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तेलंगाना में उप जिलाधिकारी बनीं गलवन घाटी शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्नी संतोषी

गलवन घाटी में चीनी सैनिकों को धूल चटाते हुए वीरगति को प्राप्त करने वाले कर्नल बी. संतोष बाबू की पत्नी संतोषी को तेलंगाना सरकार ने उप जिलाधिकारी नियुक्त किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 10:52 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 07:36 AM (IST)
तेलंगाना में उप जिलाधिकारी बनीं गलवन घाटी शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्नी संतोषी
तेलंगाना में उप जिलाधिकारी बनीं गलवन घाटी शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्नी संतोषी

हैदराबाद, आइएएनएस। गलवन घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले महीने हुए संघर्ष में चीनी सैनिकों को धूल चटाते हुए वीरगति को प्राप्त करने वाले कर्नल बी. संतोष बाबू की पत्नी संतोषी को तेलंगाना सरकार ने उप जिलाधिकारी नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने बुधवार को हैदराबाद स्थित अपने आधिकारिक निवास प्रगति भवन पर वीरांगना संतोषी को नियुक्ति पत्र सौंपा। उन्होंने सचिव समिता सभरवाल को प्रशिक्षण पाने और कार्य दायित्व संभालने तक संतोषी के साथ रहने के निर्देश दिए।

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राव ने संतोषी के साथ प्रगति भवन पहुंचे उनके परिवार के 20 सदस्यों के साथ दोपहर का भोजन भी किया। उन्होंने कुशलक्षेम पूछते हुए भरोसा दिया कि राज्य सरकार हमेशा शहीद संतोष बाबू के परिवार के साथ खड़ी रहेगी। सीएम राव ठीक एक महीने पहले संतोष बाबू के सूर्यपेट स्थित घर पर उनके परिवार को सांत्वना देने गए थे। इस मौके पर उन्होंने परिवार को पांच करोड़ रुपये की आर्थिक मदद भी दी थी। तब उन्होंने वीरांगना संतोषी को ग्रुप-1 का नियुक्ति पत्र और हैदराबाद के बंजारा हिल्स में 711 यार्ड (2,133 फीट) के प्लॉट का आवंटन पत्र सौंपा था।

अधिकारी उन्हें प्लॉट सुपुर्द करने की कार्रवाई में लगे हैं। हैदराबाद की जिलाधिकारी श्वेता मोहंती ने इसके लिए भूमि का निरीक्षण भी किया था। बता दें कि 15 जून को लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्‍त हो गए थे। संतोष बाबू के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा नौ साल की बेटी व चार साल का बेटा है।

गौर करने वाली बात यह है कि बार बार पीछे हटने का वादा करने वाला चीन अपनी तरफ से तनाव कम करने का कोई प्रयास करता नजर नहीं आ रहा है। उसकी तरफ पीएलए के 40 हजार जवान अभी भी तैनात हैं। चीन के रुख से लग रहा है कि इस विवाद को वह लंबे समय तक कायम रखना चाहता है। चीन कूटनीतिक और सैन्‍य कमांडर स्तर की वार्ताओं में बनी सहमति का सम्मान करने के पक्ष में भी नहीं है। इन वार्ताओं में तनाव वाले बिंदुओं से सेनाओं को पीछे करने पर सहमति बनी थी। 


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