Move to Jagran APP

अरब सागर में बन रहे हैं ज्यादा चक्रवात, वैज्ञानिकों ने बताई इसकी वजह, आप भी जानें

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि हर साल अरब सागर में ज्‍यादा चक्रवात विकसित हो रहे हैं। वर्ष 1990 के बाद से अरब सागर में तूफानों की आवृत्ति बढ़ी है। जानें इसकी वजह...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 11:01 PM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 11:23 PM (IST)
अरब सागर में बन रहे हैं ज्यादा चक्रवात, वैज्ञानिकों ने बताई इसकी वजह, आप भी जानें
वर्ष 1990 के बाद से अरब सागर में तूफानों की आवृत्ति बढ़ी है।

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अरब सागर में बन रहे ज्यादा चक्रवात की वजह ढूंढ़ने में जुटे विशेषज्ञ सफलता के करीब दिख रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि हर साल अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में करीब पांच चक्रवात विकसित हो रहे हैं। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि बंगाल की खाड़ी से उठने वाले तूफान में कोई परिवर्तन नहीं आया है, लेकिन वर्ष 1990 के बाद से अरब सागर में तूफान की आवृत्ति बढ़ी है। ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह से हो सकता है। हालांकि, अब तक का अध्ययन व विश्लेषण इसे साबित करने के लिए काफी नहीं है। इस पर और काम करने की जरूरत है।

loksabha election banner

टाक्टे से कम रही यास की रफ्तार

डॉ. महापात्रा के अनुसार, बुधवार को जब यास तूफान ओडिशा के तटीय क्षेत्र पर पहुंचा तो उसकी रफ्तार 130-140 किलोमीटर प्रति घंटा थी। लेकिन, जब टाक्टे गुजरात के तटीय क्षेत्र पर पहुंचा था तब उसकी रफ्तार 160-170 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इसीलिए, टाक्टे के मुकाबले यास से कम नुकसान हुआ।

50 साल में 117 चक्रवात, 40 हजार की गई जान

देश में 1970-2019 के बीच 50 वर्षो में 117 चक्रवात आए। इनमें 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन, विज्ञानी कमलजीत राय, एसएस राय, आरके गिरी व एपी डिमरी द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह भी बताया गया है कि विगत 10 वर्षों (2010-2019) में 2000-2009 के मुकाबले ऊष्णकटिबंधी चक्रवात की वजह से होने वाली मौतों में 88 फीसद की कमी आई है।

ऊष्णकटिबंधी चक्रवातों में वृद्धि

हालांकि, इन वर्षों में बंगाल की खाड़ी में ऊष्णकटिबंधी चक्रवातों में वृद्धि हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक कहते हैं कि इन वर्षो में मौसम का पूर्वानुमान राहत व बचाव कार्यो की तैयारियों में मददगार साबित हुआ है। मौजूदा साल की शुरुआत में प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 वर्षो के दौरान मौसम से जुड़ी 7,063 आपदाओं में 1,41,308 लोगों की जान चली गई। इनमें 40,358 (28 फीसद) मौतें चक्रवात के कारण और 65,130 (46 फीसद से ज्यादा) बाढ़ की वजह से हुईं।

प्रभावित जिलों की संख्या हुई तीन गुना

भारत के 75 फीसद से ज्यादा जिले मौसम संबंधी आपदाओं के हॉटस्पॉट हो चुके हैं। पूर्वी तट के करीब स्थित 90 फीसद जिलों में चक्रवात, बाढ़ व सूखा जैसी आपदाएं ज्यादा आती हैं। इन जिलों में 25 करोड़ लोग रहते हैं। यास के बाद काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) ने बंगाल व ओडिशा को लेकर स्वतंत्र विश्लेषण किया है।

बीते दशक में 258 जिले प्रभावित 

इस अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2005 के बाद भारत में चक्रवात प्रभावित जिलों की संख्या तीन गुना हो गई है, जबकि चक्रवातों की आवृत्ति दो गुनी। पिछले दशक में 258 जिले प्रभावित हुए हैं। ये जिले पूर्वी तट के करीब हैं, जिनमें बालेश्वर, हावड़ा, केंद्रपाड़ा, उत्तर 24 परगना, पुरी आदि शामिल हैं। पिछले 50 वर्षो में पूर्वी तट के प्रभावित जिलों की संख्या पांच गुना हो चुकी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.