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सुरक्षा की कवायद : चुनाव में नक्सलियों को साधेंगे 'कोबरा, कुत्ता और नेत्रा'

विधानसभा चुनाव में 'कोबरा, कुत्ता और नेत्रा (ड्रोन)' राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा की कमान संभालेंगे। यह पहला मौका है जब केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों ने किसी राज्य के चुनाव में इन तीनों संसाधनों के एक साथ इस्तेमाल से नक्सलियों को उनकी मांद में जवाब देने की रणनीति तैयार

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2015 11:03 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2015 11:27 AM (IST)
सुरक्षा की कवायद : चुनाव में नक्सलियों को साधेंगे 'कोबरा, कुत्ता और नेत्रा'

पटना [राजीव रंजन]। विधानसभा चुनाव में 'कोबरा, कुत्ता और नेत्रा (ड्रोन)' राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा की कमान संभालेंगे। यह पहला मौका है जब केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों ने किसी राज्य के चुनाव में इन तीनों संसाधनों के एक साथ इस्तेमाल से नक्सलियों को उनकी मांद में जवाब देने की रणनीति तैयार की है।
घात लगाकर हमला करने में माहिर नक्सलियों को उनके 'लिबरेटेड जोन' में घेरने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

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राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात कोबरा बटालियन सीआरपीएफ की ही कमांडो यूनिट है। नक्सलियों द्वारा बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंगों की शिनाख्त करने तथा किसी वारदात को अंजाम देकर भागने वाले नक्सलियों का पीछा करने के लिए डॉग स्क्वायड की दो टीमें तैयार की गई हैं। देशी तकनीक से डिजाइन किए गए ड्रोन विमान (नेत्रा) को आसमान में उड़ाकर जमीन पर नक्सलियों की हर गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। इन तीनों की तैनाती नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव से पहले ही सुनिश्चित की जा रही है।

कोबरा यूनिट : कोबरा यूनिट के जवान जंगलों में बिना भोजन-पानी के लंबे समय तक मोर्चा संभाल सकते हैं। वे जरूरत पडऩे पर सांप और जंगली जानवरों को पकडऩे और उन्हें खाकर जिंदा रहने का हुनर जानते हैं। जंगल में गुरिल्ला युद्ध के दौरान ये लंबे समय तक पेड़ों पर छुपकर भी मोर्चा संभाल सकते हैं। इन्हें अत्याधुनिक हथियार यथा इंसास रायफल, एके-47, ग्रेनेड, रॉकेट लांचर चलाने में महारथ हासिल है। राज्य के गया, औरंगाबाद, रोहतास, जमुई और झारखंड से लगे अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कोबरा बटालियन की तैनाती काफी पहले से है।

डॉग स्क्वायड : अमेरिकी नस्ल के 'ट्रैकर डॉग' नक्सलियों के दस्तों की भनक लगते ही उनका पीछा करने लगते हैं। ये नक्सलियों का 40 से 45 किलोमीटर तक पीछा करने की क्षमता रखते हैं। साथ ही इन्हें इस तरह से प्रशिक्षित दिया गया है कि मौका मिलते ही सबसे पहले उनके हाथों में पड़े हथियार पर झपटते हैं। इसके अलावा सीआरपीएफ के पास 'स्निफर डॉग' का दस्ता भी उपलब्ध है, जो कच्चे-पक्के रास्तों में बिछाए जाने वाले बारूदी सुरंगों का पता लगाने में माहिर हैं।

चुनावी तैयारी: तकनीकी कौशल से लड़ेंगे वार

नेत्रा ड्रोन : 'नेत्रा' देसी 'ड्रोन' (अनमैन्ड एरियल व्हीकल) है। इसमें छह हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगे हैं, जो जमीन से पांच सौ मीटर की ऊंचाई से सतह पर चलने वाली हर गतिविधि की तस्वीर सीआरपीएफ के मॉनिटर पर भेजता है। इसे रिमोट से संचालित किया जाता है और इसमें रिमोट के जरिए ही कैमरे को 'जूम इन करने की सुविधा उपलब्ध है। नेत्रा 'नाइटविजन कैमरे' से भी लैस है। हाल के दिनों में सीआरपीएफ ने गया, औरंगाबाद, जमुई, रोहतास, बांका, लखीसराय समेत राज्य में कई स्थानों पर इसका इस्तेमाल एंटी नक्सल ऑपरेशन में किया है।

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