VIDEO: कारगिल युद्ध के 'Operation Vijay' के 20 साल पूरे, ग्वालियर एयरबेस पर दिखी वायुसेना की ताकत
कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन विजय के दौरान कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर एयरबेस पर तैनात मिराज विमानों को सौंपी गई थी।
ग्वालियर, एएनआइ। कारगिल विजय के 20 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस मौके पर मध्य प्रदेश में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर एयर शो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ग्वालियर एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन विजय' के दौरान टाइगर हिल हमले और इस दौरान इस्तेमाल मिराज विमानों का प्रदर्शन किया।
#WATCH Commemorating 20 years of #KargilWar, Indian Air Force at Gwalior Air Base recreates Tiger Hill attack and display aircraft used during 'Operation Vijay'. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/K3kh4FPnXW
— ANI (@ANI) June 24, 2019
कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के मौके पर बीएस धनोआ ने कहा, 'हमारे हमले का उद्देश्य हमेशा हमारे संकल्प और क्षमता को प्रदर्शित करना था और उस व्यक्ति तक संदेश पहुंच गया जिस तक इसे पहुंचाना था। 2 अगस्त सन् 2002 को उस दुश्मन तक यह संदेश पहुंचा दिया गया ताकि वो दोबारा कभी ना लौटे।'
बता दें, ग्वालियर का महाराजपुरा एयरबेस भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन है। 20 साल पहले साल 1999 में कारगिल युद्ध में मिराज विमान इतिहास लिख दिया था। कारगिल युद्ध के समय मिराज विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से पाकिस्तान पर हमला किया था। इस दौरान मिराज विमानों से लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था।
मिराज विमानों ने दिखाई थी अपनी ताकत
कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर' में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज विमानों के स्क्वाड्रन को सौंपी गई थी। ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना और इस खास एयरबेस ने भारत के कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी। महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन देश का एकमात्र एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है। यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर उसे रिफ्यूल कर सकता है।
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