कोबरापोस्ट का स्टिंग 'ऑपरेशन जन्मभूमि' सवालों के घेरे में
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से चंद दिन पहले अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के 22 साल पुराने मामले को लेकर सामने आए स्टिंग ऑपरेशन पर सवाल खड़े गए हैं। गड़े मुर्दे उखाड़ने की तर्ज पर कोबरा पोस्ट नामक समाचार वेबसाइट के स्टिंग ऑपरेशन पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है। चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करते हुए पार्टी ने जांच की मांग की है। वहीं, संप्रग के सहयोगी दल नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस समय स्टिंग के सामने आने पर हैरानी जताई है। जबकि कांग्रेस का कहना है कि स्टिंग ने भाजपा और आरएसएस के सही चेहरे को उजागर कर दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से चंद दिन पहले अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के 22 साल पुराने मामले को लेकर सामने आए स्टिंग ऑपरेशन पर सवाल खड़े गए हैं। गड़े मुर्दे उखाड़ने की तर्ज पर कोबरा पोस्ट नामक समाचार वेबसाइट के स्टिंग ऑपरेशन पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है। चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करते हुए पार्टी ने जांच की मांग की है। वहीं, संप्रग के सहयोगी दल नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस समय स्टिंग के सामने आने पर हैरानी जताई है। जबकि कांग्रेस का कहना है कि स्टिंग ने भाजपा और आरएसएस के सही चेहरे को उजागर कर दिया है।
स्टिंग को कांग्रेस प्रायोजित करार देते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि यह चुनाव को प्रभावित करने का षड्यंत्र है। पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत को पत्र लिखकर कहा कि स्टिंग दिखाने पर रोक लगाया जाना चाहिए। इससे शांति और सौहार्द्र बिगड़ सकता है। उन्होंने यह भी जांच करने की मांग की कि चुनाव के दौरान इस तरह की शरारतपूर्ण साजिश कौन कर रहा है। वहीं भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद से लेकर आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने स्टिंग के समय और मंशा पर सवाल उठाया। रविशंकर ने कोबरा पोस्ट और कांग्रेस के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हुए कहा कि कभी भी 2जी, कामनवेल्थ, कोयला घोटाला जैसे मामलों का स्टिंग क्यों नहीं हुआ। राम माधव ने खुलासे के समय पर ही सवाल उठाया। वहीं, दिल्ली से बाहर डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे नेताओं ने आश्चर्य जताया कि कोबरा पोस्ट क्या साबित करना चाहता है। पूरे मामले की लंबी सुनवाई हुई है। सीबीआइ ने जांच की है। अब केवल राजनीति से प्रेरित होकर यह सबकुछ दिखाया जा रहा है।
कांग्रेस ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा और संघ को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्होंने डाइनामाइट और पेट्रोल बम उपलब्ध कराए। उन्होंने सत्ता के लिए देश को दांव पर लगा दिया। इनके नेता मोदी हैं। वहीं पार्टी नेता राशिद अल्वी ने कहा कि स्टिंग किसने किया यह महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि इसके तथ्य महत्वपूर्ण हैं। अभी तक किसी भाजपा नेता ने यह नहीं कहा कि तथ्य गलत हैं।
अगले सप्ताह पहले चरण का मतदान है। ठीक उससे पहले राम मंदिर आंदोलन से जुड़े शीर्ष नेताओं पर हुए एक स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया है कि अयोध्या का विवादित ढांचा गिराने की पूरी साजिश पहले ही रच दी गई थी। यह छह दिसंबर 1992 को वहां जुटी भीड़ के अचानक गुस्से का परिणाम नहीं था, बल्कि इसके लिए बकायदा लोगों को प्रशिक्षित किया गया था। कोबरा पोस्ट वेबसाइट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि आंदोलन के 23 नेताओं से बातचीत के खुफिया तरीके से बनाए गए वीडियो पेश किए। इनमें मंदिर आंदोलन के सबसे अहम चेहरे रहे उमा भारती, विनय कटियार और तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के