सुप्रीम कोर्ट में दावा, कोविड-19 के दौरान ध्वस्त हुआ बिहार का स्वास्थ्य ढांचा
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बिहार का सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त हो गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बिहार का सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त हो गया है, लिहाजा केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह कोविड-19 की स्थिति से निपटने में तत्काल बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की सहायता करे।
पटना निवासी कारोबारी आदित्य जालान द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के कारण लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि में बिहार सरकार कोरोना वायरस मामलों के कारण बढ़ने वाले दबाव के मद्देनजर स्वास्थ्य ढांचे को तैयार करने में विफल रही। महामारी ने पहले से ही जीर्णशीर्ण व्यवस्था पर असहनीय दबाव ढाला है, लिहाजा बिहार का पूरा स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त हो गया है।
अधिवक्ता रोशन संथालिया के जरिये दायर याचिका में बिहार सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पूर्ण ठप होने के कारण बताए और हालात से निपटने के लिए जरूरी कदमों का उल्लेख भी करे। याचिका के मुताबिक, राज्य में कोविड-19 मरीजों के लिए बेड अपर्याप्त हैं। जो बेड उपलब्ध हैं वे भी अक्सर वीआइपी व्यक्तियों के लिए आरक्षित रहते हैं और खाली पड़े रहते हैं। बिहार भर में डॉक्टरों के 50 फीसद पद रिक्त हैं और वर्तमान हालात से निपटने के लिए चिकित्सा कर्मी अपर्याप्त हैं। पूरे राज्य में सिर्फ चार कोविड-19 अस्पताल हैं।
दुनियाभर के देश और राज्य कोरोनावायरस के संक्रमण से परेशान है। देश के तमाम राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं का पहले से ही बुरा हाल है। यदि इस तरह की कोई परिस्थिति पैदा होती है तो लोगों को इलाज मिल पाना मुश्किल हो जाता है। बिहार देश के तमाम राज्यों से हर मामले में पिछड़ा हुआ है। सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भी पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। जिसके कारण कोरोना से पीड़ित होने वाले मरीजों को भी पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया।