सीजेआई ने कहा- लड़ाकू विमान हादसों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच नहीं
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के हादसों की न्यायिक जांच नहीं हो सकती।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं की शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर विचार से इन्कार कर दिया। यह याचिका हाल ही में बेंगलुरू में भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण विमान मिराज-2000 के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के परिपेक्ष्य में दायर की गई थी। इस हादसे में स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी। दोनों विमान और सिस्टम परीक्षण प्रतिष्ठान से जुड़े थे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के हादसों की न्यायिक जांच नहीं हो सकती। पीठ ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं कर सकता।'
पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव से सवाल किया कि क्या आपको पता है कि ये मिराज विमान किस पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। जब याचिकाकर्ता इसका जवाब नहीं दे सके तो पीठ ने कहा, 'मिराज विमान लड़ाकू विमानों की 3.5वीं पीढ़ी के हैं। आपको तथ्यों की जानकारी नहीं है, लेकिन आप इस हादसे की न्यायिक जांच कराना चाहते हैं।' इसके बाद पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि वह इस पर विचार करने की इच्छुक नहीं है।
याचिका में केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि इस तरह की विमान दुर्घटनाएं भविष्य में नहीं हों।
याचिका में उन मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया था 2015-16 से अब तक भारतीय वायु सेना के 35 विमान और हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं और इनमें 45 की जान गई है।