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हेमंत सरकार से हाथ खींचेगी कांग्रेस

सियासी परिदृश्य में यदि कोई खास बदलाव नहीं हुआ तो राज्य की हेमंत सरकार से कांग्रेस किसी भी समय अलग होने का ऐलान कर सकती है। दिल्ली में लोकसभा चुनावों में सूबे में पार्टी की हार पर एंटनी कमेटी के मंथन का यह लब्बोलुआव है। रविवार को दिल्ली में जारी मंथन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी ने सत्ता

By Edited By: Published: Mon, 23 Jun 2014 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jun 2014 08:54 AM (IST)
हेमंत सरकार से हाथ खींचेगी कांग्रेस

रांची। सियासी परिदृश्य में यदि कोई खास बदलाव नहीं हुआ तो राज्य की हेमंत सरकार से कांग्रेस किसी भी समय अलग होने का ऐलान कर सकती है। दिल्ली में लोकसभा चुनावों में सूबे में पार्टी की हार पर एंटनी कमेटी के मंथन का यह लब्बोलुआव है। रविवार को दिल्ली में जारी मंथन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी ने सत्ता को मोह नहीं छोड़ा तो आगामी विधानसभा चुनाव में उसे और ज्यादा बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

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यही नहीं, राज्य कांग्रेस के एक धड़े ने प्रदेशाध्यक्ष सुखदेव भगत के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। वहीं, कांग्रेस की गतिविधियों पर झामुमो पैनी नजर रख रही है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। पार्टी नेताओं का यह दल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष अपनी बात रखेगा।

दरअसल, राज्य में विगत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक पराजय का मसला पार्टी आलाकमान को परेशान कर रहा है। इस मुद्दे पर रविवार को गुरुद्वारा रकाबगंज रोड नई दिल्ली में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष एके एंटनी के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, वरिष्ठ नेता अविनाश पांडेय और आरसी खूंटिया ने संगठन के नेताओं की राय जानी। एंटनी समिति के समक्ष हेमंत सोरेन सरकार में शामिल कांग्रेस कोटे के तमाम मंत्रियों ने भी हाजिरी लगाई। सुबह में तमाम नेता एक साथ पेश हुए तो शाम चार बजे के बाद वरिष्ठ नेताओं को बारी-बारी से तलब किया गया। कांग्रेस आलाकमान ने राज्य में करारी हार की वजह, गठबंधन की लाभ-हानि और विधानसभा चुनाव में तालमेल का मसला भी नेताओं के समक्ष रखा। सबने अपनी राय से नेताओं को अवगत कराया। उधर प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू और राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू अपनी मुहिम में लगे हुए हैं। बलमुचू ने आरंभ से ही सुखदेव भगत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस खेमे का तर्क है कि सुखदेव भगत के नेतृत्व में पार्टी अगर विधानसभा चुनाव में जाएगी तो नुकसान उठाना पड़ेगा। इस सबके बीच नई दिल्ली में चल रही कांग्रेस की गतिविधियों पर झामुमो की पैनी नजर है। हालांकि पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि समर्थन वापसी सरीखा कड़ा फैसला लेने से कांग्रेस परहेज करेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि झामुमो यूपीए का अहम अंग है। दोनों दलों ने एक साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा है। अब यह अलग बात है कि झामुमो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। ऐसे में पार्टी ने भितरखाने तमाम 81 सीटों पर लड़ने की तैयारी आरंभ करने का आदेश दिया है।

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