कुणाल कामरा पर एयरलाइनों के प्रतिबंध को लेकर घमासान, जानें- क्या कहता है नियम
एयरलाइनों के प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए डीजीसीए अरुण कुमार ने एक ट्वीट किया है। परंतु उनके ट्वीट में ही ये बात स्पष्ट है कि प्रतिबंध का ऐलान नियमों के पूरी तरह अनुरूप नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्टैंडअप कामेडियप कुणाल कामरा पर एयरलाइनों के प्रतिबंध की अवधि को लेकर सोशल मीडिया पर घमासान छिड़ गया है। जहां डीजीसीए ने इसे नियमों के अनुसार एकदम सही ठहराया है। वहीं विमानन क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ इसे नियम विरुद्ध मान रहे हैं। उनका कहना है कि सिविल एविएशन रूल्स के तहत आंतरिक समिति के फैसले से पहले एयरलाइन उत्पाती यात्री पर एक माह से ज्यादा अवधि का प्रतिबंध नहीं लगा सकतीं।
एयरलाइनों के प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए डीजीसीए अरुण कुमार ने एक ट्वीट किया है। परंतु उनके ट्वीट में ही ये बात स्पष्ट है कि प्रतिबंध का ऐलान नियमों के पूरी तरह अनुरूप नहीं है। ट्वीट के अनुसार, 'उत्पाती यात्रियों पर सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (कार) सेक्शन-3, सीरीज-एम, पार्ट-6 के पैरा 6.1 अनुसार सबसे पहले एयरलाइन को यात्री के व्यवहार के बारे में प्राप्त शिकायत की जांच के लिए रिटायर्ड जिला या सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आंतरिक समिति का गठन करना होता है। पैरा-6.4 के तहत समिति पूरे मामले की जांच कर 30 दिनो के भीतर प्रतिबंध के बारे में अंतिम फैसला करती है। तब तक एयरलाइन को अस्थायी प्रतिबंध लगाने का अधिकार है। प्रतिबंध के फैसले के साथ समिति इसके लिखित कारण भी बताती है। 'कार' में अलग-अलग तरह के उत्पाती यात्रियों के लिए प्रतिबंध की अलग-अलग अवधियां भी निर्धारित की गई हैं। आंतरिक समिति को इनका पालन करना होता है।'
विमानन सुरक्षा के जानकारों का कहना है कि आंतरिक समिति के फैसले से पहले एयरलाइन को एक माह से ज्यादा अवधि का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। छह महीना तो बहुत दूर की बात है। क्योंकि हो सकता है आंतरिक समिति तीन माह का ही प्रतिबंध लगाए। इंडिगो ने समिति के फैसले से पहले ही कामरा पर छह माह के प्रतिबंध का ऐलान किस आधार पर कर दिया या समझ से परे है।
ये किस तरह का अपराध?
वैसे भी उत्पाती यात्रियों की तीन श्रेणियों में कामरा का व्यवहार पहली श्रेणी में ही आता है, जिसमें अधिकतम तीन माह का प्रतिबंध लगाया जा सकता है। छह माह का प्रतिबंध मारपीट या शारीरिक चोट पहुंचाने के मामले में लागू होता है। जबकि इससे ज्यादा गंभीर मामलों में जिनमें यात्रियों के जान का जोखिम हो और विमानन सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होता है, दो वर्ष या अधिक के प्रतिबंध का प्रावधान है। प्रतिबंध के खिलाफ नागरिक विमानन मंत्रालय में अपील की भी व्यवस्था है।
जानें- क्या है मामला
गौरतलब है कि कुणाल कामरा पर मंगलवार को इंडिगो की मुंबई-लखनऊ फ्लाइट के दौरान टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी के साथ बदसलूकी का आरोप है। जिस पर पहले इंडिगो ने कामरा पर छह महीने के प्रतिबंध का ऐलान किया। परंतु विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के संज्ञान लेने और ट्वीट करने के बाद अन्य एयरलाइनों ने भी कामरा को छह महीने के लिए प्रतिबंधित किए जाने का ऐलान कर दिया था। सोशल मीडिया का एक वर्ग एयरलाइनों के इस ऐलान की आलोचना कर रहा है और इसे नियमों के विपरीत हड़बड़ी व दबाव में उठाया गया कदम बता रहा है।