अलावा साध्वी ऋतंभरा, महंत अवैद्यनाथ, आचार्य धमेंद्र और स्वामी नृत्य गोपाल दास से भी बातचीत शामिल है। इनकी बातचीत से लगता है कि विवादित ढांचे को ढहाने की तैयारी में संघ ने बकायदा एक आत्मघाती जत्था बनाया था। संघ के अनुषांगिक संगठन बजरंग दल ने इसके लिए गुजरात के सरखेज और शिवसेना ने मध्यप्रदेश के भिंड-मुरैना में प्रशिक्षण कैंप लगाए थे। इन कैंप में लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। छह दिसंबर को अयोध्या में जमा हुए कारसेवकों के पास छैनी, गैंती और फावड़ा जैसे औजार बड़ी तादाद में उपलब्ध थे। छुपे कैमरों पर इन नेताओं ने एक-दूसरे के बारे में भी गंभीर आरोप लगाने से परहेज नहीं किया है। भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कोठारी बंधुओं सहित कई कारसेवकों की मौत के लिए पार्टी के दूसरे नेता विनय कटियार को जिम्मेदार ठहराया है। इसी तरह भाजपा के टिकट पर इस बार भी चुनाव लड़ रहे साक्षी महाराज दावा करते हैं कि कुछ कारसेवकों को जान-बूझ कर बलिदान होने दिया गया, ताकि आंदोलन का असर बना रहे।
'यह कोबरा पोस्ट नहीं कांग्रेस पोस्ट का स्टिंग है। ऐन चुनाव के वक्त इस तरह का प्रायोजित स्टिंग कर चुनाव और मामले को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है।'- रविशंकर प्रसाद, भाजपा नेता
'कांग्रेस की चाल धर्मनिरपेक्ष और चरित्र सांप्रदायिक है। चुनाव में बने रहने के लिए सभी तिकड़म अपनाए जा रहे हैं।'- मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा उपाध्यक्ष
'इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जो लोगों को पता नहीं था। मैं सिर्फ इस स्टिंग के समय को लेकर कुछ हैरान जरूर हूं।'- उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
'भाजपा और संघ के लोगों को देश की एकता और अखंडता की चिंता नहीं है। अपने राजनीतिक हित साधने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। विवादित ढांचे को ध्वस्त करने के लिए उन्होंने नक्सलियों की तरह प्रशिक्षण कैंप लगाए थे।' - रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता
'हमने एक ऐसी साजिश का पर्दाफाश किया है, जिसको सीबीआइ भी इतने साल में ठीक-ठीक नहीं सुलझा पाई। यह गुस्साई भीड़ की कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी।' - अनिरुद्ध बहल, कोबरा पोस्ट के संपादक
'विवादित ढांचा था तो भी उसे सुरक्षित रखना चाहिए था। क्योंकि हर सभ्य समाज और देश अपने इतिहास को सुरक्षित रखता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा हो। यह एकता का एक प्रतीक बन जाता।'-जनार्दन द्विवेदी, कांग्रेस महासचिव
सीबीआइ ने खारिज किया स्टिंग ऑपरेशन
अयोध्या के विवादित ढांचे के गिराये जाने को लेकर कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन को सीबीआइ ने खारिज कर दिया है। सीबीआइ ने साफ कर दिया है कि इस स्टिंग का सुबूत के तौर पर कोई महत्व नहीं है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरे मामले की जांच के बाद सभी 20 आरोपियों के खिलाफ जांच एजेंसी दो दशक पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और अदालत में ट्रायल भी चल रहा है। ऐसे में इस स्टिंग को नए सुबूत के तौर पर अदालत के सामने पेश करना संभव नहीं है। यही नहीं, सीबीआइ ने काफी गहराई में जाकर आरोपियों के खिलाफ सुबूत जुटाए थे। जबकि स्टिंग ऑपरेशन में कुछ लोगों के दावे को दिखाया जा रहा है। इन्हें सुबूत बनाने के लिए खुफिया कैमरे के सामने किए गए इन दावों की पुष्टि के लिए अलग से सुबूत जुटाने होंगे, जो शायद संभव न हो। स्टिंग के पीछे राजनीतिक मंशा होने का संदेह जताते हुए उन्होंने कहा कि सीबीआइ खुद को राजनीतिक विवाद में फंसाना नहीं चाहती है।
कोबरा पोस्ट के दावे
- विवादित ढांचा विध्वंस का षड्यंत्र दो उग्र हिंदुवादी संगठनों विश्व हिंदू परिषद और शिव सेना ने अलग-अलग रचा था।
- इन दोनों संगठनों ने 6 दिसंबर से काफी समय पहले अपनी कार्ययोजना के तहत अपने कार्यकर्ताओं को इस मकसद के लिए प्रशिक्षण दिया था।
