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महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने के फैसले को कांग्रेस-प्रशांत भूषण ने बताया राजनीति से प्रेरित

प्रशांत भूषण ने कहा कि 'महाभियोग पर श्री नायडु का फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। चीफ जस्टिस को बचाने के लिए मोदी सरकार दबाव में काम कर रही है।'

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 01:09 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 04:18 PM (IST)
महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने के फैसले को कांग्रेस-प्रशांत भूषण ने बताया राजनीति से प्रेरित
महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने के फैसले को कांग्रेस-प्रशांत भूषण ने बताया राजनीति से प्रेरित

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया। राज्यसभा सभापति नायडू ने कुछ संविधान विशेषज्ञों से चर्चा व सलाह मशविरा के बाद ये निर्णय लिया। अब इस फैसले पर कांग्रेस नेताओं की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कांग्रेस ने कहा कि इस फैसले पर कानून के जानकारों से बात कर राय ली जाएगी।

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एक तरफ भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस की तरफ से दिया गया महाभियोग प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित कदम था। जबकि दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी उपराष्ट्रपति के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया।

कांग्रेस नेता पीएन पुनिया ने कहा यह गंभीर मामला है। हमें नहीं पता कि प्रस्ताव क्यों खारिज किया गया। पार्टी कानूनी जानकारी लेने के बाद आगे कदम उठाएगी।' वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'उम्मीद के मुताबिक, श्री नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया है। इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी, कि वह ऐसा फैसला सिर्फ एक दिन में ही कर लेंगे। 

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'महाभियोग प्रस्ताव संवैधानिक प्रक्रियाओं का पूरी तरह से पालन करते हुए लाया गया था। इसमें 50 सांसदों के हस्ताक्षर थे। राज्यसभा सभापति को प्रस्ताव खारिज करने का अधिकार नहीं है। यह साफ तौर पर नजर आ रहा है कि लोकतांत्रिक ताकतों को कमजोर करनेवालों के खिलाफ यह लोकतंत्र बचानेवालों का संघर्ष है।'

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, 'क्या! वीपी नायडू ने चीफ जस्टिस के खिलाफ 64 सांसदों के हस्ताक्षर होने के बाद भी महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया है! किस आधार पर? आरोपों के पीछे तथ्य नहीं हैं, ऐसा कहने उन्हें अधिकार नहीं है। यह 3 जजों की कमिटी के लिए जांच का विषय है। उन्हें सिर्फ यह देखना है कि क्या जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर हैं या नहीं।' प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि यह फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। भूषण ने कहा, 'चीफ जस्टिस को बचाने के लिए मोदी सरकार दबाव में काम कर रही है।' आपको बता दें कि प्रशांत भूषण चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुके हैं।

दूसरी तरफ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि उपराष्ट्रपति ने यह फैसला लेने में 2 दिन का वक्त लगाया। जबकि उन्हें यह प्रस्ताव तत्काल खारिज कर देना चाहिए था। कांग्रेस ने ऐसा कर अपनी खुदकुशी कर ली है।

वहीं, एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा, 'हमें अभी इस बात की जानकारी नहीं है कि राज्यसभा सभापति ने किस आधार पर प्रस्ताव खारिज किया है। जहां तक संवैधानिक भूमिका का सवाल है उपराष्ट्रपति का काम जज पर लगे आरोप सच हैं या नहीं, इसकी जांच करना नहीं होता है। राज्यसभा सभापति को सिर्फ सांसदों की जरूरी संख्या देखनी होती है।'


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