सीजेआइ बोले, कोरोना ने अदालतों को अपने कामकाज के बारे में सोचने पर मजबूर किया
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (SA Bobde) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी ने अदालतों को अपने काम करने के तरीके पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India, CJI) एसए बोबडे (SA Bobde) ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने अदालतों को अपने काम करने के तरीके पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के ई-फाइलिंग मॉड्यूल (E-filing module) के ऑनलाइन डेमो के दौरान यह बात कही। इस मौके पर न्यायमूíत डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष दुष्यंत दवे (Dushyant Dave)भी मौजूद थे।
सीजेआइ (SA Bobde) ने कहा, 'महामारी ने फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि काम कैसे करना है और न्यायिक प्रक्रिया में क्या आवश्यक है। असली खतरा मार्च में आया और मैं खुश हूं कि सुप्रीम कोर्ट यह घोषणा करने वाली पहली संस्थाओं में था कि यह सामान्य तरीके से नहीं खुलेगी और सीमित तरीके से काम करेगी। इस अवधि ने काम के नए माहौल के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान कर दिया है। अब पीछे मुड़कर नहीं देख रहे हैं। हमें अदालत की कार्यवाही को देखने के तरीके के बारे में मानसिकता बदलनी होगी। हम यह मॉड्यूल शुरू कर रहे है जिसमें विधिज्ञ परिषद द्वारा सुझाव और उनके लिए सुझाव के विकल्प खुले हैं।'
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ था कि अदालत कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने का केंद्र न बन जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'यह बदलाव आसान नहीं था और यह काम करने की पुरानी और नई शैली के बीच की जद्दोजहद थी।' न्यायमूर्ति बोबडे (Justice Bobde) ने कहा, 'ई-फाइलिंग की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। अगर अयोध्या मामले पर सुनवाई के दौरान हमारे पास यह सुविधा होती तो हम काफी तेज गति से आगे बढ़ सकते थे क्योंकि हजारों पन्ने फाइल किए जा रहे थे। लॉकडाउन के दौरान 820 मामले और 552 दस्तावेज ई-फाइलिंग के जरिये दायर किए गए।'