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स्वर्ण और उत्कृष्ट परियोजनाओं से संवरेगा पुरानी ट्रेनों का हुलिया

ट्रेन यात्रियों को नए भारत का अहसास कराने के लिए सभी ट्रेनों में अब पुराने आइसीएफ कोच की जगह सुरक्षित एलएचबी कोच लगाने का निर्णय लिया जा चुका है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 08:16 PM (IST)
स्वर्ण और उत्कृष्ट परियोजनाओं से संवरेगा पुरानी ट्रेनों का हुलिया
स्वर्ण और उत्कृष्ट परियोजनाओं से संवरेगा पुरानी ट्रेनों का हुलिया

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महामना और हमसफर जैसी नई प्रीमियम ट्रेनों की कामयाबी को देखते हुए सरकार ने राजधानी, शताब्दी के साथ-साथ प्रमुख मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को भी नया लुक देने का निर्णय लिया है। स्वर्ण और उत्कृष्ट परियोजनाओं के तहत राजधानी और शताब्दी ट्रेनों के कायाकल्प की मुहिम छेड़ी गई है। जिसमें ट्रेनों को नए दौर की सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा।

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'स्वर्ण' से राजधानी व शताब्दी तथा 'उत्कृष्ट' से मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की सज्जा

प्रोजेक्ट स्वर्ण के लिए प्रति रेक 50 लाख रुपये की राशि मुकर्रर की गई है। एक रेक में औसतन 60 कोच होते हैं, जिससे तीन ट्रेने चलाई जा सकती है। इस तरह प्रत्येक राजधानी और शताब्दी ट्रेन पर लगभग 20 लाख रुपये की रकम खर्च की जा रही है। सितंबर, 2018 तक 29 राजधानी, शताब्दी ट्रेनों की साज-सज्जा पूरी की जा चुकी थी। जबकि बाकी राजधानी, शताब्दी को संवारने का काम 31 मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।

स्वर्ण के अलावा उत्कृष्ट परियोजना भी चलाई जा रही है। जिसके अंतर्गत प्रमुख मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की नए सिरे से सजाया-संवारा जा रहा है। इसमें भी प्रत्येक ट्रेन पर लगभग 20 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अब तक 66 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का कायाकल्प किया जा चुका है। जबकि मार्च अंत तक सौ ट्रेनों को उत्कृष्ट बनाने का प्रस्ताव है।

उक्त लांग रूट ट्रेनों के अलावा उपनगरीय ट्रेनों की हालत सुधारना भी सरकार की प्राथमिकता में है। मुंबई में वातानुकूलित लोकल ट्रेन चलाकर इसकी शुरुआत की जा चुकी है। इस तरह की एक ईएमयू रेक तैयार हो चुकी है। जबकि चार और रेक तैयार करने पर काम चल रहा है। इन्हें शीघ्र ही सेवा में उतारा जाएगा।

यही नहीं, पर्यटक ट्रेनों के कोच का स्वरूप भी बदलने की प्रक्रिया भी कालका-शिमला टॉय ट्रेन में पारदर्शी विस्टाडोम कोच लगाने के साथ शुरुआत हो चुकी है। इससे अब पर्यटक ट्रेन में बैठे-बैठे हिमाचल की मनोरम वादियों का भरपूर लुत्फ उठा पा रहे हैं।

ज्यादातर एलएचबी के साथ आइसीएफ और एमसीएफ में बढ़ेगा कोच उत्पादन

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'ट्रेन यात्रियों को नए भारत का अहसास कराने के लिए सभी ट्रेनों में अब पुराने आइसीएफ कोच की जगह सुरक्षित एलएचबी कोच लगाने का निर्णय लिया जा चुका है। अब सभी कोच कारखानों में एलएचबी कोच का उत्पादन होगा।'

चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ), जहां देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का निर्माण हुआ है, ने उत्पादन को 2014 के मुकाबले दोगुना करने का निर्णय लिया है। जबकि रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) अपना उत्पादन दस गुना करेगी।

रेलवे बोर्ड के अनुसार, 'चालू वित्तीय वर्ष में मार्च अंत तक 5836 कोच का उत्पादन होने की संभावना है, जिसमें 4016 एलएचबी कोच होंगे। जबकि अगले दो वर्षो में क्रमश: 4941 और 4839 कोच का उत्पादन होने की आशा है। इनमें 3136 और 3054 एलएचबी कोच होंगे।'


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