वजह से ही विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद महागठबंधन के सत्ता में आने के बाद चौधरी को मंत्री बनाया गया। वहीं सदानंद भी बिहार में सोनिया के भरोसेमंद नेताओं में रहे हैं। इन्हीं वजहों से सोनिया ने चौधरी और सदानंद दोनों को गुरूवार को बुलाया भी था। तब इन्होंने हाईकमान के समक्ष पार्टी के प्रति निष्ठा निभाने के वादे किए। मगर शुक्रवार-शनिवार को बिहार से हाईकमान को मिल रही अंदरुनी रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अभी भी टूट के लिए विधायकों को गोलबंद करने का खेल बंद नहीं हुआ है।
सूत्रों के अनुसार स्वदेश लौट रहे राहुल गांधी भी अगले एक दो दिनों में खुद हालात की समीक्षा करेंगे। इसे देखते हुए ही पार्टी के सियासी गलियारे में बिहार कांग्रेस में फेरबदल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा है।
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