40 हजार को बचाने की चुनौती, अव्यवस्था के बीच राहत जारी
देहरादून। उत्तराखंड पर कुदरत के कहर को बरसे सात दिन हो गए हैं और सेना पिछले छह दिनों से पहाड़ों में फंसी जिंदगियों को बचाने की मुहिम चला रही है। इसी बीच मौसम विभाग की चेतावनी जारी की है कि इन इलाकों में 25 से 27 जून के बीच फिर से भारी बारिश हो सकती है। मौसम के फिर से खराब होने की आशंका को देखते हुए सेना ने राहत अभियान को और तेज कर दिया है। वायु सेना के हेलीकॉप्टर अभी तक 5
जागरण न्यूज नेटवर्क, देहरादून : उत्तराखंड में मौसम फिर बिगड़ने के संकेत दे रहा है। शनिवार सुबह देहरादून में कुछ देर के लिए वर्षा भी और अन्य कई इलाकों में बादल घिरे। लेकिन मौसम विभाग का ताजा अनुमान मंगलवार तक की राहत दे रहा है। विभाग के निदेशक डॉ. आनंद शर्मा के अनुसार मंगलवार से बारिश शुरू हो सकती है। प्रशासनिक अव्यवस्था के बीच सेना की अगुवाई में चल रहे राहत और बचाव कार्य में शनिवार को भी करीब 20 हजार लोग निकाले गए लेकिन 40 हजार अभी भी जहां-तहां फंसे हुए हैं। अगर मौसम बिगड़ा तो उनकी जीवन के लिए मुश्किल खड़ी होना तय है।
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मौसम विभाग ने सोमवार शाम के बाद किसी समय उत्तराखंड में फिर से बारिश शुरू होने की आशंका व्यक्त की है। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का दावा है कि राहत कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। लेकिन यह भी सही है कि यह तेजी गुरुवार को तब आई जब बुधवार को मौसम विभाग ने 24-25 जून को मौसम बिगड़ने की आशंका व्यक्त कर दी। इसी के बाद देहरादून में बने राहत केंद्र को गौचर के लिए स्थानांतरित किया गया, जो प्रभावित इलाकों से देहरादून की अपेक्षा आधी दूरी पर है। इसके चलते जो हेलीकॉप्टर तीन घंटे में एक चक्कर लगा रहा था, उसका चक्कर बमुश्किल दो घंटे में लगने लगा। इससे ज्यादा लोगों को निकाला जा सका, साथ ही समय और ईंधन की भी बचत हुई। राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की नाकामी के चलते ही केंद्र सरकार को वहां पर पूर्व केंद्रीय गृह सचिव वीके दुग्गल की वहां पर नियुक्ति करनी पड़ी। गृह मंत्री शिंदे ने भी सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के अभाव को स्वीकार किया है। जबकि सेना की उत्तरी कमान के कमांडिंग ऑफीसर लेफ्टीनेंट जनरल अनिल चैत ने बड़े आकार के हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता जताते हुए पूरी राहत व्यवस्था सेना के हाथ दिए जाने की आवश्यकता जतायी है। इस सबके बीच 73 हजार लोगों को सुरक्षित निकाले जाने की खबर है लेकिन अभी बदरीनाथ में करीब दस हजार लोगों के फंसे हुए हैं।
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मुख्यमंत्री को 'करो या हटो' की चेतावनी
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा के दौरान केंद्र व राज्य में तालमेल का अभाव रहा। समन्वय की इस कमी को दूर करने के लिए केंद्र से एक और उच्च स्तरीय अधिकारी तैनात किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा बचाव राहत कार्यो में वीआइपी मूवमेंट के चलते कार्य बाधित हो रहा है।
ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को छोड़ अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों की आपदाग्रस्त क्षेत्रों में लैंडिंग पर रोक लगा दी गई है। सूत्रों की मानें तो इससे पूर्व हुई बैठक में शिंदे ने आपदा को लेकर राज्य सरकार की कार्यशैली पर नाखुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को 'डू ऑर डाई' की चेतावनी तक दे डाली।
सरकार बोली, खुद पहुंचाओ राहत
देहरादून। उत्तराखंड पर आई आपदा की इस घड़ी में देश के कई राज्यों व सामाजिक संगठनों ने पीड़ितों की मदद के लिए हाथ तो बढ़ाए हैं, मगर देश के कोने-कोने से मिल रही इस मदद को आपदा पीड़ितों तक पहुंचाने में सूबे की सरकार ने असमर्थता जाहिर की है। सरकार का कहना है कि जो भी आपदा पीडि़तों को मदद देना चाहते हैं, वे राहत सामग्री को खुद ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों में ले जाकर पीड़ितों तक उसे पहुंचाएं।
आपदा का जख्म झेल रहे लोगों की मदद के लिए देश के कोने-कोने से लाखों हाथ भी आगे बढ़े हैं, मगर बड़ा सवाल यह है कि जगह-जगह से मिल रही राहत सामग्री आखिर पीड़ितों तक कैसे पहुंचाई जाए। वजह यह है कि सूबे की सरकार के पास राहत सामग्री को आपदा पीड़ितों तक पहुंचाने व बांटने का कोई तंत्र ही नहीं है। सचिव आपदा प्रबंधन भास्करानंद ने भी स्वीकारा कि फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि जगह-जगह से मिल रही राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाई जाए। उसे मात्र देहरादून में ही डंप करने का कोई फायदा नहीं। लिहाजा, मददगारों से यही अनुरोध किया जा रहा है कि वे राहत सामग्री आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक खुद ही पहुंचाने का बीड़ा भी उठाएं।
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