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दीवार पर लिखी इबारत नहीं पढ़ पा रही कांग्रेस

चुनावी माहौल में भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ उसके सहयोगी दलों पर भी खुलकर वार करेगी। साथ ही आम आदमी पार्टी [आप] पर भी कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी। इसके संकेत शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने दिए। उन्होंने कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ देशी-विदे

By Edited By: Published: Fri, 17 Jan 2014 10:19 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2014 10:28 PM (IST)
दीवार पर लिखी इबारत नहीं पढ़ पा रही कांग्रेस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनावी माहौल में भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ उसके सहयोगी दलों पर भी खुलकर वार करेगी। साथ ही आम आदमी पार्टी [आप] पर भी कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी। इसके संकेत शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने दिए। उन्होंने कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ देशी-विदेशी ताकतें भारत को कमजोर देखना चाहती हैं। कांग्रेस हर कोशिश कर रही है कि भाजपा सत्ता में न आने पाए, लेकिन वह दीवार पर लिखी इबारत को नहीं पढ़ पा रही है।

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दिल्ली में एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर घेरेबंदी का संकेत दिया। वहीं, दूसरी ओर भाजपा कार्यकारिणी की बैठक के उद्घाटन भाषण में राजनाथ ने यह संदेश देने में चूक नहीं की कि फिलहाल भाजपा का शासन ही देश की मांग और जरूरत है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में राजनाथ ने कहा कि कांग्रेस भाजपा को बाहर रखने के लिए हर प्रपंच कर रही है। वह हर किसी से हाथ मिलाने को भी तैयार है। परोक्ष रूप से उनका निशाना 'आप' पर भी था। उन्होंने कहा कि भाजपा ही असली स्वराज और सुराज देने में समर्थ है, जिसमें आर्थिक विकास से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक शामिल है। कश्मीर और नक्सलवाद के मुद्दे पर 'आप' के थिंक टैंक प्रशांत भूषण घिरे रहे हैं। खुद 'आप' भी अब तक खुलकर इस बाबत कोई स्पष्ट विचारधारा नहीं बता पाई है। दिल्ली में फिलहाल कांग्रेस के समर्थन से 'आप' की सरकार है। हालांकि शुक्रवार की बैठक में किसी ने खुलकर तो 'आप' का नाम नहीं लिया, लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में राजनीतिक हमला तेज होगा। ध्यान रहे कि पिछले दिनों में भाजपा ही नहीं कांग्रेस भी 'आप' के फंडिंग को लेकर सवाल उठाती रही है।

सभी वरिष्ठ नेताओं और कार्यकारिणी सदस्यों की मौजूदगी में राजनाथ सिंह ने निर्देश दिया कि कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षता को बेनकाब करें। लोगों को यह समझाना होगा कि कुछ ताकतें विकास के मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहती हैं। माना जा रहा है कि शनिवार को परिषद की बैठक का उद्घाटन करते हुए राजनाथ सोनिया और राहुल के बयानों का खुल कर जवाब देंगे। शुक्रवार को दिन भर चली बैठक में राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया। चार राज्यों के चुनावी नतीजों पर चर्चा हुई, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की भ‌र्त्सना हुई तो भ्रष्टाचार और महंगाई पर कांग्रेस की चुप्पी की निंदा हुई। अगले दो दिनों में नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज समेत सभी वरिष्ठ नेता कार्यकारिणी को संबोधित करेंगे।

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