कलह-सुलह में फंसी SP की कहानी, जानें- मुलायम से क्यों अखिलेश को लगता है डर
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा में कलह चरम पर है। पार्टी लगभग दो गुटों में बंट चुकी है। दोनों गुट ये चाहते हैं कि सब कुछ सामान्य हो जाए, लेकिन कलह-सुलह और कलह की कहानी जारी है
नई दिल्ली(जेएनएन)। समाजवादी पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई जारी है। एक पिता (मुलायम सिंह यादव) अपने पुत्र के सामने हैं, या यूं कहें कि एक पुत्र (अखिलेश यादव) अपने पिता को चुनौती दे रहा है। समाजवादी संघर्ष की इस गाथा के कई चेहरे हैं जो आज खलनायक की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पार्टी के लोगों का मानना है कि इस पूरे झगड़े की जड़ में कहीं न कहीं रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव और अमर सिंह हैं। इन सबके बीच पिता और पुत्र बार बार एक संदेश देने की कोशिश करते हैं पार्टी में सबकुछ ठीक है। लेकिन मुलायम सिंह यादव और अखिलेश को ये लगता है कि कुछ लोग ऐसे हैं कि जो चाहते हैं कि सबकुछ बिखर जाए।
'साजिश रचने वालों से घिरे मुलायम'
जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव को इस बात की चिंता है कि नेताजी के आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा है जो उनसे कुछ भी करवा सकते हैं। हाल ही में पिता और पुत्र के बीच कई दौर की बातचीत के बाद ये बात सामने आई कि नेताजी चाहते हैं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर वो काबिज रहें। लेकिन अखिलेश यादव को डर है कि अगर ऐसा होता है कि तो साजिश रचने में माहिर कुछ लोग विधानसभा चुनाव के बीच में गड़बड़ी कर सकते हैं। लिहाजा अखिलेश यादव चाहते हैं कि उन्हें मार्च तक पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहना दिया जाए।
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'अमर सिंह सबकुछ कर रहे हैं बर्बाद'
सीएम अखिलेश यादव के समर्थकों का मानना है कि अखिलेश यादव को अपने पिता पर विश्वास हो या न हो लेकिन इस बात का पूरा विश्वास का है कि नेताजी के आसपास साजिश रचने वाले खासतौर से अमर सिंह साजिश रच सकते हैं। सीएम के समर्थकों का कहना है कि साजिशकर्ता मुलायम सिंह जी से राष्ट्रीय अध्यक्ष पर रहते हुए कुछ भी लिखवा सकते हैं। अखिलेश यादव चाहते हैं कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए वो उम्मीदवारों के फॉर्म ए और फॉर्म बी पर हस्ताक्षर करें ताकि किसी तरह का खतरा न हो।समर्थकों का कहना है कि अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह होते हैं और बीच चुनाव में अगर साजिश रची जाती है तो उस वक्त मामले को संभाला नहीं जा सकेगा।
सोमवार से प्रचार पर निकलेंगे अखिलेश
सीएम समर्थकों का कहना है कि वो लिखकर ये देने को तैयार है कि मार्च के बाद वो खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन अगर इसी तरह से खींचतान बरकरार रहती है तो अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल और जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और चुनाव प्रचार की शुरुआत सोमवार से शुरू कर देंगे।
मुलायम के निशाने पर रामगोपाल
बुुधवार को भावुक संबोधन में मुलायम सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे के लिए सबकुछ छोड़ दिया, यहां तक कि अखिलेश यादव को सीएम भी बना दिया। रामगोपाल यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि रामगोपाल यादव तीन बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले। उन्होंने अपने बेटे और बहू को सीबीआई की मार से बचाने की अपील की। कुछ लोगों ने अखिलेश यादव को भड़काने की कोशिश की वो बिना नेताजी के बेहतर काम कर सकता है। रामगोपाल चाहते हैं कि पार्टी टूट जाए और नई पार्टी में वो नंबर वन नेता बन जाएं, क्योंकि उन्हें पता है कि नेताजी के रहते हुए वो हमेशा नीचे ही रहेंगे।
'रामगोपाल को नहीं छोड़ सकते'
रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कम करने के किसी कदम से कम मुलायम सिंह यादव को बर्दाश्त नहीं है।लेकिन अखिलेश यादव का कहना है कि वो उस वक्त उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे जब वो अकेले थे। जानकारों का कहना है कि मुलायम सिंह का इतिहास पलटी मारने का रहा है। समय समय पर वो अपनी काबिलियत का प्रदर्शन करते रहे हैं, चाहे न्यूक्लियर बिल हो, राष्ट्रपति चुनाव या जनता पार्टी का विलय उन्होंने अपने फायदे को ध्यान में रखकर फैसला किया।