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    CJI पर जूता फेंकने का मामला, SC ने बार निकाय से मांगे सुझाव 

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 08:30 PM (IST)

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की कोशिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बार निकायों से सुझाव मांगे हैं। अदालत सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतित है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) से सहयोग की अपेक्षा करती है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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    CJI पर जूता फेंकने की कोशिश

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अटार्नी जनरल (एजी) और सर्वोच्च न्यायालय के बार निकाय से सुझाव मांगे हैं ताकि भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर अदालत में जूता फेंकने के प्रयास जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

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    71 वर्षीय आरोपित वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने में अनिच्छा दिखा चुकी जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अदालत यह देखेगी कि इसमें क्या किया जाना चाहिए।

    CJI पर जूता फेंकने की कोशिश

    जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के लिए उपस्थित वकीलों से कहा कि वे सुझाव दें क्योंकि अदालत पूरे भारत में रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश बनाने की कोशिश करेगी।

    बस सोचिए कि अदालत परिसर और बार रूम जैसे स्थानों पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तीन-चार सुझाव दें। आप सभी कृपया सुझाव दें। जस्टिस कांत ने मामले को स्थगित करते हुए कहा, जो कुछ भी करना आवश्यक है, हम अगली तारीख पर देखेंगे। हम इस संबंध में अटार्नी जनरल से भी सुझाव देने का अनुरोध करेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने बार से मांगे सुझाव

    पीठ एससीबीए की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वकील किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसने 6 अक्टूबर को अदालत की कार्यवाही के दौरान सीजेआइ की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया था।

    27 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने एक वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इन्कार कर दिया और कहा कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश बनाने पर विचार करेगा।

    सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने पर जोर

    यह देखते हुए कि सीजेआइ ने स्वयं किशोर के खिलाफ आगे बढ़ने से इनकार कर दिया था, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत में नारे लगाना और जूते फेंकना स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना के मामले हैं, लेकिन यह कानून के तहत संबंधित न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि आगे बढ़ना है या नहीं।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)