फाइलें गायब होने पर सरकार की सफाई से 95 फीसद लोग असंतुष्ट
हजारों करोड़ के कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में अब नया पेंच आ गया। 1
नई दिल्ली। हजारों करोड़ के कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में अब नया पेंच आ गया। 1993 से 2005 के बीच आवंटन से जुड़ी फाइलें गायब हैं। इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। मामले में प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ा विपक्ष जहां कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के बयान से असंतुष्ट है, वहीं जागरण डॉट कॉम के करीब 95 फीसद पाठकों ने भी अपनी असंतुष्टि जताई है।
जागरण जनमत में पाठकों से यह सवाल किया गया था कि कोयला घोटाले की फाइलें गायब होने के संदर्भ में सरकार की सफाई को आप संतोषजनक मानते हैं? इस पर 94.17 फीसद पाठकों ने नहीं में जवाब दिया है, वहीं मात्र 5.55 फीसद लोगों ने हां कहा है। जबकि 0.28 फीसद लोगों ने पता नहीं में जवाब दिया है।
गौरतलब है कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले को लेकर मीडिया में यह खबर आई थी कि 1993 से 2005 के बीच 45 कंपनियों द्वारा दिए गए आवेदन से संबंधित फाइलें गायब हैं। इस पर संसद में विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की मांग कर रही है। विपक्ष का कहना है कि चूंकि उस दौरान कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था इसलिए उन्हें ही जवाब देना चाहिए कि फाइलें कहां और कैसे गायब हुई। लेकिन सरकार की ओर से कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने जवाब दिया। जायसवाल संसद में अपने बयान में 2004 तक की फाइलें गायब होने की बात दोहराई। लेकिन विपक्ष ने उनसे पूछा ऐसी रिपोर्ट है कि जो कोयला ब्लॉक आवंटित हुए उनसे मंत्री की नजदीकी है। इस पर जायसवाल ने कहा, यदि अगर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसमें मेरी संलिप्पता हुई तो मैं कोई भी सजा भुगतने को तैयार हूं।
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