-आरएसएस के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का एक आत्मघाती दस्ता भी बनाया गया था जिसको बलिदानी जत्था भी कहा गया।
-विहिप की युवा इकाई बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गुजरात के सरखेज में इस मकसद के लिए एक महीने का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। दूसरी ओर शिवसेना ने भी अपने कार्यकर्ताओं के लिए ऐसा ही एक प्रशिक्षण कैंप भिंड मोरेना मे आयोजित किया था।
-इस प्रशिक्षण में लोगों को पहाड़ियों पर चढ़ने और खुदाई करने का प्रशिक्षण देने के साथ साथ शारीरिक व्यायाम भी कराया जाता था।
-6 दिसंबर को विवादित ढांचे को तोड़ने के मकसद से छैनी, घन, गैंती, फावड़ा, सब्बल और दूसरी तरह के औजारों को खासी तादाद में जुटा लिया गया था।
-6 दिसंबर को ही लाखों कारसेवकों को एक संकल्प भी कराया गया था। इस संकल्प मे विवादित ढांचे को गिरा कर उसकी जगह एक भव्य राम मंदिर बनाने की बात कही गई थी। राम कथा मंच से संचालित इस संकल्प में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंहल, गिरि राज किशोर और आचार्य धर्मेद्र सहित कई जाने माने नेता और संत लोग थे। यह संकल्प महंत राम विलास वेदांती ने कराया था। कहा जाता है की संकल्प के होते ही विवादित ढांचे को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया था।
-विहिप के नेताओं ने विवादित ढांचा विध्वंस के मकसद से कुछ दिन पहले अलग-अलग अंचलों के 1200 संघ कार्यकर्ताओं को मिला कर एक सेना का गठन किया था। इस गुप्त सेना का नाम लक्ष्मण सेना था। इस सेना को सभी सामान उपलब्ध कराने और दिशानिर्देश का जिम्मा राम जी गुप्ता को सौंपा गया था। इस सेना का नारा जय शेशावतार था।
-दूसरी ओर शिवसेना ने भी इसी तर्ज पर अयोध्या मे अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं की एक सेना बना रखी थी। इसका नाम प्रताप सेना था। इसी सेना ने शिवसेना के विवादित ढांचा विध्वंस के अभियान को जरूरी सामान और सहायता उपलब्ध कराई थी।
-आरएसएस, विहिप और बजरंग दल के नेताओं ने विध्वंस से एक दिन पहले अयोध्या के हिंदू धाम मैं एक गुप्त मीटिंग की थी। इस मीटिंग में अशोक सिंहल, विनय कटियार, विष्णु हरी डालमिया, मोरो पंत पिंगले और महंत अवैध्यनाथ ने शिरकत की थी। इसी बैठक मे दूसरे दिन होने वाली कारसेवा के दौरान विवादित ढांचे को गिराने का फैसला किया गया था।
- आरएसएस और भाजपा ने भी एक गुप्त बैठक हनुमान बाग मे की थी। इस मीटिंग मे आरएसएस के एच वी शेषाद्री समेत उस समय अयोध्या में मौजूद विनय कटियार, उमा भारती और एलके आडवाणी जैसे नेताओं ने भाग लिया था।
- इधर शिवसेना ने विवादित ढांचा विध्वंस से एक महीने पहले दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू मे एक गुप्त बैठक की थी। इस बैठक मे जय भगवान गोयल, मोरेश्वर सावे, आनन्द दिघे समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सेदारी की थी। इस बैठक मे अयोध्या कूच से पहले पूरी रणनीति तय की गई थी। बाला साहब ठाकरे और राज ठाकरे दोनों इन सारी गतिविधियों के दौरान इन नेताओं से संपर्क में थे।
-अगर पारंपरिक तरीके कामयाब नहीं हो पाते तो शिवसेना ने विवादित ढांचे को डायनमाईट से उड़ाने का फैसला भी किया था।
-पारंपरिक औजारों के अलावा बजरंग दल की बिहार की टोली ने विवादित ढांचे को गिराने के लिए पेट्रोल बमों का भी इस्तेमाल किया था।
-स्थानीय प्रशासन ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के बजाय उन्मादित कार सेवकों को विवादित ढांचे को ध्वस्त करने के लिए उकसाया और इस काम मे उनकी मदद भी करी। जैसे पीएसी के जवानों को ये कहते सुना गया की इस सरदर्द को हमेशा के लिए खत्म कर दो।
-विवादित ढांचा के बाद वहां से कई पुरातन महत्व की चीजों को चुपचाप निकाल लिया गया। जैसे शिवसेना के नेता पवन पांडे के पास 1528 के शिलालेख के दो टुकड़े मौजूद हैं, जिसमे मीर बाकी ने विवादित ढांचे के निर्माण की घोषणा की थी। पवन पांडे अब इन दो टुकड़ों को बेचना चाहते हैं।