Move to Jagran APP

मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे बोले, नागरिकों पर ज्‍यादा और मनमाना टैक्स लगाना भी अन्याय

Chief Justice of India SA Bobde on excessive tax collection मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (SA Bobde) ने कहा है कि सरकार की ओर से जनता पर ज्‍यादा कर लगाना भी अन्याय है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:25 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 10:35 PM (IST)
मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे बोले, नागरिकों पर ज्‍यादा और मनमाना टैक्स लगाना भी अन्याय
मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे बोले, नागरिकों पर ज्‍यादा और मनमाना टैक्स लगाना भी अन्याय

नई दिल्ली, पीटीआइ। Chief Justice of India SA Bobde on excessive tax collection केंद्र की मोदी सरकार के बजट पेश किए जाने से ठीक एक हफ्ते पहले देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (SA Bobde) ने टैक्स कलेक्‍शन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार की ओर से जनता पर ज्‍यादा या मनमाना कर लगाना भी समाज के प्रति अन्याय है। हालांकि, उन्‍होंने टैक्स चोरी को अपराध भी बताया और कहा कि टैक्‍स चोरी दूसरे लोगों के साथ अन्याय है। सीजेआई ने उचित टैक्स की वकालत की और देश में पुराने दौर के टैक्स कानूनों का उल्‍लेख किया।  

loksabha election banner

टैक्‍स वसूली का रास्‍ता भी बताया  

आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के 79वें स्थापना दिवस समारोह में जस्टिस बोबडे ने कर चोरी को अपराध करार देते हुए उसे अन्य लोगों के साथ सामाजिक अन्याय बताया। इसके साथ ही यह भी कहा कि सरकार द्वारा लोगों पर मनमाना या अधिक कर लगाना भी एक तरह का सामाजिक अन्याय है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि नागरिकों से उसी तरह से टैक्स वसूला जाए, जिस तरह से मधुमक्खी फूलों को नुकसान पहुंचाए बिना उससे रस निकालती है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को साल 2020-21 का आम बजट पेश करने जा रही हैं। इस बार उनसे टैक्स में राहत की उम्मीद की जा रही है।

कर विवाद का त्वरित समाधान प्रोत्साहन के समान

प्रधान न्यायाधीश ने कर से संबधित विवादों के त्वरित निकारण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विवादों का त्वरित समाधान आयकर दाताओं के लिए इंसेंटिव के समान है और इससे मुकदमों मे फंसा पैसा भी निकल जाता है। जस्टिस बोबडे ने जोर देकर कहा कि कर न्यायपालिका देश के लिए संसाधन जुटाने में बहुत अहम भूमिका निभाती है। न्याय में देरी पर चिंता जताते हुए सीजेआइ ने कहा कि इसी के चलते न्यायाधिकरणों का गठन हुआ।

अदालतों में लंबित मामले कम हुए

सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और सीमा शुल्क उत्पाद शुल्क व सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) में लंबित मामले 61 फीसद कम हुए हैं। आधिकारिक डाटा के मुताबिक, 30 जून 2017 तक 2 लाख 73 हजार 591 केस लंबित थे। 31 मार्च 2019 तक इनकी संख्या 1 लाख 5 हजार 756 रह गई।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल पर दिया जोर

प्रधान न्यायाधीश ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ)के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे न्यायाधिकरण के फैसलों की सूची के प्रबधन और निर्णय लेने में बहुत मदद मिलेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एआइ को मानवीय विवेक का विकल्प नहीं बनने दिया जा सकता, जो निर्णय लेने के लिए बहुत जरूरी है। सीजेआइ ने कहा कि अदालतों में हम जिस एआइ प्रणाली को लागू करने की सोच रहे हैं, वह प्रति सेकेंड 10 लाख अक्षरों को पढ़ सकता है। इससे मुकदमों को निपटाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.