Move to Jagran APP

महाभारत टालने को भी लिया गया था मध्यस्थता का सहारा, CJI ने मामलों को निपटाने के सुझाए विकल्‍प

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने शनिवार को न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए महाभारत का उदाहरण देते हुए शुरुआती मध्यस्थता को संघर्ष समाधान का एक उपाय बताया जहां संघर्ष टालने के लिए इसका सहारा लिया गया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 10:01 PM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 10:07 PM (IST)
महाभारत टालने को भी लिया गया था मध्यस्थता का सहारा, CJI ने मामलों को निपटाने के सुझाए विकल्‍प
सीजेआइ एनवी रमना ने महाभारत का उदाहरण देते हुए शुरुआती मध्यस्थता को संघर्ष समाधान का एक उपाय बताया...

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने शनिवार को न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए महाभारत का उदाहरण देते हुए शुरुआती मध्यस्थता को संघर्ष समाधान का एक उपाय बताया जहां संघर्ष टालने के लिए इसका सहारा लिया गया था। उन्होंने कहा कि अवधारणा के तौर पर मध्यस्थता की जड़ें भारतीय लोकाचार में काफी गहरी हैं। मध्यस्थता को मिशन मोड में लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए। यह विवाद को निपटाने का सस्ता, सरल और त्वरित उपाय है।

prime article banner

मध्यस्थता बेहतरीन विकल्‍प

भारत-सिंगापुर मध्यस्थता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जस्टिस रमना ने कहा कि भारत में विविध पहचान, धर्म और संस्कृतियां हैं जो विविधता के जरिये इसकी एकता में योगदान देती हैं और इसमें कानून का शासन न्याय और निष्पक्षता की भावना सुनिश्चित करते हुए अपनी भूमिका अदा करता है। मध्यस्थता, पक्षकारों के अनुकूल ऐसा तंत्र है जो वास्तव में कानून के शासन को बरकरार रखता है।

भगवान कृष्ण ने की थी पहल

उन्होंने कहा कि 'महाभारत' संघर्ष के समाधान में शुरुआती मध्यस्थता के प्रयास का एक उदाहरण है। जिसमें भगवान कृष्ण ने पांडवों और कौरवों के बीच विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता का प्रयास किया था। यह याद रखने लायक है कि महाभारत में मध्यस्थता की विफलता के परिणाम विनाशकारी हुए थे।

विवाद निपटाने का त्वरित उपाय

जस्टिस रमना ने कहा कि समय आ गया है कि जब भारत को मिशन मोड में मध्यस्थता को लोकप्रिय बनाना चाहिए क्योंकि यह विवाद निपटाने का सस्ता, सरल और त्वरित उपाय है। इस नाते भारतीय संदर्भ में इसे सामाजिक न्याय का साधन भी माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि हर स्वीकार करने योग्य विवाद के समाधान के पहले कदम के रूप में मध्यस्थता को अनिवार्य बनाना मध्यस्थता को बढ़ावा देगा और इसके लिए एक कानून की जरूरत होगी।

मध्यस्थों को प्रशिक्षण देने की दरकार

प्रधान न्यायाधीश ने मध्यस्थों के लिए प्रशिक्षण सत्रों की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि उनकी भूमिका एक निष्क्र‍िय सहायक से बढ़कर सलाहकार की हो गई है। जिस तरह पायलटों को हर साल प्रशिक्षण की जरूरत होती है, मध्यस्थों को भी ऐसा ही प्रशिक्षण देने की जरूरत है ताकि वे नए-नए तरीके अमल में ला सकें।

ब्रिटिश प्रणाली ने खत्‍म किए स्वदेशी उपाय

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, '1775 में ब्रिटिश अदालती प्रणाली की स्थापना से भारत में समुदाय आधारित स्वदेशी विवाद समाधान प्रणाली का क्षरण हो गया। आखिरकार ब्रिटिश न्याय प्रणाली ही उचित संशोधनों के साथ भारत में वर्तमान न्यायिक प्रणाली के लिए ढांचा बन गई।'

यह भी बोले सीजेआई

  •  साधन संपन्न पक्षकारों की ओर से कई याचिकाएं दाखिल करने से भी बढ़ती है लंबित मामलों की संख्या।
  • कोरोना महामारी ने भी लंबित मामलों की संख्या बढ़ाने में दिया है योगदान।
  • 2005 से इस साल मार्च तक 10 लाख मामले मध्यस्थता के जरिये निपटाए गए।
  • सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा, उन्हें पता है कि कुछ गलत हुआ तो सुप्रीम कोर्ट लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में उनके साथ है।

लंबित मामलों की संख्या 4.5 करोड़ बताने पर जताई आपत्ति

जस्टिस रमना ने देश में लंबित मामलों की संख्या 4.5 करोड़ बताए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कठोर विश्लेषण है। इन आंकड़ों को भारतीय न्यायपालिका की अक्षमता के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह आंकड़ें बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई मामला कल दायर होता है, वह भी इस सूची में शामिल हो जाता है। इसलिए यह इस बात का उपयोगी संकेतक नहीं है कि प्रणाली कैसा काम कर रही है। न्यायिक देरी का मुद्दा जटिल समस्या है, लेकिन सिर्फ भारत में नहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.