शिंदे पर उलझीं भाजपा-कांग्रेस, माया ने मांगे सबूत
भाजपा और आरएसएस पर आतंकवाद के शिविर चलाने के आरोप लगाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे पर कांग्रेस और भाजपा उलझ गई है। शिंदे के बयान पर भाजपा ने गुरुवार को पूरे देश में प्रदर्शन किया। पार्टी ने सरकार को आगाह किया कि शिंदे की विदाई से कम उसे कुछ भी मंजूर नहीं है। वहीं भग
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भाजपा और आरएसएस पर आतंकवाद के शिविर चलाने के आरोप लगाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे पर कांग्रेस और भाजपा उलझ गई है। शिंदे के बयान पर भाजपा ने गुरुवार को पूरे देश में प्रदर्शन किया। पार्टी ने सरकार को आगाह किया कि शिंदे की विदाई से कम उसे कुछ भी मंजूर नहीं है। वहीं भगवा आतंकवाद पर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान के खिलाफ भाजपा के मोर्चा खोलने के साथ ही बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी शिंदे को नसीहत दी है।
मायावती ने कहा, शिंदे अहम पद पर हैं। भगवा आतंकवाद पर यदि उनके पास कोई सुबूत है तो उसे पेश करें। तथ्यों को पेश करने के बाद उन्हें बयान देना चाहिए था। या फिर तथ्यों को अदालत के सामने रखना चाहिए था। ऐसा करने के बजाए वह जल्दबाजी में बयान दे गए, जो सही नहीं है। उनके बयान से हिंदू बहुत क्षुब्ध और गुस्से में हैं। भाजपा के दूसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजनाथ सिंह ने अपने पहले सार्वजनिक प्रदर्शन में जंतर-मंतर से चेतावनी दी कि सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो बजट सत्र में इसकी आंच झेलनी होगी। इसके बावजूद न कांग्रेस माफी मांगने को तैयार है न सरकार। उल्टे सरकार के मंत्रियों ने भाजपा पर इस मामले को बेवजह तूल देने का आरोप मढ़ा।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का कहना है कि भाजपा अंतर्कलह से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए यह सब कर रही है। शिंदे के बयान के खिलाफ भाजपा ने गुरुवार को देशव्यापी प्रदर्शन किया। दिल्ली के जंतर-मंतर पर राजनाथ सिंह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने इसका नेतृत्व किया। बुधवार को अध्यक्ष चुने जाने के बाद यह राजनाथ का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। कार्यकर्ताओं के मूड के अनुसार ही उन्होंने कहा कि शिंदे को अब कोई ताकत नहीं बचा सकती है। उन्होंने एक सांस में पूरी भाजपा के साथ साथ भगवा रंग पर प्रश्न चिह्न लगाया है। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता लादेन और हाफिज सईद को सम्मानित मानते हैं। इनका नाम जी और साहब के संबोधन से लेते हैं। इससे देश कमजोर हो रहा है। भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
राजनाथ से पहले सुषमा ने भी कुछ उसी अंदाज में शिंदे की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस के महिपाल मदेरणा, सुरेश कलमाड़ी और गोपाल कांडा जैसे लोग जेल में रह चुके हैं या हैं, लेकिन भाजपा ने कभी भी कांग्रेस को क्रिमिनल संस्था नहीं कहा। लेकिन शिंदे और दूसरे मंत्री ने भाजपा और संघ को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। यह अस्वीकार्य है।
भाजपा के विभिन्न नेताओं ने अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शन का नेतृत्व किया और शिंदे की बर्खास्तगी की मांग की। कांग्रेस और सरकार की तरफ से मनीष तिवारी ने कहा, हमारी पार्टी व सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि आतंकवाद का कोई भी रंग या मजहब नहीं होता। भाजपा की प्रतिक्रिया बचकानी है। हालांकि, तथ्य यह भी है कि ऐसे लोग आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं, जिनका संघ के अग्रिम संगठनों से संगठनात्मक या वैचारिक रूप से संबंध रहा है। गृह मंत्रालय ने इसके प्रमाण दिए हैं।
मायावती ने कहा कि शिंदे देश के गृहमंत्री हैं, यह मामला उनके मंत्रालय से संबंधित है, उन्हें उपलब्ध तथ्यों के आधार पर कोई बयान देना चाहिए। यदि उनके पास इससे संबंधित कोई तथ्य हैं, जो उसे अदालत में पेश करते और फिर कोई फैसला करते। उन्होंने कहा, सभी धर्म सम्मानित हैं, शिंदे के तथ्यहीन बयान से लोगों खासकर हिंदुओं को दुख पहुंचा है। सही यही होता कि वह यह मुद्दा खुद उठाने के बजाए अदालत पर छोड़ देते। यह पूछे जाने पर कि भाजपा ने गृहमंत्री के इस बयान पर उनके इस्तीफे की मांग की है। वैसा न होने पर संसद न चलने देने की धमकी दी है। जवाब में बसपा प्रमुख ने कहा, यह भाजपा का अपना मामला है। उसमें उन्हें कुछ नहीं कहना है।
संसद में एफडीआइ समेत सरकार के हर संकट की घड़ी में बसपा भले ही उसके साथ खड़ी रही हो, लेकिन अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसुचित जनजाति (एसटी) को प्रोन्नति में आरक्षण मामले में मायावती अब कांग्रेस से भी निराश हो गई हैं। उन्होंने कहा, प्रोन्नति में कोटे के लिए संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में तो पारित हो गया। लगता है कि अब खुद सरकार ही जानबूझकर इसे लोकसभा में पारित नहीं होने देना चाहती। कांग्रेस के एक नेता ने बीते दिनों कहा है कि इस आरक्षण से समाज में वैमनस्य फैलेगा। इस बयान से कांग्रेस की असली सोच सामने आ गई है। कांग्रेस ने वाकई ऐसा किया तो उसे लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। बसपा इस मुद्दे को चुनाव में भी उठाएगी।
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