संयुक्त बेड़े की लड़ाई की तैयारियों का परीक्षण जल्द
इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल से संयुक्त रणनीति को लागू करने का अभ्यास करना है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नौसेना, वायुसेना, थलसेना और भारतीय तटरक्षक के संयुक्त बेड़े की लड़ाई की तैयारियों का परीक्षण करने के लिए भारतीय नौसेना का वार्षिक युद्धाभ्यास 'ट्रोपेक्स' थिएटर रेडीनैस ऑपरेशनल एक्सरसाइज, जनवरी में शुरु होने जा रहा है। लगभग तीन महीने तक चलने वाले इस अभ्यास में नौसेना के पोत और वायुयान भाग लेंगे। इसके अलावा थलसेना और तटरक्षक की परिसंपत्तियां भी मिलकर देश के सबसे बड़े युद्धाभ्यास मे शामिल होगी।
'ट्रोपेक्स' अभ्यास मौजूदा सुरक्षा हालातों के मद्देनजर विशेष महत्व रखता है। इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल से संयुक्त रणनीति को लागू करने का अभ्यास करना है। इस अभ्यास में नौसेना के सभी सक्रिय पोत, पनडुब्बियां और विमानों को शामिल किया जाएगा। अभ्यास में कोस्ट गार्ड की भी अहम भागीदारी सुनिश्चित होगी, साथ ही भारतीय वायुसेना और थलसेना के विमान और टुकडि़यां भी इसमें शामिल है।
पिछले कुछ वर्षो के दौरान ट्रोपेक्स के स्तर और जटिलता में वृद्धि हुई है। यहां बता दें कि अभ्यास विभिन्न चरणों में बंदरगाह और समुद्र में आयोजित किया जाना है। जिसमें लड़ाकू अभियानों के विभिन्न पहलू शामिल हैं। इस अभ्यास में विमानवाहक पोत विक्रमादित्य, परमाणु पनडुब्बी चक्र, लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक, जलाश्वा, विध्वंसक चेन्नई, लंबी दूरी की समुद्री टोही और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान पी-8 आई आदि के भाग लेने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि अपनी समुद्री सीमाओं को शांत व स्थिर रखने के इरादे से भारत, क्षेत्र की नौसेनाओं के बीच आपसी समझ बेहतर करने की कोशिश भी लगातार कर रहा है। फ्रांस के साथ वरुण अभ्यास, अमेरिका के साथ हवाई अभ्यास में रिमपैक, पोर्ट ब्लेयर के निकट सिंगापुर के साथ सिम्बेक्स जैसे अभ्यास इसी का नतीजा है। हिंद महासागर इलाके में भारतीय नौसेना अपनी नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही है।
नौसेना प्रमुख एडमरिल लांबा के अनुसार भारत सरकार की नई पड़ोसी नीति के तहत नौसेना ने मारीशस, मालदीव और सेशल्स के नजदीक के समुद्री इलाके में टोही गश्ती की है। इसके अलावा म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ भी समन्वित गश्ती अभ्यास किये गये हैं।