Move to Jagran APP

जलवायु परिवर्तन मानव जीवन के लिए घातक, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

आजीविका सुरक्षा के लिए कृषि के सतत विकास की जरूरत होगी जो मिट्टी और जल के संरक्षण से ही संभव होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 07:58 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन मानव जीवन के लिए घातक, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता
जलवायु परिवर्तन मानव जीवन के लिए घातक, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन का बढ़ता असर समूचे मानव जाति के लिए घातक होने लगा है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने सीमित होते प्राकृतिक संसाधनों पर गंभीर चिंता जताई है। राजधानी दिल्ली में शुरु हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने मिट्टी व जल संरक्षण पर सबसे ज्यादा जोर देने की बात कही है। वैश्विक स्तर पर मिट्टी के क्षरण और जल के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताई।

loksabha election banner

जलवायु परिवर्तन पर पांच दिवसीय सम्मेलन

'वैश्विक खाद्य व आजीविका सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के दौर में मिट्टी व जल स्त्रोत प्रबंधन' विषय पर आयोजित पांच दिवसीय सम्मेलन शुरु हुआ। इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने कहा 'यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है। जलवायु परिवर्तन से बढ़ता तापमान सबसे ज्यादा घातक है, जो मानव जीवन के लिए भी खतरा बन सकता है।'

तापमान के बढ़ने से भूमि के बंजर होने की संभावना

व‌र्ल्ड एसोसिएशन आफ स्वायल एंड वाटर कंजरवेशन (डब्लूएएसडब्लूएसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर ली रुई ने कहा जलवायु परिवर्तन और तापमान के बढ़ने से भूमि के बंजर होने का सबसे अधिक जोखिम है। जमीन के बंजर होने से आर्थिक और इकोलॉजी पर सर्वाधिक विपरीत असर पड़ सकता है।

हालात और बिगड़ सकते हैं

जमीन के बंजर होने की वजह से दुनियाभर में तकरीबन 1.5 बिलियन आबादी प्रभावित हुई है। इन समस्याओं पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।

कृषि के सतत विकास की जरूरत

स्वायल कंजरवेशन सोसाइटी आफ इंडिया के प्रेसीडेंट डॉक्टर सूरजभान ने कहा कि आजीविका सुरक्षा के लिए कृषि के सतत विकास की जरूरत होगी, जो मिट्टी और जल के संरक्षण से ही संभव होगा। डॉक्टर भान ने कहा कि घरेलू स्तर पर पेयजल की सुनिश्चित आपूर्ति के लिए हर घर नल से पानी पहुंचाने की तैयारी कर ली गई है।

प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से हालात गंभीर

भारत में बरसात के जल का संरक्षण करना सबसे उपयुक्त तरीका है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन से हालात गंभीर हो गये हैं, जिससे निपटने के लिए पूरी दुनिया को साझा प्रयास करना होगा। सम्मेलन के आखिरी दिन सिफारिशें प्रस्तुत की जाएंगी, जिसे दुनिया के हर फोरम को भेजा जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.