कांग्रेस को रास नहीं आई सरकार की सफाई, लगाया आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर राफेल सौदे से जुड़े तथ्यों को छुपाने और उसकी असली कीमत नहीं बताने का आरोप लगाया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राफेल सौदे पर सरकार की सफाई को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की सफाई से कई सवाल पैदा हो गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर राफेल सौदे से जुड़े तथ्यों को छुपाने और उसकी असली कीमत नहीं बताने का आरोप लगाया। कांग्रेस का कहना है कि इस सौदे में रक्षा खरीद नियमों की अनदेखी की गई और एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है।
राफेल युद्धक विमान सौदे को लेकर सरकार पर हमले को और तीखा करते हुए कांग्रेस ने नए सवालों की झड़ी लगा दी। कांग्रेस की ओर से जारी बयान में पूछा गया है कि आखिरकार सरकार एक राफेल युद्धक विमान की कीमत क्यों नहीं बता रही है। क्या यह सच नहीं है कि संप्रग सरकार के दौरान हो रहे सौदे में एक राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये पड़ रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे 1570 करोड़ रुपये प्रति विमान के हिसाब से खरीद रही है।
कांग्रेस का कहना है कि युद्धक विमान खरीदने के लिए एक तय प्रक्रिया है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या यह सच नहीं है कि जिस दिन 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री ने 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की, उस समय तक कांट्रैक्ट निगोशियेशंस कमिटी (सीएनसी) और न ही प्राइस निगोशिएशंस कमेटी (पीएनसी) ने कोई फैसला नहीं किया था।
कांग्रेस अब भी अनिल अंबानी की निजी कंपनी को राफेल से जुड़े 30 हजार करोड़ रुपए के ऑफसेट कांट्रैक्ट दिये जाने पर हमलावर है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन के बीच अप्रैल 2014 से ही करार था, तो फिर उसे ऑफसेट कांट्रैक्ट क्यों नहीं दिया गया। जबकि सच्चाई यह है कि एचएएल के पास पुराना अनुभव है और निजी कंपनी के पास कोई अनुभव नहीं है। कांग्रेस ने राफेल खरीदने की प्रधानमंत्री की घोषणा के दौरान अनिल अंबानी की मौजूदगी पर सवाल उठाया है।
कांग्रेस का कहना है कि संप्रग सरकार के दौरान हुए 126 राफेल विमान सौदे में तकनीक हस्तानांतरण भी शामिल था। लेकिन मोदी सरकार के सौदे में यह शामिल नहीं है। कांग्रेस ने पूछा है कि आखिर रक्षामंत्री को क्यों नहीं लग रहा है कि तकनीक स्थानांतरण देश के सामरिक हित में होता। यही नहीं, 36 राफेल विमानों की आकस्मिक खरीद की निर्मला सीतारमण की सफाई भी कांग्रेस के गले नहीं उतर रही है।
सुरजेवाला ने कहा कि आखिरकार 36 महीने बीतने के बाद भी एक विमान क्यों नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब सामान्य खरीद की बातचीत पहले से चल रही थी, तब आकस्मिक खरीद की बात कहां से आ गई। उन्होंने सीतारमण के इस कथन पर हैरानी जताई कि पूरे सौदे में आधा ऑफसेट डील का है, जिस पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि रिलायंस ने अपनी वेबसाइट पर 30 हजार करोड़ रुपये के डील का एलान कर रखा है और फ्रांसीसी रक्षामंत्री इसके लिए रिलायंस की नई फैक्ट्री का उद्घाटन भी कर चुके हैं।
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