93 के बाद के खगालेंगे ब्लॉक आवंटन
कोयला ब्लॉक आवंटन पर उपजा विवाद फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा। कैग की रिपोर्ट के बाद बैकफुट पर आई केंद्र सरकार ने अब पिछले दो दशकों के दौरान आवंटित सभी कोयला ब्लॉकों की जांच-पड़ताल सीबीआइ से करवाने की योजना बनाई है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को पत्र लिखक
नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। कोयला ब्लॉक आवंटन पर उपजा विवाद फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा। कैग की रिपोर्ट के बाद बैकफुट पर आई केंद्र सरकार ने अब पिछले दो दशकों के दौरान आवंटित सभी कोयला ब्लॉकों की जांच-पड़ताल सीबीआइ से करवाने की योजना बनाई है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को पत्र लिखकर इसकी सिफारिश की है।
सरकार की मंशा को देखते हुए उम्मीद है कि सीवीसी अगले एक-दो दिनों के भीतर ही सीबीआइ को वर्ष 1993 के बाद दिए गए सभी कोयला ब्लाकों की जांच सौंप देगा। सीबीआइ अभी वर्ष 2004 से 2009 के बीच निजी कंपनियों को आवंटित 64 ब्लाकों के आवंटन में गड़बड़ियों की जांच कर रही है। इस संदर्भ में पांच कंपनियों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की जा चुकी है। 1993 से 2009 के बीच कुल 218 कोयला ब्लाक दिए गए हैं। यानी इन सभी की जांच सीबीआइ को करनी पड़ सकती है। लेकिन इस कदम का उद्योग जगत से काफी तगड़ा विरोध भी हो सकता है क्योंकि इनमें कई में उत्पादन भी शुरू हो चुका है।
कोयला मंत्री की तरफ से सीवीसी की लिखे गए पत्र के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। 1993 के बाद से दिवंगत पीवी नरसिम्हा राव, संयुक्त मोर्चा, राजग और उसके बाद संप्रग-एक की सरकारों ने जमकर निजी कंपनियों को कोयला ब्लाक दिए हैं। दरअसल, अभी सीबीआइ से लेकर नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) सभी के जांच के केंद्र में संप्रग-एक के कार्यकाल में बांटे गए कोयला ब्लाक ही हैं। लेकिन कोयला मंत्री की कोशिश है कि पूर्व की सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुई गड़बड़ियों को भी सामने लाया जाए। कांग्रेसी सांसद संदीप दीक्षित की अगुवाई में सांसदों का एक दल इस बारे में सीवीसी से पहले ही मिल चुका है। इन सांसदों ने कोयला मंत्री को भी पत्र लिखा है कि एक बार सभी कोयला ब्लाकों के आवंटन की प्रक्रिया की जांच हो जानी चाहिए ताकि आगे फिर कोई सवाल न उठे।
अभी तक आवंटित सभी प्रकार के कोयला ब्लाकों की जांच सीबीआइ से करवाने से भाजपा शासित राज्यों के लिए भी नई मुसीबत पैदा हो सकती है। क्योंकि इनमें अधिकांश ब्लाकों की अनुशंसा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश या झारखंड की भाजपा सरकार की तरफ से आई हुई है। इन पर जांच एजेंसी की खास निगाह होगी। वैसे, कुछ ब्लाकों के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की पूर्व कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में भी अनुशंसा आई हुई है।
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